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कोस्मोस 482 (cosmos 482) | by Apni Pathshala

cosmos 482

संदर्भ:

सोवियत संघ द्वारा 1972 में लॉन्च किया गया अंतरिक्ष यान कोस्मोस 482—जो मूल रूप से शुक्र ग्रह पर उतरने के लिए भेजा गया था, अंततः 53 वर्षों के बाद को पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया। यह अंतरिक्ष यान इंडोनेशिया के जकार्ता के पश्चिमी तट के पास हिंद महासागर में गिरा।

कोस्मोस 482 मिशन: सोवियत अंतरिक्ष अन्वेषण

  • लॉन्च तिथि: 31 मार्च, 1972
  • उद्देश्य: शुक्र ग्रह का अन्वेषण
  • कार्यक्रम: वीनस मिशन का हिस्सा (वेनरा कार्यक्रम)
  • प्रसंग: शीत युद्ध के दौरान तकनीकी और वैज्ञानिक श्रेष्ठता का प्रदर्शन

प्रमुख तथ्य:

  • कोस्मोस 482 को वीनस मिशन के तहत लॉन्च किया गया था।
  • यह मिशन वीनस 8 के चार दिन बाद लॉन्च हुआ था, जो सफलतापूर्वक शुक्र पर 117 दिनों में उतरा।
  • मिशन के मुख्य लक्ष्य:
    • शुक्र के वायुमंडल और सतह का अध्ययन
    • वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों का प्रदर्शन

उपकरण और अनुसंधान:

  • यंत्र:
    • तापमान, दबाव और हवा की गति मापने के उपकरण
    • वायुमंडलीय गैसों और चट्टानों की संरचना का अध्ययन
  • डेटा ट्रांसमिशन: पृथ्वी पर आंकड़ों का प्रसारण करने की क्षमता

शुक्र ग्रह को लक्ष्य बनाने के कारण:

  • घने बादलों के नीचे जीवन की संभावना
  • अंतरिक्ष अन्वेषण में रणनीतिक महत्व

वेनरा कार्यक्रम (1961-1984):

  • कुल 28 मिशन शुक्र की ओर प्रक्षेपित
  • 13 प्रोब शुक्र के वायुमंडल में प्रवेश
  • 10 प्रोब ने सफल लैंडिंग की, लेकिन केवल 23 मिनट से 2 घंटे तक ही कार्य कर सके (कठोर सतही परिस्थितियों के कारण)

मिशन विफलता:

  • प्रक्षेपण के तुरंत बाद रॉकेट में खराबी
  • ऊपरी रॉकेट चरण/इंजन समयरूपी खराबी के कारण जल्दी बंद हो गया
  • परिणाम:
    • अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में ही फंस गया
    • लैंडर मॉड्यूल मुख्य अंतरिक्ष यान से अलग हो गया
    • मुख्य अंतरिक्ष यान वातावरण में प्रवेश के दौरान जलकर नष्ट
    • लैंडर मॉड्यूल ने 50 से अधिक वर्षों तक पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा की
    • धीरे-धीरे कक्षा क्षीण होती गई, जिससे पुनः प्रवेश हुआ

चिंताएं:

  • अंतरिक्ष कचरा:
    • कोस्मोस 482 की पुनः प्रविष्टि ने अंतरिक्ष कचरे की बढ़ती समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया।
    • भारी और सघन वस्तुएं पृथ्वी के वायुमंडल में जलकर नष्ट नहीं होतीं, जिससे खतरा बना रहता है।
  • पर्यावरणीय क्षति:
    • पुनः प्रवेश के दौरान उपग्रहों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व पृथ्वी के वायुमंडल और ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन में योगदान का भी खतरा।

निष्कर्ष:

कोस्मोस 482 मिशन न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण की विफलता का प्रतीक है, बल्कि अंतरिक्ष कचरे और पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति जागरूकता का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

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