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आर्कटिक बोरियल ज़ोन / Arctic Boreal Zone

संदर्भ:

Nature पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, जंगल की आग की बढ़ती तीव्रता के चलते आर्कटिक बोरेल ज़ोन (Arctic Boreal Zone) का 30% से अधिक क्षेत्र अब कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता खो चुका है और इसके विपरीत, वह अब वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जित कर रहा है।

Arctic Boreal Zone (ABZ) –

भौगोलिक स्थिति:

  • यह क्षेत्र आर्कटिक सर्कल के पार फैला हुआ है, जिसमें अलास्काउत्तरी यूरोप, और साइबेरिया के हिस्से शामिल हैं।
  • इसमें मुख्य रूप से टुंड्राकोनिफेरस वनवेटलैंड्स, और पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्र पाए जाते हैं।

कार्बन सिंक के रूप में भूमिका:

  • ABZ लंबे समय से एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक रहा है, जो वातावरण से बड़ी मात्रा में CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) को अवशोषित करता है।
  • इसके वनमिट्टी, और जमी हुई परत (permafrost) में कार्बन संग्रहित रहता है।
  • विशेष रूप से, टुंड्रा और वेटलैंड्स में जैविक पदार्थ के रूप में कार्बन जमा रहता है जो ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है

वैश्विक महत्व:

  • यह क्षेत्र ग्लोबल कार्बन चक्र को संतुलित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
  • यदि यह जमा हुआ कार्बन पिघलता है, तो वायुमंडल में भारी मात्रा में CO₂ और मीथेन उत्सर्जित हो सकता है, जो जलवायु परिवर्तन को और तेज कर सकता है

 

हाल की जंगल की आग और पर्यावरणीय प्रभाव:

अमेरिका और जापान में हाल की घटनाएँ:

  • जनवरी 2025 में, टेक्सास, ओक्लाहोमा, औरलॉस एंजेलिस में भयंकर जंगल की आग लगी।
  • इस आग में लगभग300 घर नष्ट, 28 लोगों की मृत्यु, और 16,000 हेक्टेयर भूमि जलकर खाक हो गई।

पर्यावरणीय प्रभाव:

  • Copernicus Air Monitoring Service (CAMS) के अनुसार, जनवरी 2025 में 8 लाख टन कार्बनवायुमंडल में छोड़ा गया — यह आंकड़ा 10 साल पहले की तुलना में 4 गुना ज्यादा है।
  • NASA के Terra और Aqua उपग्रहोंने आग की गर्मी को 2003 से अब तक के औसत से कहीं ज्यादा पाया।

भारत में जंगल की आग:

  • भारत की ताज़ा Forest Report (दिसंबर 2024) मेंउत्तराखंड, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ में गंभीर आग की घटनाएं दर्ज की गईं।
  • उत्तराखंड में नवंबर 2022 से जून 2023 तक 5,315 जंगल की आगकी घटनाएं हुईं।
  • पूरे भारत मेंफायर हॉटस्पॉट की संख्या में गिरावट दर्ज हुई — 2021-22 में 23 लाख से घटकर 2023-24 में 2.03 लाख रह गई।

जलवायु परिवर्तन और जंगल की आग:

  • शोध के अनुसार, भारत में बढ़ता ज़मीन का तापमानजंगल की आग के अनुकूल स्थितियाँ पैदा कर रहा है।
  • हीट वेवअब पहले की तुलना में जल्दी शुरू, धीमी गति से चल रही हैं, और लंबे समय तक टिक रही हैं।
  • भारत में जंगल की आग से हर साल लगभग9 करोड़ टन CO₂ उत्सर्जितहोता है, जिससे प्राकृतिक कार्बन सिंक (carbon sinks) पर असर पड़ता है

निष्कर्ष: जंगल की आग अब केवल स्थानीय आपदा नहीं रह गई है — यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत बन चुकी है।

 

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