India May Raise Energy Efficiency Target at COP30
संदर्भ:
भारत नवंबर 10 को ब्राज़ील में शुरू होने वाले यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP 30) के मौके पर अपने अद्यतन नेशनल्ली डिटरमाइंड कॉन्ट्रिब्यूशन्स (NDCs) पेश करेगा। पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इसमें ऊर्जा दक्षता सुधार (energy efficiency improvement) के लिए लक्ष्य को और बढ़ाया जा सकता है।
Nationally Determined Contributions (NDCs):
- परिभाषा: NDCs वे राष्ट्रीय स्तर पर तय प्रतिबद्धताएँ हैं, जो देशों ने पेरिस समझौते (2015) के अंतर्गत की हैं।
- उद्देश्य:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG Emissions) को कम करना।
- जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) की खपत को नियंत्रित करना।
- वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे और संभव हो तो 1.5°C से नीचे रखना (पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में)।
- नियम: प्रत्येक देश को अपने NDCs हर पाँच वर्ष में अपडेट करने होते हैं।
भारत के NDCs (Nationally Determined Contributions):
परिभाषा
- यह देश-विशेष जलवायु प्रतिबद्धताएँ हैं जिन्हें पेरिस समझौते (2015) के तहत अपनाया गया है।
- उद्देश्य: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करना, जीवाश्म ईंधन का नियंत्रित उपयोग करना और वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे (संभव हो तो 1.5°C तक) सीमित करना।
भारत के 2022 NDC लक्ष्य:
- उत्सर्जन तीव्रता (Emissions Intensity of GDP) को 2005 के स्तर से 45% तक घटाना (2030 तक)।
- 50% बिजली क्षमता को गैर–जीवाश्म स्रोतों (सौर, पवन, जलविद्युत, परमाणु) से हासिल करना (2030 तक)।
- कार्बन सिंक (Carbon Sink) का निर्माण कर कम-से-कम 2–2.5 अरब टन CO₂ को अवशोषित करना (2030 तक, वनीकरण और वृक्षारोपण से)।
मुख्य शब्दावली
- उत्सर्जन तीव्रता: जीडीपी की प्रति इकाई पर होने वाला कार्बन उत्सर्जन। (यह कुल उत्सर्जन घटाने के बराबर नहीं है)।
- गैर–जीवाश्म ईंधन क्षमता: स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का वह हिस्सा जो नवीकरणीय ऊर्जा, जलविद्युत और परमाणु से आता है।
भारत की प्रगति (2023 तक):
- 33% कमी उत्सर्जन तीव्रता में (2005–19 के बीच)।
- 50% स्थापित बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से।
- वनीकरण और वृक्षारोपण कार्यक्रम जारी हैं, लेकिन कार्बन सिंक लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है।
भारत की अगली पहल – NDC 3.0 (आगामी):
- नई समयसीमा: 2035 तक के लक्ष्य तय होंगे।
- भारत कार्बन मार्केट (2026 तक):
- इसमें 13 प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।
- कंपनियाँ कार्बन रिडक्शन सर्टिफिकेट्स (CRCs) के ज़रिए उत्सर्जन व्यापार कर सकेंगी।
- यह वैश्विक UN Global Stocktake रिपोर्ट का हिस्सा होगा, जिससे पता चलेगा कि दुनिया पेरिस समझौते के लक्ष्यों की ओर बढ़ रही है या नहीं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- यूरोपीय संघ (EU):
- 2035 तक उत्सर्जन में 66%–72.5% की कमी (1990 स्तर से)।
- दीर्घकालिक लक्ष्य: 2050 तक नेट ज़ीरो।
- ऑस्ट्रेलिया: 2035 तक 62%–70% की कमी (2005 स्तर से)।
- वैश्विक अंतर (Global Gap):
- यदि सभी देश अपने NDCs पूरे भी कर लें, तो भी दुनिया लगभग 3°C गर्म होगी।
- यह पेरिस समझौते के लक्ष्य 2°C से नीचे से मेल नहीं खाता।