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पिछले वर्ष गरीबी में कमी (Reduction in poverty in the last year) | UPSC Preparation

Reduction in poverty in the last year

Reduction in poverty in the last year

Reduction in poverty in the last year – 

संदर्भ:

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Surveys) 2022–23 और 2023–24 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में गरीबी में तीव्र गिरावट और आय/खपत की असमानता में मामूली कमी दर्ज की गई है।

NSO उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण और भारत में गरीबी पर प्रमुख तथ्य:

गरीबी रेखा (Poverty Line): मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय

ग्रामीण क्षेत्र

  • 2011-12: ₹972
  • 2022-23: ₹1,837
  • 2023-24: ₹1,940

शहरी क्षेत्र

  • 2011-12: ₹1,407
  • 2022-23: ₹2,603
  • 2023-24: ₹2,736
  • 5-सदस्यीय शहरी परिवार के लिए 2023-24 की गरीबी रेखा: ₹13,680 प्रति माह

गरीबी अनुपात (Poverty Ratio):

  • 2011-12:5%
  • 2022-23:5%
  • 2023-24:9%
  • 2011-12 से 2023-24 के बीच गिरावट की दर: औसतन05 प्रतिशत अंक प्रति वर्ष
  • तुलना में: 2004-05 से 2011-12 तक दर2 प्रतिशत अंक प्रति वर्ष थी

विश्व बैंक के अनुसार: चरम गरीबी (Extreme Poverty) में गिरावट

  • $2.15/दिन (PPP) से नीचे जीवन यापन करने वाले:
    • 2011-12:2%
    • 2022-23:3%
    • कुल लोग जो गरीबी से बाहर निकले: 170 मिलियन से अधिक
  • निम्नमध्यम आय गरीबी रेखा ($3.65/दिन):
    • 2011-12:8%
    • 2022-23:1%

हालिया गरीबी में गिरावट के पीछे के कारक (2022-23 से 2023-24)

गरीबी दर में गिरावट: 2022-23 में गरीबी दर 9.5% थी, जो 2023-24 में घटकर 4.9% रह गई।

आर्थिक वृद्धि (GDP Growth):

  • 2022-23 में GDP वृद्धि दर 6% थी।
  • 2023-24 में यह बढ़कर 2% हो गई।
  • तेज़ आर्थिक वृद्धि गरीबी घटाने में प्रमुख कारक रही।

मुद्रास्फीति (Inflation):

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 6.7% से घटकर 4% हुआ।
  • हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति 6% से बढ़कर 7.5% हो गई।

सरकारी कल्याणकारी: योजनाएँ का योगदान।

गरीबी क्या है?

  • परिभाषा: गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी बुनियादी आवश्यकताओं (भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) को पूरा करने में असमर्थ होता है।
  • अंतरराष्ट्रीय भिन्नता: गरीबी की परिभाषा और मापने का तरीका अलग-अलग देशों में उनकी आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार भिन्न होता है।
  • भारत में गरीबी का मापन:
    • भारत में गरीबी को गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या के आधार पर आँका जाता है।
    • गरीबी रेखा वह न्यूनतम आय स्तर है, जिसके नीचे रहने वाले परिवारों को गरीब माना जाता है।
  • उपभोग आधारित मूल्यांकन: जिन परिवारों का उपभोग (consumption) इस निर्धारित सीमा से कम होता है, उन्हें गरीब की श्रेणी में रखा जाता है।
  • गरीबी रेखा की प्रकृति: यह देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार तय होती है और समय-समय पर इसमें संशोधन किया जाता है।

भारत में गरीबी उन्मूलन की चुनौतियाँ

  • संकटों के प्रति संवेदनशीलता: बड़ी आबादी गरीबी रेखा के करीब है और स्वास्थ्य या जलवायु संकट के कारण फिर से गरीबी में गिर सकती है।
  • असमरूप कल्याण योजनाएँ: शहरी गरीब और प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी कवरेज अपर्याप्त है, जैसे शहरी क्षेत्रों में PDS की सीमित पहुँच।
  • शहरी गरीबी से जुड़े आँकड़ों की कमी: हालिया सर्वेक्षणों में असंगठित क्षेत्र और अनौपचारिक श्रमिकों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हुआ है।

क्षेत्रीय विषमता: बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्य अभी भी उच्च गरीबी दर दर्शाते हैं।

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