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संदर्भ:
टी-हॉर्स रोड: भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने टी-हॉर्स रोड (Tea Horse Road) के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया, जो तिब्बत के माध्यम से भारत–चीन व्यापार का प्रमुख मार्ग था। यह 2,000 किमी लंबा प्राचीन मार्ग हिमालयी दर्रों के जरिए चीन से भारत तक चाय व्यापार को सुगम बनाता था।
प्राचीन चामा मार्ग / टी-हॉर्स रोड:
- उत्पत्ति: यह मार्ग618-907 ईस्वी में तांग वंश (Tang Dynasty) के शासनकाल में शुरू हुआ था।
- मार्ग:
- यह कोई एकल सड़क नहीं थी, बल्कि दक्षिण–पश्चिम चीन से भारतीय उपमहाद्वीप तक जाने वाले मार्गों का नेटवर्क था।
- प्रमुख रास्ते चीन के लिजियांग (युन्नान प्रांत) और चेंगदू (सिचुआन प्रांत) से होकर गुजरते थे।
- इसके बाद यह तिब्बत के ल्हासा पहुंचता था, जहां से यह भारत, नेपाल और बांग्लादेश की ओर विभाजित हो जाता था।
आधुनिक इतिहास में चामा मार्ग (Tea Horse Road) की भूमिका:
- 20वीं शताब्दी की शुरुआत में व्यापार का विस्तार
- 1912 में छिंग वंश (Qing Dynasty) के पतन के बाद, चामा मार्ग और अधिक महत्वपूर्ण हो गया।
- युन्नान की चाय उद्योग का विस्तार हुआ क्योंकि चीन वैश्विक बाजार से जुड़ने लगा।
- इस मार्ग से नए व्यापारिक तकनीक और वस्तुएं पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचीं, जिससे आर्थिक अवसर बढ़े।
- द्वितीय विश्व युद्ध और रणनीतिक महत्व:
- द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) के दौरान, जब जापान ने चीन के समुद्री तटों पर नियंत्रण कर लिया, तब यह मार्ग एक वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग बना।
- इस मार्ग का उपयोग चीन की प्रतिरोधी सेनाओं को सैन्य आपूर्ति और अन्य आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने के लिए किया गया।
- 1949 के बाद चामा मार्ग का पतन:
- 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद इस मार्ग का महत्व घट गया।
- माओ ज़ेडॉन्ग के भूमि सुधार ने परंपरागत व्यापार प्रणाली को बदल दिया।
- आधुनिक परिवहन के विकास के कारण यह ऐतिहासिक व्यापार मार्ग अप्रासंगिक हो गया।
- हालांकि, लिजियांग (Lijiang) जैसे कुछ क्षेत्र, जो कभी इस मार्ग का हिस्सा थे, 1997 में UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किए गए, जिससे इसकी ऐतिहासिक पहचान बनी रही।
चामा मार्ग (Tea Horse Road) का महत्व:
- आर्थिक आदान–प्रदान को बढ़ावा:
- इस मार्ग ने भारत, तिब्बत और चीन के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया।
- चाय, मसाले, औषधीय जड़ी–बूटियां और कपड़ा उद्योग को बढ़ावा मिला।
- सैन्य शक्ति में वृद्धि: इस मार्ग सेतिब्बती युद्ध घोड़े चीन की सेना को मिलते थे, जिससे उनकीसैन्य क्षमता बढ़ी।
- सांस्कृतिक आदान–प्रदान का माध्यम: इस मार्ग सेबौद्ध धर्म का प्रसारहुआ और तिब्बत-भारत-चीन के बीच धार्मिक, औषधीय और वस्त्र संस्कृति का आदान-प्रदान हुआ।
- ऐतिहासिक पर्यटन का केंद्र: चामा मार्ग के कुछ हिस्सों को UNESCO विरासत स्थल के रूप में संरक्षित किया जा रहा है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।