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भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 (India’s GDP Growth Rate in 2025) | UPSC Preparation

India’s GDP Growth Rate in 2025

सामान्य अध्ययन पेपर II: भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव 

India’s GDP Growth Rate in 2025

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार, भारत की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 7.4% की तेज़ बढ़त दर्ज की गई है। यह दर पूरे वित्त वर्ष 2024-25 की औसत वृद्धि दर 6.5% से अधिक है, जो यह दर्शाता है कि आर्थिक गति ने वर्ष के अंत में और अधिक रफ्तार पकड़ी है।

भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2024-25 के मुख्य बिंदु 

  • भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रारंभिक GDP अनुमान जारी किए हैं।
  • वास्तविक GDP
    • देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (Real GDP) में इस वर्ष 6.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2023-24 के ₹176.51 लाख करोड़ से बढ़कर ₹187.97 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। यह मुद्रास्फीति से मुक्त वास्तविक विकास का प्रमाण है।
    • वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में वास्तविक GDP वृद्धि दर 7.4% रही, जो पूरे वर्ष की औसत वृद्धि दर से अधिक है।
  • नाममात्र GDP:
    • नाममात्र जीडीपी (Nominal GDP) में भी 9.8% की तेज़ छलांग देखी गई है। 2023-24 में ₹301.23 लाख करोड़ रहा आंकड़ा 2024-25 में बढ़कर ₹330.68 लाख करोड़ हो गया, जो मूल्य स्तर में वृद्धि को भी समाहित करता है।
    • चौथी तिमाही में नाममात्र वृद्धि दर सीधे 10.8% तक पहुँच गई है।
  • वास्तविक GVA:
    • 2024-25 में वास्तविक GVA का मूल्य ₹171.87 लाख करोड़ आँका गया है, जो पिछले वर्ष के ₹161.51 लाख करोड़ से लगभग 6.4% अधिक है। 
  • नाममात्र GVA:
    • नाममात्र GVA में ₹300.22 लाख करोड़ का आंकड़ा दर्ज किया गया है, जो 2023-24 में ₹274.13 लाख करोड़ था, अर्थात 9.5% की वृद्धि दर है।
  • विभिन्न क्षेत्रों का योगदान:
    • निर्माण क्षेत्र (Construction Sector) ने वित्त वर्ष में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है, जिसका आंकड़ा 9.4% है। इस क्षेत्र की तेज प्रगति ने रोजगार सृजन और आधारभूत संरचना के विकास में योगदान दिया है।
    • सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं (Public Administration, Defence & Other Services) क्षेत्र ने 8.9% की वृद्धि दिखाई है, जो सरकारी खर्च और सेवा वितरण में बढ़ोतरी का संकेत है।
    • चौथी तिमाही में प्राथमिक क्षेत्र ने और तेजी दिखाते हुए 5.0% की वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह केवल 0.8% था। 
    • निजी उपभोग व्यय (PFCE) में भी उछाल आया है। इस वर्ष 7.2% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछली बार यह 5.6% थी, जो घरेलू खपत में सुधार को दर्शाता है।
    • स्थिर पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation – GFCF) ने भी मजबूती दिखाई है। इस वित्त वर्ष में GFCF में 7.1% की वृद्धि हुई, जबकि चौथी तिमाही में यह वृद्धि दर और भी बढ़कर 9.4% तक पहुंच गई है। 

