संदर्भ:
पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगभग सभी व्यापारिक साझेदार देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की। यह कदम मुक्त व्यापार और वैश्वीकरण की अमेरिकी नीति से बड़ा बदलाव माना जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 26% टैरिफ (रेसिप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ) लगाने का ऐलान किया।
अमेरिका ने आयात पर नए टैरिफ लगाए:
- अमेरिका ने विभिन्न देशों से आने वाले आयातित सामान पर नए टैरिफ लगाने का फैसला किया है। इसके तहत—
- भारत पर 26%
- चीन पर 34%
- यूरोपीय यूनियन पर 20%
- दक्षिण कोरिया पर 25%
- जापान पर 24%
- वियतनाम पर 46%
- ताइवान पर 32% टैरिफ लगाया जाएगा।
- इसके अलावा, अमेरिका ने लगभग 60 देशों पर उनके टैरिफ की तुलना में आधा टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है।
पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff) क्या हैं?
पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff) एक कर या व्यापारिक प्रतिबंध है, जो किसी देश द्वारा दूसरे देश पर उसी तरह की कार्रवाई के जवाब में लगाया जाता है। इसका उद्देश्य देशों के बीच व्यापार में संतुलन बनाए रखना होता है। यदि एक देश दूसरे देश से आने वाले सामान पर टैरिफ बढ़ाता है, तो प्रभावित देश भी पहले देश से होने वाले आयात पर टैरिफ लगाकर प्रतिक्रिया दे सकता है।
भारत पर प्रभाव:
- निर्यात महंगा होगा: अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाता है, जिससे टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटो पार्ट्स जैसी भारतीय उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
- व्यापार घाटा घटेगा: भारत को अमेरिका से रक्षा उपकरण, तेल और गैस जैसी वस्तुओं का अधिक आयात करना पड़ सकता है, जिससे $38 अरब के व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) में कमी आएगी।
- रुपया कमजोर हो सकता है: आयात बढ़ने से अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ेगी, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है और भारत का आयात खर्च बढ़ सकता है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत‘ पर असर: यदि अमेरिका भारत पर अमेरिकी सामान खरीदने का दबाव डालता है, तो भारत की स्वदेशी उत्पादन नीति प्रभावित हो सकती है।
- विदेशी निवेश पर प्रभाव: अमेरिकी कंपनियां उच्च टैरिफ से बचने के लिए भारत में स्थानीय उत्पादन शुरू कर सकती हैं, जिससे FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को बढ़ावा मिल सकता है।