Justice Surya Kant 53rd Chief Justice of India
संदर्भ:
हाल ही में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल लगभग 16 महीनों का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत के बारे में:
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प्रारंभिक जीवन: न्यायमूर्ति सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गाँव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता मदन गोपाल शर्मा संस्कृत शिक्षक थे।
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शिक्षा: उन्होंने 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक किया और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम में प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान प्राप्त किया।
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कानूनी करियर: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वकालत के दौरान कम समय में ही उत्कृष्ट पहचान बनाई। वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल (2000–2004) बने। इसके बाद 9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2007 में वे नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के सदस्य बने और कानूनी सहायता योजनाओं के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी न्यायिक दक्षता के कारण 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सुप्रीम कोर्ट में योगदान:
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को मई 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल कई ऐतिहासिक मामलों से जुड़ा रहा, जिनमें शामिल हैं—
- अनुच्छेद 370 को हटाने पर ऐतिहासिक निर्णय
- इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराना
- पेगासस स्पाईवेयर मामले में निगरानी व जांच व्यवस्था
- देशद्रोह कानून की धारा 124A के निलंबन से जुड़े निर्देश
- 16th Presidential Reference
- विधानसभा विशेषाधिकार से संबंधित Article 212(1) का स्पष्टीकरण
- ‘इंडियाज़ गॉट लैटेंट’ मामले में उन्होंने एक अभद्र टिप्पणी करने वाले प्रतिभागी न्यायाधीश पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “मौलिक अधिकार कहीं थाली में परोसकर नहीं दिए जाते; उसके साथ नागरिक कर्तव्य भी निभाने होते हैं।”
विशेष न्यायिक दृष्टिकोण:
न्यायमूर्ति सूर्यकांत अपने मानवाधिकार–उन्मुख दृष्टिकोण, सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता, जेल सुधार, लैंगिक न्याय एवं शिक्षा सुधार के लिए जाने जाते हैं। उनके सबसे चर्चित निर्णयों में से एक जस्वीर सिंह बनाम पंजाब राज्य है, जिसमें उन्होंने जेल बंदियों के लिए कॉनजुगल और फैमिली विज़िट की नीति तैयार करने का निर्देश दिया—भारतीय न्याय प्रणाली में यह एक प्रगतिशील कदम माना गया।
CJI (Chief Justice of India) की नियुक्ति प्रक्रिया:
अनुच्छेद 124 के तहत, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति को अन्य न्यायाधीशों से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- नियुक्ति: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अनुच्छेद 124 (2) के तहत राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करना होता है।
- योग्यता: भारत का नागरिक होना चाहिए। कम से कम 5 साल तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए, या 10 साल तक वकील होना चाहिए। राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए।
- पद ग्रहण: न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहते हैं। उन्हें राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद से हटाया जा सकता है।
- निष्कासन: उन्हें सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों को प्रस्ताव पारित करना होता है।
CJI (Chief Justice of India) से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक अनुच्छेद:
- अनुच्छेद 125 – CJI एवं अन्य सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों का प्रावधान।
- अनुच्छेद 126 – CJI की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने पर वरिष्ठतम न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करना।
- अनुच्छेद 130 – सुप्रीम कोर्ट का स्थान निर्धारित करता है; CJI भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से कोर्ट की बैठक के स्थान को बदल सकते हैं।
- अनुच्छेद 145 – सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया, नियम तथा केस की सुनवाई से संबंधित नियम बनाने का अधिकार — CJI की स्वीकृति से नियम बनते हैं।

