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संदर्भ:
बौद्धिक संपदा की चोरी SC/ST अधिनियम: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और इसके तहत बनाए गए नियम, 1995 के तहत बौद्धिक संपदा हानि के लिए मुआवजे के मुद्दे पर निर्णय दिया गया था।
बौद्धिक संपदा की चोरी पर न्यायालय के अवलोकन:
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (SC/ST) अधिनियम के तहत “संपत्ति” (Property) में भौतिक और अमूर्त दोनों प्रकार की संपत्तियाँ शामिल हैं। इसमें शामिल हैं:
- बौद्धिक संपदा (Intellectual Property): पेटेंट, कॉपीराइट।
- डिजिटल डेटा: इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत जानकारी।
- इलेक्ट्रॉनिक सामग्री: ऑनलाइन दस्तावेज़ और डिजिटल संसाधन।
फैसले का प्रभाव:
- बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) को अब SC/ST अधिनियम के तहत “संपत्ति” के रूप में मान्यता मिली।
- इससे बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और मुआवजे का प्रावधान लागू होगा।
- शोधकर्ताओं, विद्वानों और हाशिए पर मौजूद समूहों को बौद्धिक संपदा की चोरी से बचाने के लिए कानूनी सुरक्षा मजबूत होगी।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989:
SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, 1989 का उद्देश्य SC/ST समुदायों के खिलाफ अत्याचार और घृणा अपराधों को रोकना है।इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए SC/ST (PoA) नियम, 1995 बनाए गए।
मुख्य प्रावधान:
- अत्याचार की परिभाषा: शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न, सामाजिक भेदभाव, बंधुआ मजदूरी, आगजनी, भूमि अधिकारों से वंचित करना, सार्वजनिक रूप से जातिसूचक अपमान, जबरन कपड़े उतरवाना आदि।
- पहचान किए गए क्षेत्र (Atrocity Prone Areas): SC/ST समुदायों के लिए अत्याचार संभावित क्षेत्रों की पहचान कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय अपनाए जाते हैं।
- विशेष न्यायालयों की स्थापना: प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालय स्थापित किए जाते हैं ताकि मामलों का शीघ्र निपटारा और पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित हो सके।
- जमानत प्रतिबंध: अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) की अनुमति नहीं है, जब तक कि आरोपी के खिलाफ प्राथमिक साक्ष्य न हो।
- जांच प्रक्रिया:
- DSP (उप पुलिस अधीक्षक) या उच्च अधिकारी द्वारा जांच अनिवार्य।
- 30 दिनों के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट DSP को भेजनी होगी।
- सीमाएँ: SC और ST के बीच आपसी अपराध इस अधिनियम के दायरे में नहीं आते।
- सजा:
- न्यूनतम 6 महीने की सजा।
- अत्याचार की गंभीरता के आधार पर अधिकतम सजा में आर्थिक दंड, आजीवन कारावास और मृत्यु दंड तक का प्रावधान।