Battery Energy Storage Systems
संदर्भ:
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री ने किलोकड़ी में 20 मेगावाट की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System – BESS) का उद्घाटन किया, जिसे दक्षिण एशिया की अब तक की “सबसे बड़ी” प्रणाली बताया गया है।
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage Systems – BESS):
BESS क्या है?
- Battery Energy Storage Systems (BESS) ऐसी बड़ी बैटरियां होती हैं जो सौर (solar) और पवन (wind) ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को भविष्य के उपयोग के लिए संग्रहित करती हैं।
- मुख्य कार्य:
- अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहित करना और आवश्यक समय पर उपलब्ध कराना
- मुख्य ग्रिड को अतिरिक्त ऊर्जा लौटाना
- हरित ऊर्जा को अधिक विश्वसनीय और लचीला बनाना
BESS के प्रकार
- Pre-packaged battery modules: केवल बैटरियां, बिना अन्य यंत्रों के
- Pre-packaged systems: बैटरियों के साथ इन्वर्टर, चार्जर जैसे अन्य जरूरी घटक
- Custom-made battery banks: व्यक्तिगत बैटरियों को जरूरत के अनुसार जोड़ा जाता है, साथ में सभी आवश्यक उपकरण
दिल्ली में BESS: एक अग्रणी पहल
- क्षमता: 40 मेगावाट-घंटा (MWh)
- स्थिति:
- दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी उपयोगिता–स्तरीय (utility-scale) प्रणाली
- भारत की पहली वाणिज्यिक रूप से स्वीकृत (commercially approved) ऊर्जा भंडारण प्रणाली
- मुख्य लाभ:
- ग्रिड स्थिरता में वृद्धि
- पीक लोड के समय तनाव में कमी
- नवीकरणीय ऊर्जा का बेहतर एकीकरण
- बिजली खरीद लागत में इष्टतमीकरण (Optimization)
- प्रौद्योगिकी:
- लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) तकनीक
- यह तकनीक थर्मल स्थिरता और सुरक्षा के लिए जानी जाती है
- दिल्ली की बदलती जलवायु परिस्थितियों में कुशल संचालन
BESS की आवश्यकता क्यों?
नवीकरणीय ऊर्जा का ग्रिड में एकीकरण:
- भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता और 2070 तक नेट ज़ीरो है।
- BESS अतिरिक्त सौर ऊर्जा (जैसे दोपहर) को संग्रहित कर रात या बादल वाले दिनों में उपलब्ध कराता है।
ग्रिड भीड़भाड़ और कटौती में कमी:
- BESS ग्रिड को डीकंजेस्ट करता है, उत्पादन कटौती (curtailment) को रोकता है, और RE इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूर्ण क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करता है।
24×7 हरित बिजली का समर्थन:
- भारत अब Round-The-Clock (RTC) हरित बिजली टेंडर लाकर कोयले से प्रतिस्पर्धा कर रहा है — जिसमें RE + BESS संयोजन की विश्वसनीयता बढ़ाई जाती है।
ई–मोबिलिटी और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का समर्थन:
- BESS फास्ट चार्जिंग स्टेशनों को बिजली देता है, EV लोड से ग्रिड पर दबाव कम करता है और Vehicle-to-Grid (V2G) एकीकरण को सक्षम करता है।
आर्थिक अवसर और नवाचार: भारत ने ₹18,100 करोड़ का PLI स्कीम शुरू किया है Advanced Chemistry Cell (ACC) बैटरियों के लिए, जो घरेलू निर्माण और हरित नौकरियों को बढ़ावा देगा।
अन्य प्रमुख पहलें
- Viability Gap Funding (VGF) योजना: 13,200 MWh BESS परियोजनाओं के लिए समर्थन।
- ऊर्जा भंडारण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ढांचा 2023: एकीकृत नीति दृष्टिकोण को दिशा देने वाला दस्तावेज़।
Inter-State Transmission System (ISTS) शुल्क माफ़ी: 30 जून 2025 तक चालू हुई BESS परियोजनाओं पर 12 वर्षों तक शुल्क माफ़।