Watershed Mahotsav 2025
संदर्भ
इस वर्ष नवंबर 2025 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में वॉटरशेड महोत्सव (Watershed Mahotsav) का उद्घाटन किया। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में सतत जल एवं मृदा संरक्षण के लिए समुदाय आधारित भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
वॉटरशेड महोत्सव क्या है?
- वॉटरशेड महोत्सव एक राष्ट्रीय स्तर का उत्सव है जो जल एवं मृदा संरक्षण में जनभागीदारी (Jan Bhagidari) के महत्व को रेखांकित करता है।
- इसका उद्देश्य नागरिकों, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, और स्थानीय निकायों को एक मंच पर लाना है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण और भूमि पुनर्जीवन (Land Rejuvenation) को सामूहिक प्रयासों से आगे बढ़ाया जा सके।
मुख्य आयोजन स्थल
- 2025 में मुख्य कार्यक्रम लोयोला पब्लिक स्कूल ग्राउंड, नल्लापाडु (गुंटूर) में आयोजित हुआ। इसमें केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री श्री कोनिडेला पवन कल्याण, और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासनी उपस्थित रहे।
पृष्ठभूमि
- यह पहल प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana – PMKSY) 2.0 के वॉटरशेड डेवलपमेंट कंपोनेंट (WDC) के अंतर्गत शुरू की गई है। इस योजना के तहत देशभर के वर्षा आधारित और क्षतिग्रस्त भूमि क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। इसके तहत—
- चेक डैम, तालाब और वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण,
- पौधरोपण और वनीकरण,
- मृदा एवं नमी संरक्षण,
- भूमि रहित परिवारों के लिए आजीविका कार्यक्रम
मुख्य विशेषताएँ
- मिशन वॉटरशेड रिवाइटलाइजेशन: महोत्सव के दौरान “मिशन वॉटरशेड रिवाइटलाइजेशन (Mission Watershed Revitalisation)” की शुरुआत की गई। इसका लक्ष्य पुराने वॉटरशेड ढांचों की मरम्मत और रखरखाव है ताकि वे दीर्घकालिक रूप से उपयोगी बने रहें।
- एमजीएनरेगा का समावेश: जल एवं मृदा संरक्षण कार्यों के लिए मनरेगा (MGNREGA) के फंड का उपयोग किया जाएगा, जिससे रोजगार सृजन के साथ पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।
- समुदायिक गतिविधियाँ: महोत्सव के अंतर्गत देशभर में श्रमदान (Shramdaan), पौधरोपण, सफल परियोजनाओं का उद्घाटन, तथा वॉटरशेड जनभागीदारी कप 2025 जैसे पुरस्कारों का वितरण किया गया।
- राज्य स्तर पर आयोजन: यह महोत्सव केवल राष्ट्रीय नहीं बल्कि राज्य और परियोजना स्तर पर भी मनाया जाएगा ताकि हर स्तर पर समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके।
राष्ट्रीय महत्व
- जलवायु सहनशीलता (Climate Resilience): यह कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में जल-सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- सतत कृषि को प्रोत्साहन: इससे किसानों को जल संरक्षण तकनीक और मृदा सुधार के माध्यम से बेहतर उत्पादकता मिलती है।
- समुदाय सशक्तिकरण: स्थानीय लोगों की भूमिका केंद्र में रखकर “जन भागीदारी से जन कल्याण” की भावना को साकार किया गया है।
- संवर्धित पारिस्थितिकी तंत्र: जल-स्रोतों के पुनर्जीवन से भूमि की उर्वरता और जैव विविधता में वृद्धि होती है।

