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पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना (Nutrient Based Subsidy Scheme) | Ankit Avasthi Sir

Nutrient Based Subsidy Scheme

Nutrient Based Subsidy Scheme

संदर्भ:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी 2025-26 सीजन के लिए फॉस्फेटिक और पोटैसिक (P&K) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy – NBS) दरों को मंजूरी दी है। यह निर्णय किसानों को किफायती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादन को स्थिर बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना

  • शुरुआत:वर्ष 2010 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत उर्वरक विभाग द्वारा शुरू की गई।
  • मुख्य उद्देश्य:
    1. देश कीखाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
    2. कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना
    3. उर्वरकों का संतुलित उपयोगबढ़ावा देना
  • मुख्य विशेषताएँ:
    1. किसानों कोनाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटैशियम (K) और सल्फर (S) की मात्रा के आधार पर सब्सिडी दी जाती है।
    2. जिन उर्वरकों मेंसूक्ष्म या द्वितीयक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है।
    3. यह योजना केवलफॉस्फेटिक और पोटैशिक (P&K) उर्वरकों पर लागू होती है, यूरिया पर नहीं।

पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना प्रमुख विशेषताएँ:

  • कवरेज: यह योजना फॉस्फेटिक और पोटैशिक (P&K) उर्वरकों पर लागू होती है, जिनमें DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और NPKS (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर) ग्रेड शामिल हैं।
  • सब्सिडी तंत्र: प्रत्येक पोषक तत्व – N (नाइट्रोजन), P (फॉस्फोरस), K (पोटाश) और S (सल्फर) – के प्रति किलोग्राम पर एक निश्चित सब्सिडी दी जाती है।  सरकार द्वारा इन दरों की समीक्षा हर वर्ष या छमाही की जाती है।
  • मिश्रित (Fortified) उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी: जिन उर्वरकों में जिंक, बोरॉन जैसे सूक्ष्म या द्वितीयक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन सब्सिडी दी जाती है ताकि मिट्टी की पोषक कमी दूर हो सके।
  • P&K क्षेत्र का डीनियंत्रण: उर्वरक कंपनियों को बाजार की स्थिति के अनुसार अपनेअधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय करने की अनुमति है।
    सरकार MRP की निगरानी करती है ताकि उर्वरक किसानों के लिए सुलभ बने रहें और कीमतों में अत्यधिक वृद्धि न हो।
  • लचीलापन: उर्वरक कंपनियों को बाजार की मांग और लाभप्रदता के अनुसारउत्पादन और आयात में बदलाव करने की स्वतंत्रता दी गई है।
  • संतुलित उर्वरक उपयोग: वैज्ञानिक और विवेकपूर्ण उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देती है ताकिमिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे और दीर्घकालिक उत्पादकता बढ़े।

महत्त्व (Significance):

  1. पोषक संतुलन को बढ़ावा:मिट्टी में आवश्यक N:P:K अनुपात (4:2:1) बनाए रखने में मदद करती है।
  2. उर्वरक के कुशल उपयोग को प्रोत्साहन:उत्पाद-आधारित सब्सिडी के बजाय पोषक तत्व आधारित सब्सिडी से यूरिया जैसे नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को रोकती है।
  3. किफायती दरें सुनिश्चित करना:वैश्विक मूल्य उतार-चढ़ाव के बावजूद किसानों को उर्वरक उचित और स्थिर कीमतों पर उपलब्ध कराए जाते हैं।

भारत में उर्वरक क्षेत्र की स्थिति:

  • भारत दुनिया में उर्वरकों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • उत्पादन: कुल उर्वरक उत्पादन 2014-15 में 39 लाख मीट्रिक टन (LMT) से बढ़कर 2023-24 में 503.35 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
  • खपत: 2023-24 में भारत की उर्वरक की कुल वार्षिक खपत लगभग 601 लाख मीट्रिक टन थी।

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