Perovskite Solar Cells
संदर्भ:
हाल ही में IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने एक अर्ध–पारदर्शी पेरोव्स्काइट सोलर सेल (Perovskite Solar Cell – PSC) विकसित की है। यह तकनीक पारंपरिक सौर कोशिकाओं की तुलना में अधिक दक्षता और लचीलापन प्रदान करती है, तथा ऊर्जा उत्पादन और आधुनिक वास्तुकला में इसका व्यापक उपयोग संभव है।
अर्ध–पारदर्शी पेरोव्स्काइट सोलर सेल: एक नवीन ऊर्जा तकनीक
मुख्य संरचना:
- यह सोलर सेल पारंपरिक सिलिकॉन–आधारित सोलर सेल पर एक परत के रूप में लगाई जाती है, जिससे यह 4-टर्मिनल (4T) टैन्डम संरचना बनाती है।
- इस संरचना में नीचे की परत में पारंपरिक सिलिकॉन तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जबकि ऊपरी परत में स्वदेशी रूप से विकसित हैलाइड पेरोव्स्काइट सेमीकंडक्टर का उपयोग होता है।
प्रमुख लाभ:
- यह संयोजन ऊर्जा रूपांतरण दक्षता (Power Conversion Efficiency) को लगभग 30% तक ले जाता है, जबकि वर्तमान पारंपरिक सोलर पैनलों में यह केवल लगभग 20% होती है।
- हैलाइड पेरोव्स्काइट एक अत्यधिक प्रभावी प्रकाश-अवशोषक सामग्री है, जो कम लागत में स्थानीय रसायनों से निर्मित की जा सकती है।
(Perovskite Solar Cells) पेरोव्स्काइट सोलर सेल क्या है?
- यह एक प्रकार की फोटोवोल्टिक (Photovoltaic) तकनीक है, जिसमें विशेष क्रिस्टल संरचना वाले पेरोव्स्काइट यौगिक का उपयोग होता है, जो सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
- यह क्रिस्टल संरचना खनिज कैल्शियम टाइटेनियम ऑक्साइड (CaTiO₃) के समान होती है।
- पेरोव्स्काइट यौगिक का सामान्य रासायनिक सूत्र होता है: ABX₃, जहाँ ‘A’ और ‘B’ धनायन (cations) तथा ‘X’ ऋणायन (anion) होते हैं।
विशेषताएँ और चुनौतियाँ:
- यह तकनीक कम लागत पर उच्च ऊर्जा दक्षता प्रदान करती है।
हालांकि, इसकी जीवन अवधि और स्थायित्व (stability) पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित सोलर सेल की तुलना में कम होती है, जो एक प्रमुख चुनौती है।