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भारत में जेलों पर रिपोर्ट

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भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसंधान विंग, सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट भारतीय जेल प्रणाली की जटिलताओं और सुधार के उपायों पर आधारित है। रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों के माध्यम से सुधारों की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना है।

भारत में जेलों पर रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  1. रूढ़िबद्धता: जेल नियमावलियों में अक्सर श्रम के लिए “नीच” या “अपमानजनक” दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जिससे जेल कार्यों में पदानुक्रमिक दृष्टिकोण बना रहता है। यह कार्यों की सफाई और संरक्षण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  2. जमानत अस्वीकृति: जमानत आवेदनों की अस्वीकृति दर बहुत अधिक है। सत्र न्यायालयों में 3% और मजिस्ट्रेट न्यायालयों में 16.2% मामलों में जमानत अस्वीकृत होती है, जो न्यायिक प्रक्रियाओं में देरी को दर्शाता है।
  3. धीमी सुनवाई: 2023 में 52% से अधिक मामले, जिनमें अभियुक्त एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रहे, साक्ष्य के स्तर पर अभी भी लंबित थे, जिससे जेलों में क़ैदियों की भीड़ बढ़ने का कारण बनता है।
  4. अन्य समस्याएँ: जेलों में हाथ से मैला ढोने की प्रथा अभी भी जारी है, जो असंवैधानिक मानी गई है (जैसे कि सुकन्या शांता मामले में)। इसके अलावा, जातिवाद आधारित जेल कार्यों का विभाजन और खुली जेलों का कम उपयोग भी रिपोर्ट में उल्लिखित किया गया है।

जेल सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग:

  1. ई-कारागार: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा विकसित एक प्रौद्योगिकी समाधान, जिसे ‘ई-कारागार’ कहा जाता है, का उद्देश्य जेल और कैदी प्रबंधन से संबंधित सभी गतिविधियों को एकीकृत करना है। यह प्रणाली जेलों की प्रबंधन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक प्रभावी बनाती है।
  2. आदर्श कारागार एवं सुधारात्मक सेवा अधिनियम, 2023: इस अधिनियम के तहत, कैदियों को जेल अवकाश प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, जिससे उनकी निगरानी बेहतर तरीके से हो सकेगी और जेल में भीड़भाड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा।
  3. फास्टर (FASTR) प्रणाली: यह प्रणाली न्यायालयों से जेल तक जमानत आदेशों के प्रसारण में होने वाली देरी को कम करती है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में शीघ्रता आती है।
  4. अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (ICJS): यह प्रणाली अदालतों, पुलिस और जेलों के बीच एक स्वचालित चैनल स्थापित करने का प्रयास करती है, जो हिरासत के मामलों में अनुचित देरी को कम कर सकती है और न्यायिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और त्वरित बना सकती है।

निष्कर्ष: यह रिपोर्ट जेलों में सुधार और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से सुधारात्मक कदमों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम दिखाती है। प्रौद्योगिकी को जेल प्रबंधन में लागू करने से न्यायिक प्रक्रिया में तेजी, पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, और इसके परिणामस्वरूप जेलों में भीड़भाड़ कम करने में मदद मिल सकती है।

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