UNTCC Chief Conclave 2025
संदर्भ:
UNTCC चीफ्स कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन भारतीय सेना द्वारा 14 से 16 अक्टूबर 2025 तक नई दिल्ली में किया गया। इस सम्मेलन में 32 देशों के सैन्य प्रमुखों ने भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UN Peacekeeping Operations) के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और रणनीतियों को मजबूत करना था।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन:
मुख्य विवरण:
- आयोजक: भारतीय सेना ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की।
- प्रतिभागी: 32 देशों के सेना प्रमुख, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र के उच्चाधिकारी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल हुए।
- स्थान: नई दिल्ली, भारत (दूसरे दिन आगरा का दौरा भी किया गया)।
- थीम: जटिल वैश्विक सुरक्षा माहौल में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों को अधिक प्रभावी और अनुकूल बनाने पर चर्चा। कार्यक्रम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना पर आधारित था।
प्रमुख निष्कर्ष एवं आयोजन:
- प्रौद्योगिकी पर जोर: सम्मेलन में स्वदेशी और किफायती तकनीकों के उपयोग को शांति अभियानों की सफलता का मुख्य आधार बताया गया। भारत की आत्मनिर्भर सैन्य प्रणालियों को प्रदर्शित करने हेतु डिफेंस एक्सपो आयोजित किया गया।
- राष्ट्रपति की सहभागिता: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिभागियों से संवाद करते हुए भारतीय शांति सैनिकों के योगदान की सराहना की और तकनीकी नवाचार व सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया।
- विदेश मंत्री का संबोधन: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में शांति अभियानों को नई वैश्विक वास्तविकताओं — जैसे असममित युद्ध और गैर-राज्य तत्वों की बढ़ती भूमिका — के अनुरूप ढालने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- द्विपक्षीय बैठकें: विभिन्न देशों के सेना प्रमुखों ने परस्पर रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए द्विपक्षीय चर्चाएं कीं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: प्रतिनिधियों ने ताजमहल सहित भारत की सांस्कृतिक विरासत का अनुभव किया। दिल्ली में लाल किले पर प्रकाश और ध्वनि शो जैसे आयोजन भी किए गए।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान (UN Peacekeeping): संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान उन देशों की सहायता के लिए संचालित किए जाते हैं जो संघर्ष से उभरकर स्थायी शांति की ओर बढ़ रहे होते हैं। इन अभियानों में शामिल सैनिक, पुलिसकर्मी और नागरिक कर्मी — जिन्हें “ब्लू हेलमेट्स” कहा जाता है — सदस्य देशों से आते हैं और संघर्षोत्तर क्षेत्रों में शांति प्रक्रियाओं की निगरानी व समर्थन करते हैं।
मुख्य सिद्धांत:
- पक्षों की सहमति: मिशन की तैनाती केवल तब होती है जब मेज़बान देश और संबंधित पक्षों की सहमति प्राप्त हो।
- निष्पक्षता: शांति सैनिकों को किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहिए; निष्पक्षता का अर्थ निष्क्रियता नहीं है, बल्कि जनादेश के पालन में संतुलित कार्रवाई है।
- बल प्रयोग की मनाही: आत्मरक्षा या मिशन के जनादेश की रक्षा के अतिरिक्त बल का प्रयोग नहीं किया जाता। सुरक्षा परिषद इसकी स्वीकृति देती है।
कार्य और जनादेश (Functions and Mandate):
- संघर्षविराम की निगरानी से आगे बढ़ते हुए आधुनिक शांति अभियानों का दायरा व्यापक है।
- मुख्य भूमिकाएँ:
- नागरिकों की सुरक्षा
- राजनीतिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना
- Disarmament, Demobilization and Reintegration (DDR) कार्यक्रमों में सहायता
- चुनावों का समर्थन
- मानवाधिकारों और विधि के शासन को बढ़ावा देना
संरचना और कार्मिक (Structure and Personnel):
- संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी कोई स्थायी सेना नहीं है।
- सदस्य देश स्वेच्छा से सैनिक, पुलिस और नागरिक विशेषज्ञ उपलब्ध कराते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के कमान तंत्र के अधीन कार्य करते हैं।
- इन अभियानों का समन्वय Department of Peace Operations (DPO) और Department of Operational Support (DOS) द्वारा किया जाता है।
प्रमुख तथ्य और योगदान (Key Facts and Contributions):
- पहला शांति मिशन UNTSO (United Nations Truce Supervision Organization) वर्ष 1948 में मध्य पूर्व में तैनात किया गया था।
- अब तक 70 से अधिक मिशनों में 2 मिलियन से अधिक व्यक्तियों ने सेवा दी है।
- प्रमुख सैनिक योगदानकर्ता देश: बांग्लादेश, भारत, और नेपाल।
- यह अभियान राष्ट्रीय सैन्य तैनातियों की तुलना में अधिक किफायती माने जाते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को 1988 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष:
UN Peacekeeping विश्वभर में संघर्षोत्तर समाजों में विश्वास बहाली, लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती और मानवाधिकारों की रक्षा में एक प्रभावी उपकरण साबित हुआ है — जो “वैश्विक शांति और साझी मानवता” के आदर्श को साकार करता है।