हालिया खबरों के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सेल्फ-हीलिंग सड़कों का निर्माण करने के लिए एक योजना पर काम कर रहा है। यह तकनीक सड़कों को गड्ढों और दरारों को स्वतः रूप से भर देगी, जिससे सड़कों का रखरखाव कम खर्चीला और अधिक कुशल हो जाएगा।
सेल्फ-हीलिंग सड़कें
सेल्फ-हीलिंग सड़कें ऐसी सड़कें हैं जो क्षतिग्रस्त होने पर खुद को ठीक कर सकती हैं। यह विशेष सामग्री और डिजाइन तकनीकों के उपयोग के माध्यम से होता है। इस प्रकार की सड़कों को बनाने के लिए एक नए प्रकार का डामर इस्तेमाल किया जाएगा। यह डामर स्टील फाइबर और बिटुमिन से बना होगा। यदि सड़क पर कोई गड्ढा बनता है, तो कोलतार (डामर) उस गड्ढे को ढकने के लिए फैल जाएगा। स्टील के धागे गड्ढे को भरने में मदद करेंगे, जिससे सड़क फिर से समतल हो जाएगी।
सेल्फ-हीलिंग सड़कों के लाभ:
- कम रखरखाव: सेल्फ-हीलिंग सड़कों को पारंपरिक सड़कों की तुलना में कम रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिससे धन और संसाधनों की बचत होती है।
- बढ़ी हुई सुरक्षा: गड्ढे और दरारें सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण हैं। सेल्फ-हीलिंग सड़कें सतह को चिकनी रखकर इन दुर्घटनाओं को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- लंबी उम्र: सेल्फ-हीलिंग सड़कें पारंपरिक सड़कों की तुलना में अधिक टिकाऊ होती हैं, जिससे उनकी उम्र बढ़ जाती है और उन्हें बदलने की आवश्यकता कम होती है।
- पर्यावरण के अनुकूल: सेल्फ-हीलिंग सड़कों के निर्माण में कम ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग होता है, जिससे वे पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल होते हैं।
भारत में सेल्फ-हीलिंग सड़कों की चुनौतियां:
- उच्च लागत: सेल्फ-हीलिंग सड़कों का निर्माण पारंपरिक सड़कों की तुलना में अधिक महंगा है।
- तकनीकी चुनौतियाँ: सेल्फ-हीलिंग सड़कों के निर्माण के लिए विशेष सामग्री और डिजाइन तकनीकों की आवश्यकता होती है, जो अभी भी विकास के अधीन हैं।
- जलवायु परिस्थितियां: भारत की विविध जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त सेल्फ-हीलिंग सड़कों को विकसित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
NHAI का मिशन
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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर गड्ढों के कारण दुर्घटना–
भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर गड्ढों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। 2022 में, इन दुर्घटनाओं में 22.6% की वृद्धि हुई, जिसमें 4,446 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,856 लोगों की जान चली गई। यह 2021 की तुलना में 25.3% की वृद्धि दर्शाता है, जो एक गंभीर सार्वजनिक सुरक्षा चिंता का विषय है।
निष्कर्ष:
सेल्फ-हीलिंग सड़कें भारत के सड़क बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की क्षमता रखती हैं। हालांकि, इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने से पहले कुछ चुनौतियों का समाधान करना होगा। राजमार्ग प्राधिकरण इन चुनौतियों का समाधान कैसे करता है और भारत में सेल्फ-हीलिंग सड़कों को वास्तविकता बनाने के लिए क्या कदम उठाता है।