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हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट

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संदर्भ:

लिंगानुपात में गिरावट: 2024 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात में चिंताजनक गिरावट दर्ज की, जो 1,000 लड़कों पर केवल 910 लड़कियों तक पहुँच गया, जो पिछले आठ वर्षों का सबसे निचला स्तर है। इस आंकड़े ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज को चिंतित किया है, जबकि सरकारी अधिकारियों ने इसे मामूली उतार-चढ़ाव बताया है।

  • लिंग अनुपात महिलाओं की स्थिति और समाज में लैंगिक समानता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में जन्म के समय लिंग अनुपात 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार 929 दर्ज किया गया था।

हरियाणा में जन्म के लिंगानुपात में गिरावट:

स्थिति:

  • 2024 में जन्म के समय लिंगानुपात 910 रहा, जो 2019 के 923 के मुकाबले 8 साल में सबसे कम है।
  • 2024 में जन्मे कुल 5,16,402 बच्चों में:
    • लड़के: 52.35%
    • लड़कियां: 47.64%

हालिया प्रवृत्तियां:

  • 2024 में लिंगानुपात:
    • कुल 2,70,354 लड़के और 2,46,048 लड़कियां पैदा हुईं, जिससे लिंगानुपात 910 हो गया।
    • 2023 में: लिंगानुपात 916 था।
    • 2019 में: यह 923 पर पहुंचा था, जो हाल के वर्षों में सबसे अच्छा था।
  • गिरावट: 2019 के बाद लिंगानुपात में गिरावट का रुझान चिंता का विषय है।

लिंगानुपात की परिभाषा:

  • जन्म के समय लिंगानुपात: प्रति 1,000 लड़कों पर जन्मी लड़कियों की संख्या।
  • कुल लिंगानुपात: किसी आबादी में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या।

पिछले सुधार के कारण:

  1. पीएनडीटी अधिनियम, 1994:
    • भ्रूण जांच रोकने के लिए सख्त क्रियान्वयन।
    • जागरूकता अभियान ने 2014-2019 के बीच सुधार में योगदान दिया।

हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति:

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:

  • 2014 में लिंगानुपात: हरियाणा में 871, जो चिंताजनक रूप से कम था।
  • सुधार की शुरुआत:
    • व्यापक विरोध और सरकार व नागरिक समाज के प्रयासों ने इस मुद्दे को प्राथमिकता दी।
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान (2015): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या रोकना और लड़कियों का कल्याण सुनिश्चित करना था।

हालिया गिरावट के कारण:

  1. कानून लागू करने में शिथिलता: महिला भ्रूण हत्या रोकने वाले कानूनों का अनुपालन कमजोर हुआ है।
  2. मानसिकता में बदलाव की कमी: समाज में अभी भी बेटियों को समान महत्व देने की सोच पूरी तरह विकसित नहीं हुई।
  3. केवल लड़काकी अवधारणा: घटती जमीनों के कारण कुछ परिवार अब केवल लड़के को प्राथमिकता देने लगे हैं।

भारत में लिंगानुपात: आँकड़े और विश्लेषण

जनगणना 2011

  • राष्ट्रीय स्तर पर लिंगानुपात: 943 (ग्रामीण क्षेत्रों में 949 और शहरी क्षेत्रों में 929)।
  • आयु वर्ग अनुसार लिंगानुपात:
    • 0-19 आयु वर्ग: 908
    • 60+ आयु वर्ग: 1033
  • आर्थिक रूप से सक्रिय आयु वर्ग (15-59 वर्ष): 944
  • राज्यों में उच्चतम लिंगानुपात:
    • केरल (1084)
    • पुडुचेरी (1037)
  • न्यूनतम लिंगानुपात:
    • दमन और दीव (618)
    • दादरा और नगर हवेली (774)
    • चंडीगढ़ (818)

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2021 (NFHS-5)

  • जन्म के समय लिंगानुपात: 929
  • देश की कुल जनसंख्या का लिंगानुपात: 1020

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