Kopra reservoir becomes Chhattisgarh first Ramsar site
संदर्भ:
हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने छत्तीसगढ़ के कोपरा जलाशय को राज्य का पहला रामसर स्थल घोषित किया। इस घोषणा के साथ ही भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 96 हो गई।
कोपरा जलाशय:
- कोपरा जलाशय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है और महानदी नदी बेसिन के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है।
- यह एक अद्वितीय मिश्रित आर्द्रभूमि है, जिसमें मानव निर्मित और प्राकृतिक दोनों विशेषताएँ सम्मिलित हैं।
- मूल रूप से इसका निर्माण सिंचाई और जल भंडारण के उद्देश्य से किया गया था, किंतु समय के साथ यह एक समृद्ध मीठे पानी की आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित हो गया।
- यह जलाशय मुख्यतः वर्षा पर निर्भर है और छोटे मौसमी नालों से पोषित होता है, जिससे क्षेत्रीय जल संतुलन बना रहता है।
- रामसर मान्यता का प्रमुख आधार कोपरा जलाशय की उच्च जैव विविधता है। यह क्षेत्र मछलियों, उभयचरों, सरीसृपों, कीटों और जलीय वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों का आश्रय स्थल है।
- विशेष रूप से यह जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन ठहराव स्थल के रूप में जाना जाता है, जहाँ 60 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
- यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों में संकटग्रस्त मिस्री गिद्ध (Egyptian Vulture) तथा असुरक्षित श्रेणी में आने वाले ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, कॉमन पोचार्ड, ऊनी-गर्दन सारस और लेसर एडजुटेंट सारस शामिल हैं।
जल सुरक्षा और जलवायु सहनशीलता में भूमिका:
- कोपरा जलाशय आसपास के गांवों के लिए पेयजल आपूर्ति, सिंचाई और भूजल पुनर्भरण का महत्वपूर्ण स्रोत है।
- यह आर्द्रभूमि मानसून के दौरान अतिरिक्त वर्षाजल को अवशोषित कर बाढ़ नियंत्रण में सहायक होती है तथा सूखे की स्थिति में जल उपलब्धता बनाए रखने में मदद करती है।
- इसके अतिरिक्त, यह जलाशय स्थानीय तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करता है, जल में अवसाद और प्रदूषकों को रोककर जल गुणवत्ता सुधारता है।
- यह कार्बन भंडारण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान देता है। इस दृष्टि से कोपरा जलाशय प्रकृति-आधारित समाधान (Nature-based Solutions) का उत्कृष्ट उदाहरण है।
रामसर स्थल की अवधारणा:
- रामसर स्थल वे आर्द्रभूमियाँ हैं जिन्हें 1971 के रामसर कन्वेंशन (ईरान) के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्त होता है। भारत 1982 में इस कन्वेंशन का पक्षकार बना।
- रामसर मान्यता यह सुनिश्चित करती है कि संबंधित देश उस आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक चरित्र का संरक्षण, सतत उपयोग (Wise Use) और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा।
- विश्व स्तर पर 2500 से अधिक रामसर स्थल हैं, जो यह दर्शाते हैं कि आर्द्रभूमि संरक्षण एक वैश्विक साझा जिम्मेदारी है।
- भारत में तमिलनाडु सर्वाधिक रामसर स्थलों वाला राज्य है, जो देश की आर्द्रभूमि विविधता को दर्शाता है।

