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मारबर्ग वायरस रोग

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रवांडा ने पहली बार सामने आए मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) के प्रकोप को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर लिया है और 42 दिनों तक कोई नया मामला न आने के बाद इसे आधिकारिक रूप से समाप्त घोषित कर दिया है।

मारबर्ग वायरस रोग (MVD) के बारे में:

मारबर्ग वायरस रोग (MVD), जिसे पहले मारबर्ग हेमोरेजिक फीवर के रूप में जाना जाता था, एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरल संक्रमण है, जो मनुष्यों और गैर-मानव प्राइमेट्स (जैसे बंदरों) को प्रभावित करता है।

कारक (Causative Agent):

  • यह बीमारी मारबर्ग वायरस के कारण होती है, जो एक अनोखा जूनोटिक आरएनए वायरस है।
  • मारबर्ग वायरस और इबोला वायरस, दोनों फिलोविरिडे परिवार (Filoviridae) के सदस्य हैं।
  • इसका नाम जर्मनी के मारबर्ग शहर से लिया गया है, जहां 1967 में इसे पहली बार उन प्रयोगशाला कर्मियों में पहचाना गया था, जो यूगांडा से आयातित संक्रमित हरे बंदरों (ग्रीन मंकी) के संपर्क में आए थे।
  • इस वायरस का प्राकृतिक रिजर्व होस्ट अफ्रीकी फ्रूट बैट (Rousettus aegyptiacus) है।

संक्रमण का प्रसार (Transmission)

  • यह वायरस चमगादड़ों से प्राइमेट्स (मानव सहित) तक और फिर संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से फैलता है।
  • दूषित सतहों, सुइयों और चिकित्सा उपकरणों के माध्यम से भी वायरस का प्रसार हो सकता है।

मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण (Symptoms):

  • बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द।
  • धड़ पर सपाट और उभरे हुए दानों के साथ त्वचा पर रैश
  • सीने में दर्द, गले में खराश, मितली, उल्टी और दस्त।
  • लीवर फेल होना, भ्रम (डेलिरियम), शॉक।
  • आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव (हेमोरेज) और बहु-अंग विफलता।

मृत्यु दर (Fatality)

  • औसत मृत्यु दर: लगभग 50%।
  • मृत्यु दर 24% से 88% तक अलग-अलग रही है, जो वायरस के स्ट्रेन और इलाज पर निर्भर करती है।

मारबर्ग वायरस रोग का इलाज (Treatment):

  • वर्तमान में मारबर्ग वायरस के लिए कोई विशिष्ट टीका या दवा उपलब्ध नहीं है।
  • सहायक उपचार (Supportive Therapy):
    • अंतःशिरा तरल पदार्थ (Intravenous Fluids)।
    • इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना।
    • पूरक ऑक्सीजन।
    • रक्त और रक्त उत्पादों का प्रतिस्थापन।
  • जल्दी पहचान और तीव्र देखभाल से जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।

महत्वपूर्ण तथ्य (Key Facts):

  • रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे उच्च प्राथमिकता वाले रोगों में शामिल करते हैं।
  • अफ्रीका के देशों जैसे युगांडा, अंगोला, कांगो, और घाना में इसके प्रकोप पहले देखे जा चुके हैं।
  • निवारण (Prevention): संक्रमित व्यक्तियों से दूरी, सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग, और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सख्त प्रोटोकॉल पालन आवश्यक है

वायरस:

  1. परिभाषा: वायरस एक संक्रामक कारक है जो केवल एक मेजबान जीव के अंदर ही अपनी संख्या बढ़ा सकता है।
  2. संक्रमण क्षमता: वायरस बैक्टीरिया, पौधों और जानवरों सहित विभिन्न जीवों को संक्रमित कर सकता है।
  3. आकार: वायरस इतना छोटा होता है कि इसे देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है।
  4. संरचना: जब वायरस अपने मेजबान से अलग होता है, तो यह एक प्रोटीन खोल (कैप्सिड) में बंद एक वायरल जीनोम या आनुवंशिक सामग्री से बना होता है।

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