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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UN Peacekeeping) | Apni Pathshala

UN Peacekeeping

UN Peacekeeping

संदर्भ:

भारत ने यह स्पष्ट किया है कि शांति स्थापना अभियानों की वास्तविक प्रभावशीलता तभी संभव है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किए जाएं। इन सुधारों से परिषद को वह वैधता मिलेगी, जो वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाली संरचना से आती है, न कि पुरानी शक्ति समीकरणों से।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UN Peacekeeping):
  • UNDPO की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (UN Peacekeeping) का संचालन संयुक्त राष्ट्र शांति संचालन विभाग (UNDPO) द्वारा किया जाता है। इसका उद्देश्य संघर्ष-पीड़ित देशों को स्थायी शांति की ओर आगे बढ़ने में सहायता करना है।
  • मूलभूत सिद्धांत:
    1. संबंधित पक्षों की सहमति (Consent of the Parties)
    2. निष्पक्षता (Impartiality)
    3. बल प्रयोग से परहेज़, सिवाय आत्मरक्षा (Self-Defence) की स्थिति में
  • इतिहास: 1948 से अब तक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना ने 71 फील्ड मिशन संचालित किए हैं।
  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में लगभग 81,820 कर्मी चार महाद्वीपों में फैले 13 शांति अभियानों में कार्यरत हैं।
  • योगदान देने वाले देश: अब तक 119 देशों ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए सैन्य और पुलिस बल का योगदान दिया है।

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की भूमिका:

  • नागरिकों की सुरक्षा: शांति रक्षक (Peacekeepers) आम नागरिकों की रक्षा करते हैं और हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करते हैं।
  • संघर्ष की रोकथाम: यह बल संघर्ष को रोकने, हिंसा को कम करने और सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाने में मदद करता है।
  • राष्ट्रीय प्राधिकरण को सशक्त बनाना: शांति रक्षक स्थानीय/राष्ट्रीय प्राधिकरणों को सक्षम बनाते हैं ताकि वे स्वयं सुरक्षा और शांति की जिम्मेदारी संभाल सकें।
  • सामंजस्यपूर्ण रणनीति: इसके लिए सुरक्षा, शांति निर्माण और राजनीतिक रणनीति का आपसी तालमेल ज़रूरी होता है।
  • दीर्घकालिक शांति की नींव: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मेज़बान देशों को संघर्ष के प्रति अधिक सक्षम (Resilient) बनाती है। यह न केवल तत्काल हिंसा को कम करती है, बल्कि संघर्ष की मूल वजहों (Root Causes) को दूर करने पर भी ध्यान देती है, ताकि स्थायी शांति स्थापित हो सके।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में भारत की भूमिका:

ऐतिहासिक योगदान

  • अग्रणी भूमिका: भारत ने 1950 के दशक में कोरिया में चिकित्सा दल और सैनिक भेजकर शांति स्थापना में अपनी भागीदारी शुरू की।
  • प्रमुख सैनिक प्रदाता: भारत अब तक 2,90,000 से अधिक शांति रक्षक 50+ मिशनों में भेज चुका है।
    वर्तमान में भी भारत के 5,000 से अधिक सैनिक 9 सक्रिय मिशनों में सेवा दे रहे हैं।

भारत की विशेष भूमिकाएँ और योगदान

  • महिला शांति रक्षक: भारत ने महिलाओं की तैनाती में अग्रणी भूमिका निभाई।
  • UNITE AWARE प्लेटफॉर्म: भारत ने UNITE AWARE तकनीकी मंच विकसित किया, जिससे शांति रक्षकों की सुरक्षा और निगरानी क्षमता बढ़ी।
  • रणनीतिक नेतृत्व: भारत ने कई फोर्स कमांडर और वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर अधिकारी उपलब्ध कराए।
  • सुरक्षा और समावेश: भारत लगातार शांति रक्षकों की सुरक्षा और समावेश (Inclusion) को बढ़ावा देने वाले अभियानों का समर्थन करता रहा है।

आवश्यक UNSC सुधार:

  • वैधता और प्रतिनिधित्व: स्थायी और अस्थायी सदस्यता का विस्तार कर भारत, ब्राज़ील, जर्मनी, जापान और अफ्रीकी देशों को शामिल करना।
  • संचालन दक्षता: यथार्थवादी व समयबद्ध जनादेश तय करना, मिशनों को ठोस राजनीतिक परिणामों से जोड़ना।
  • सैनिक योगदान देने वाले देशों की भागीदारी: जनादेश की तैयारी और समीक्षा में शामिल करना ताकि रणनीति ज़मीनी हकीकत पर आधारित हो।
  • वित्तीय स्थिरता: सदस्यता विस्तार से वित्तीय जिम्मेदारी का बंटवारा और संसाधनों के अनुरूप जनादेश तय करना।
  • नए खतरों के अनुकूलन: आतंकवाद, साइबर हमले, दुष्प्रचार और हाइब्रिड वारफेयर से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक (AI, ड्रोन, जियोस्पेशल मैपिंग) का उपयोग करना।

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