Dugong
संदर्भ:
कभी भारत के समुद्री तटों पर बड़ी संख्या में पाए जाने वाले डुगोंग अब तेजी से लुप्त होते जा रहे हैं। वर्तमान में इनकी स्थिति क्षेत्रीय रूप से संकटग्रस्त (Regionally Endangered) मानी जाती है, और देश में 200 से भी कम डुगोंग शेष बचे हैं। यह समुद्री जीवों की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
डुगोंग्स (Dugong):
प्रजाति जानकारी: डुगोंग डुगोन (Dugong dugon) को “समुद्री गाय” कहा जाता है। ये शाकाहारी समुद्री स्तनधारी हैं और मैनाटीज़ से संबंधित हैं, लेकिन केवल खारे पानी में पाई जाती हैं।
आवास (Habitat): ये उथले तटीय जल क्षेत्रों में रहती हैं। भारत में मुख्य रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मन्नार की खाड़ी, पाल्क की खाड़ी और कच्छ की खाड़ी में पाई जाती हैं।
आहार और भूमिका: इनका प्रमुख आहार सीग्रास की प्रजातियाँ हैं – Cymodocea, Halophila, Thalassia, और Halodule। ये चराई करते समय समुद्र की सतह को हिलाती हैं, जिससे इन्हें “समुद्र के किसान” कहा जाता है।
आयु और व्यवहार: डुगोंग्स लगभग 70 वर्ष तक जीवित रह सकती हैं। ये आमतौर पर अकेली या माँ-बच्चे की जोड़ी के रूप में देखी जाती हैं।
प्रजनन: मादा डुगोंग्स लगभग 9–10 वर्ष की आयु में प्रजनन योग्य होती हैं और हर 3–5 वर्षों में एक बच्चे को जन्म देती हैं। इससे इनकी जनसंख्या वृद्धि दर केवल लगभग 5% प्रतिवर्ष होती है।
संरक्षण चिंता: भारत में डुगोंग्स की संख्या घटकर लगभग 200 रह गई है। इनका आवास क्षेत्र और जनसंख्या दोनों ही तेजी से सिमट रहे हैं, जो संरक्षण की गंभीर आवश्यकता को दर्शाता है।
डुगोंग की घटती जनसंख्या के प्रमुख कारण:
- आवासीय क्षरण (Habitat Degradation):
- समुद्री घास के मैदान तेजी से नष्ट हो रहे हैं।
- इसके पीछे प्रमुख कारण हैं जलवायु परिवर्तन, समुद्री तापमान में वृद्धि, महासागर अम्लीकरण और चक्रवात जैसे चरम मौसमीय घटनाएं।
- समुद्री प्रदूषण (Marine Pollution):
- समुद्री जल में प्रदूषण के कारण डुगोंग के मांसपेशियों में पारे (Mercury) और ऑर्गेनोक्लोरीन यौगिक (Organochlorine Compounds) जमा हो रहे हैं।
- यह इनके स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
मछली पकड़ने के तरीकों में बदलाव:
- बॉटम ट्रॉलिंग (Bottom Trawling) से समुद्री घास के मैदानों को नुकसान पहुंचता है।
- इसके अलावा, डुगोंग अक्सर जालों में फंस जाते हैं जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
अवैध शिकार:
- विशेष रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में डुगोंग का अवैध शिकार जारी है।
- इसका मुख्य कारण इनकी मांस और वसा के लिए बढ़ती मांग है।
भारत में डुगोंग संरक्षण के प्रयास:
IUCN स्थिति (IUCN Status):
- वैश्विक स्तर पर डुगोंग को ‘असुरक्षित’ (Vulnerable) की श्रेणी में रखा गया है।
- भारत में इन्हें ‘क्षेत्रीय रूप से संकटग्रस्त’ (Regionally Endangered) माना गया है।
कानूनी संरक्षण (Legal Protection): डुगोंग को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत सर्वोच्च स्तर का कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
वैश्विक समझौते (Global Agreements):
- भारत ने प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण हेतु 1983 में Convention on Migratory Species (CMS) को अपनाया।
- डुगोंग संरक्षण के लिए भारत ने 2008 में Dugong Conservation MoU पर हस्ताक्षर किए।
डुगोंग रिज़र्व (Dugong Reserve):
- वर्ष 2022 में भारत ने तमिलनाडु के पाक खाड़ी (Palk Bay) क्षेत्र में पहला Dugong Conservation Reserve स्थापित किया।
- इसका क्षेत्रफल 3 वर्ग किलोमीटर है।