Cloud Seeding
संदर्भ:
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के तहत क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) परीक्षणों को मंजूरी दी है, जिसके लिए लगभग ₹3.2 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है।
क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding)-
- परिचय:
- क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसका उद्देश्य बादलों से वर्षा को बढ़ाना है।
- इसमें बादलों में ऐसे पदार्थों को प्रविष्ट कराया जाता है जो बादल संघनन या बर्फ के नाभिक (cloud condensation or ice nuclei) के रूप में कार्य करते हैं।
- प्रक्रिया:
- क्लाउड सीडिंग के लिए विमान या रॉकेट का उपयोग किया जाता है।
- ये उपकरण सीडिंग एजेंट को वायुमंडल में छोड़ते हैं।
- मुख्य सीडिंग एजेंट:
- सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide)
- पोटैशियम आयोडाइड (Potassium Iodide)
- ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड)
- तरल प्रोपेन (Liquid Propane)
- उद्देश्य:
- वर्षा को बढ़ाना: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा कराना।
- धूल को कम करना: वायुमंडल में धूल कणों का निपटान।
- ओलावृष्टि नियंत्रण: फसलों और संपत्तियों को ओलों से बचाना।
- वायु गुणवत्ता में सुधार: कणों को नीचे गिराकर वायु प्रदूषण को कम करना।
- महत्व:
- कृषि में सहायक: सूखे के दौरान फसलों को पानी मिल सकता है।
- जल संग्रहण: जलाशयों और बांधों में पानी की मात्रा को बढ़ा सकता है।
- प्राकृतिक आपदाओं से बचाव: ओलावृष्टि जैसी आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकता है।
- चुनौतियाँ:
- प्रभावशीलता: सभी क्षेत्रों में इसकी सफलता समान नहीं होती।
- पर्यावरणीय प्रभाव: सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायनों के दीर्घकालिक प्रभावों पर शोध जारी है।
- नैतिक प्रश्न: क्या वर्षा को कृत्रिम रूप से प्रेरित करना उचित है?
क्लाउड सीडिंग से जुड़ी चिंताएँ–
- रसायनों का उपयोग:
- प्राकृतिक पर्यावरण पर प्रभाव: क्लाउड सीडिंग में उपयोग होने वाले कुछ रसायन, जैसे सिल्वर आयोडाइड, संभावित रूप से प्राकृतिक पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- मृदा और जल प्रदूषण: बारिश के साथ ये रसायन मिट्टी और जल स्रोतों में मिल सकते हैं।
- इसका पौधों और फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर उन पर जो वर्षा जल पर निर्भर हैं।
- वर्षा का पुनर्वितरण:
- प्राकृतिक वर्षा चक्र में हस्तक्षेप: किसी एक क्षेत्र में कृत्रिम रूप से वर्षा उत्पन्न करने से आस–पास के क्षेत्रों में वर्षा की कमी हो सकती है।
- सूखे की संभावना: एक क्षेत्र में अधिक वर्षा का मतलब हो सकता है कि दूसरे क्षेत्रों में कम वर्षा हो, जिससे सूखा जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- उच्च लागत:
- तकनीकी और वित्तीय चुनौतियाँ: क्लाउड सीडिंग के लिए विशेष विमान, मौसम विशेषज्ञता, और सटीक समय निर्धारण की आवश्यकता होती है।
- लागत–लाभ विश्लेषण: यह प्रक्रिया मूल्यवान और लागत–प्रधान है, जिससे कई विकासशील देशों के लिए इसे लागू करना कठिन हो जाता है।
- निष्कर्ष:
क्लाउड सीडिंग के संभावित लाभों के बावजूद, इसके पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर गहन विचार आवश्यक है।
नीतिगत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी प्रभावशीलता और दीर्घकालिक प्रभावों पर अधिक शोध की आवश्यकता है।