वित्तीय वर्ष 2024-25 में GDP गणना के आकलन पद्धति और संकेतक

  • पद्धति:
      • वर्तमान वर्ष के लिए जीडीपी की गणना Benchmark-indicator विधि से की गई है। 
      • इस पद्धति में बीते वर्ष के प्रथम संशोधित अनुमानों को आधार बनाकर प्रासंगिक क्षेत्रीय संकेतकों के जरिए अर्थव्यवस्था की गति का अनुमान लगाया जाता है।
      • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर क्षेत्र की वास्तविक आर्थिक गतिविधि सही रूप में आंकड़ों में परिलक्षित हो।
  • संकेतक:
    • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): यह आंकड़ा उद्योगों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि या गिरावट को दर्शाता है।
    • सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय नतीजे: कंपनियों की तिमाही आय और लाभ को आधार बनाकर निजी क्षेत्र की आर्थिक गतिविधि का अनुमान लगाया गया है।
    • फसल उत्पादन के द्वितीय अग्रिम अनुमान: कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को इस संकेतक से आंका गया है।
    • खनिज और निर्माण क्षेत्र से जुड़े उत्पादन आंकड़े: जैसे कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सीमेंट और इस्पात की खपत।
    • रेलवे परिवहन: माल एवं यात्री परिवहन के आंकड़ों से लॉजिस्टिक्स गतिविधियों का अनुमान किया गया है।
    • हवाई यातायात और बंदरगाह गतिविधियाँ: माल की आवक-जावक और वाणिज्यिक गतिशीलता को आंकड़ों में समाहित किया गया है।
    • वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री: आर्थिक गतिविधियों की तीव्रता को दर्शाने वाला एक प्रमुख संकेतक।
    • बैंकिंग क्षेत्र: बैंक जमाओं और ऋण की स्थिति से वित्तीय क्षेत्र की सक्रियता का आकलन किया गया।
    • बीमा क्षेत्र: जीवन और गैर-जीवन बीमा प्रीमियम से सेवा क्षेत्र में व्यय और आय को दर्शाया गया है।
    • उत्पादों पर कर (Taxes on Products) को शामिल किया गया है।
    • सरकार द्वारा की गई अंतिम उपभोग व्यय (Government Final Consumption Expenditure) का मूल्यांकन राजस्व व्यय, ब्याज भुगतान, और विभिन्न सब्सिडी खर्चों के आधार पर किया गया है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख आर्थिक शब्दावलियाँ 

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
  • सकल घरेलू उत्पाद किसी देश की सीमाओं के भीतर एक निश्चित समय अवधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य का योग होता है। 
  • यह देश की आर्थिक गतिविधियों का व्यापक संकेतक है।
      • GDP की गणना तिमाही, अर्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर की जाती है।
      • भारत में यह आंकड़ा राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर तैयार किया जाता है।
      • GDP हमें यह बताता है कि किसी देश की कुल आर्थिक क्षमता कितनी है और उसका उपयोग किस हद तक हो रहा है।
        • नाममात्र GDP: यह वर्तमान बाजार कीमतों पर आधारित होता है। इसमें मुद्रास्फीति (महंगाई) का प्रभाव शामिल रहता है।
        • वास्तविक GDP: इसमें भारत की GDP गणना 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर आधारित होती है, जिससे मूल्य वृद्धि को हटाकर वास्तविक आर्थिक तस्वीर सामने आती है।
      • GDP वृद्धि दर यह दर्शाती है कि किसी विशेष समय में देश की अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ी से बढ़ रही है।
        • भारत में यह वृद्धि मुख्यतः निजी उपभोग, निजी निवेश, सरकारी खर्च और निर्यात-आयात के संतुलन पर निर्भर करती है।
  • सकल मूल्य वर्धन (GVA):
      • GVA से यह जाना जाता है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य संवर्धन कितना हुआ है। इसमें उत्पादन की कुल आपूर्ति का मूल्यांकन होता है।
      • यह आंकड़ा कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में मूल्य वर्धन को मापता है।
      • RBI के अनुसार, GVA = कुल उत्पादन – मध्यवर्ती उपभोग (जैसे कच्चा माल, ऊर्जा आदि)।
        • वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (Real GVA) वह आर्थिक आँकड़ा है जिसमें मुद्रास्फीति (महँगाई) के प्रभाव को हटा दिया जाता है, ताकि उत्पादन में हुई वास्तविक वृद्धि को समझा जा सके।
  • नाममात्र सकल मूल्य वर्धन (Nominal GVA) वह आँकड़ा है जो वर्तमान समय की कीमतों पर आधारित होता है। इसमें मुद्रास्फीति की वजह से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में आई बढ़ोतरी को भी शामिल किया जाता है।
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit):
      • राजकोषीय घाटा तब होता है जब सरकार का कुल खर्च उसकी कुल आय से अधिक हो जाता है।
      • यह संकेत करता है कि सरकार को अपने खर्च पूरे करने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा।
      • यह देश की वित्तीय अनुशासन और आर्थिक विश्वसनीयता का सूचक होता है।
  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
    • GNP वह आर्थिक आंकड़ा है जो एक देश के नागरिकों और कंपनियों द्वारा देश और विदेश में किए गए कुल उत्पादन को दर्शाता है।
    • यह GDP से थोड़ा व्यापक होता है क्योंकि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई आय को भी शामिल किया जाता है।
    • इससे यह समझा जा सकता है कि देश के नागरिकों की कुल आय और उत्पादन कितनी है।

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