T-Bills
संदर्भ:
भारत ने मालदीव को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को आगे बढ़ा दिया है। यह सहायता 2019 से चल रही सरकार-से-सरकार की व्यवस्था के तहत जारी की गई है।
ट्रेजरी बिल (T-Bills):
परिभाषा:
- ट्रेजरी बिल एक अल्पकालिक ऋण उपकरण है जिसे भारत सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से जारी किया जाता है।
- यह सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) का हिस्सा है और अल्पकालिक धन जुटाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- पहली बार भारत में: 1917 में जारी किए गए।
- निवेश उद्देश्य: सुरक्षित और तरल निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त।
विशेषताएँ:
- शून्य कूपन प्रतिभूतियाँ:
- ब्याज भुगतान नहीं होता।
- छूट पर जारी और परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर पुनर्भुगतान।
- उदाहरण:
- ₹100 अंकित मूल्य का 91-दिवसीय T-बिल ₹98 पर जारी किया जा सकता है।
- लाभ: ₹100 – ₹98 = ₹2 (निवेशक की आय)।
भारत–मालदीव संबंध:
- रणनीतिक साझेदारी: मालदीव भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी और ‘पड़ोसी पहले’ नीति व ‘महासागर’ दृष्टिकोण (MAHASAGAR: Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) का महत्वपूर्ण भागीदार है।
- बहुपक्षीय मंचों में भागीदारी: दोनों देश SAARC, दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ और दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) के संस्थापक सदस्य हैं।
- आर्थिक साझेदारी: 1981 में व्यापार समझौता हुआ, जिसके तहत आवश्यक वस्तुओं के निर्यात का प्रावधान है।
- 2021 में द्विपक्षीय व्यापार 300 मिलियन डॉलर पार हुआ।
- 2022 में 500 मिलियन और 2023 में $548 मिलियन तक पहुंचा।
- भारत मालदीव का एक बड़ा निवेशक और पर्यटन बाज़ार है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: 1988 से ही दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग एक प्रमुख क्षेत्र है।
- पर्यटन: 2023 में भारत मालदीव के लिए प्रमुख स्रोत देश रहा, जिसकी हिस्सेदारी 8% रही।
- कनेक्टिविटी:
- मार्च 2022 में “ओपन स्काई” समझौता हुआ, जिससे हवाई संपर्क बेहतर होगा।
- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत माले से थिलाफुशी तक लिंक बनाया जा रहा है।
भारत के लिए मालदीव का महत्व:
- सामरिक महत्व: मालदीव हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित है, जिसकी स्थिरता और सुरक्षा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- व्यापार मार्ग:
- मालदीव गुल्फ ऑफ एडन और स्ट्रेट ऑफ मलक्का के बीच महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर स्थित है।
- भारत के लगभग आधे बाहरी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात के लिए यह एक “टोल गेट” के रूप में कार्य करता है।
- चीन का संतुलन:
- हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए मालदीव एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए भारत के लिए यह सहयोग आवश्यक है।
- कूटनीतिक लाभ:
- मालदीव के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध से भारत की हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में नेतृत्व भूमिका को बल मिलता है।
- भारतीय महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे मंचों में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है।
संबंधों में चुनौतियाँ:
- सत्ता परिवर्तन: सरकार में बदलाव से दीर्घकालिक सहयोग परियोजनाओं में अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
- चीनी प्रभाव: मालदीव में चीन का बढ़ता आर्थिक दबदबा, जैसे बुनियादी ढांचे में निवेश और ऋण–जाल कूटनीति, भारत के सामरिक हितों के लिए चुनौती बन रहा है।
- गैर–पारंपरिक खतरे: समुद्री डकैती, आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी जैसी चुनौतियाँ क्षेत्र में बनी रहती हैं।
इन खतरों से निपटने के लिए भारत और मालदीव के बीच सतत सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने की आवश्यकता है।