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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम के तहत लाने की याचिका खारिज की (SC Rejects Plea to Bring Political Parties Under POSH Act) | UPSC Preparation

SC Rejects Plea to Bring Political Parties Under POSH Act

SC Rejects Plea to Bring Political Parties Under POSH Act

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल में सदस्यता किसी नौकरी के रूप में नहीं मानी जा सकती, इसलिए राजनीतिक दलों को 2013 के ‘महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (निवारण, रोकथाम और निवारण) अधिनियम’ के तहत नहीं लाया जा सकता।

पृष्ठभूमि:

  • Centre for Constitutional Rights Research and Advocacy बनाम State of Kerala & Ors (2022) मामले में केरल हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं के बीच पारंपरिक नियोक्ता–कर्मचारी (employer–employee) संबंध नहीं होता।
  • इसलिए, उन्हें कानूनन आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee – ICC) बनाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • इस तरह की कानूनी अस्पष्टता और राजनीतिक दलों की विकेन्द्रीकृत व अनौपचारिक संरचना को ही अक्सर उनकी अनुपालन न करने (non-compliance) का मुख्य कारण बताया जाता है।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 – PoSH Act

परिचय

  • PoSH Act, 2013 का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देना है।
  • यह अधिनियम शिकायत निवारण तंत्र (Complaint Redressal Mechanism) स्थापित करता है और सुरक्षित व सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करता है।

मुख्य पहलू:

  1. उत्पत्ति (Origin): यह अधिनियम विशाखा गाइडलाइन्स (1997, सुप्रीम कोर्ट) पर आधारित है, जिन्होंने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए प्रारंभिक कानूनी ढांचा दिया।
  2. परिधि (Scope):
    • यह सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है – चाहे वे नियमित, अस्थायी, अनुबंध पर हों या प्रशिक्षु।
    • कार्यस्थल (Workplace) की परिभाषा व्यापक है – इसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों प्रकार के कार्यस्थल शामिल हैं।
  1. यौन उत्पीड़न की परिभाषा (Definition): अवांछित यौन व्यवहार जैसे –
    • शारीरिक स्पर्श,
    • यौन प्रस्ताव,
    • यौन लाभ की माँग,
    • अश्लील टिप्पणियाँ,
    • शत्रुतापूर्ण/असुरक्षित माहौल बनाना।
  2. शिकायत निवारण तंत्र: Internal Complaints Committee (ICC):
    • हर संस्था में जहाँ 10 या अधिक कर्मचारी हों।
    • महिला अध्यक्ष और 50% सदस्य महिलाएँ होनी चाहिएं।
  • Local Committee (LC):
    • उन संस्थाओं के लिए जहाँ 10 से कम कर्मचारी हों या शिकायत नियोक्ता के खिलाफ हो।
    • जिला अधिकारी द्वारा जिला स्तर पर गठित।
  1. नियोक्ताओं के दायित्व (Employer Obligations):
  • ICC/LC का गठन।
  • कर्मचारियों को जागरूक करना।
  • शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी सार्वजनिक करना।
  1. क्रियान्वयन और चुनौतियाँ:
  • कानून महत्वपूर्ण है लेकिन चुनौतियाँ हैं, जैसे –
    • कम जागरूकता,
    • संस्थागत अनुपालन (compliance) की कमी,
    • शिकायत दर्ज कराने में हिचकिचाहट।

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