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संदर्भ:
एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने छह प्रजातियों की पहचान की है, जो एलेट्टारिया कार्डामोमम (Elettaria cardamomum), जिसे आमतौर पर हरी इलायची के रूप में जाना जाता है, की नज़दीकी संबंधी हैं।
नई इलायची प्रजातियों की खोज:
- पृष्ठभूमि:
- हरी इलायची (Elettaria cardamomum) को पहले इसके जीनस की एकमात्र प्रजाति माना जाता था।
- शोधकर्ताओं ने अब इससे संबंधित छह अन्य प्रजातियों की पहचान की।
- इनमें से चार प्रजातियाँ पहले अलग जीनस (Alpinia) में रखी गई थीं।
- नई खोज:
- केरल के पश्चिमी घाट में दो नई प्रजातियाँ खोजी गईं:
- Elettaria facifera
- Elettaria tulipifera
- केरल के पश्चिमी घाट में दो नई प्रजातियाँ खोजी गईं:
भौगोलिक वितरण:
- Elettaria facifera → पेरियार टाइगर रिजर्व, इडुक्की जिला।
- Elettaria tulipifera → अगस्त्यमलाई हिल्स (तिरुवनंतपुरम) और मुन्नार (इडुक्की)।
विशेष विशेषताएँ:
- Elettaria facifera:
- इसका फल खुले–मुँह के आकार का होता है।
- मन्नान जनजाति इसे ‘वाई नोकी एलम’ कहती है।
- Elettaria tulipifera:
- इसकी ट्यूलिप के आकार की फूल संरचना होती है।
- इसमें बड़े, लाल रंग के ब्रैक्ट्स पाए जाते हैं।
इलायची (Cardamom) के बारे में
- परिचय:
- “मसालों की रानी“ के रूप में प्रसिद्ध।
- वैज्ञानिक नाम: Elettaria cardamomum।
- जिंजिबेरेसी (Zingiberaceae) परिवार से संबंधित एक सुगंधित मसाला।
- उत्पत्ति और उत्पादन क्षेत्र:
- पश्चिमी घाट के सदाबहार वर्षा वनों का मूल निवासी।
- भारत में मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में खेती होती है।
इलायची की खेती के लिए आवश्यक जलवायु:
- वर्षा: 1500–4000 मिमी प्रति वर्ष।
- तापमान: 10°C से 35°C।
- ऊँचाई: 600–1500 मीटर समुद्र तल से ऊपर।
- मिट्टी: अम्लीय (pH 5.0–6.5), दोमट (loamy) और ह्यूमस-समृद्ध वन मिट्टी।
राज्यवार उत्पादन:
- केरल: भारत के कुल उत्पादन का 58% योगदान।
- प्रमुख उत्पादक क्षेत्र: इडुक्की जिला।
- कर्नाटक: मुख्य रूप से कोडागु और चिकमंगलूर जिलों में उत्पादन।
- तमिलनाडु: नीलगिरि पहाड़ियों में खेती की जाती है।
नई इलायची प्रजातियों की खोज का महत्व
- जैव विविधता संरक्षण: पश्चिमी घाट की समृद्ध वनस्पति को उजागर करता है, जो एक वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
- आनुवंशिक संसाधन: नई इलायची किस्मों के विकास की संभावनाएँ, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता और अधिक उपज जैसे बेहतर गुण हो सकते हैं।
- आर्थिक प्रभाव: भारत के इलायची उत्पादन और निर्यात को मजबूती, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा (ग्वाटेमाला के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश) में बढ़ोतरी हो सकती है।