चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 14 अगस्त, 2024 को विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) के अवसर पर उन लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने 1947 के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाई, अपने घर-परिवार से बिछड़े, और असहनीय पीड़ा का सामना किया।
Partition Horrors Remembrance Day का इतिहास-
Partition Horrors Remembrance Day भारत में हर साल 14 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन 1947 में हुए भारत के विभाजन की भयावह घटनाओं को याद करने और उस त्रासदी से पीड़ित लाखों लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है। विभाजन केवल भूगोलिक सीमाओं का बंटवारा नहीं था; यह भारत के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है, जिसने असंख्य जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया।
विभाजन की पृष्ठभूमि (Background of the Partition)-
- भारत का विभाजन, जिसे 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के साथ-साथ किया गया, एक अत्यंत जटिल और विवादास्पद प्रक्रिया थी।
- ब्रिटिश राज की समाप्ति के साथ भारत और पाकिस्तान के रूप में दो नए राष्ट्रों का जन्म हुआ। लॉर्ड माउंटबेटन, जो भारत के अंतिम वायसराय थे, ने विभाजन की योजना का खाका तैयार किया, जिसे “माउंटबेटन प्लान” कहा गया।
- इस योजना के तहत, ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर दो हिस्सों में विभाजित किया गया: हिंदू-बहुल भारत और मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान।
- विभाजन के निर्णय में एक महत्वपूर्ण भूमिका मुस्लिम लीग और उसके नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने निभाई, जिन्होंने एक स्वतंत्र मुस्लिम राज्य की मांग की थी।
- वहीं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसके नेता जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी थे, एक अखंड भारत की वकालत कर रहे थे। हालांकि,
- अंततः, ब्रिटिश सरकार ने धार्मिक आधार पर देश का विभाजन करने का फैसला किया।
विभाजन की विभीषिका (The horror of partition )-
- विभाजन की विभीषिका का अर्थ केवल राजनीतिक बंटवारा नहीं था; यह एक मानवीय त्रासदी थी।
- विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए।
- अनुमान के मुताबिक, लगभग 1.5 करोड़ लोग अपनी जान बचाने के लिए अपनी जगह छोड़ने पर मजबूर हो गए, और लगभग 10 -20 लाख लोग हिंसा का शिकार हुए।
- इस दौरान साम्प्रदायिक दंगे, लूटपाट, बलात्कार और सामूहिक हत्याएं आम हो गई थीं।
- पंजाब और बंगाल, जो विभाजन से सबसे अधिक प्रभावित हुए, इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुए।
- सिर्फ भारत और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश, जो पहले पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा था, भी इस त्रासदी का शिकार हुआ।
- इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी जमीन, संपत्ति, और प्रियजनों को छोड़कर एक अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ा।
- ट्रेनें, जो शरणार्थियों को एक देश से दूसरे देश ले जा रही थीं, अक्सर लाशों से भरी पाई जाती थीं।
विभाजन के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव –
- विभाजन ने भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना पर गहरा असर डाला।
- हिंदू, मुस्लिम, सिख, और अन्य धर्मों के लोगों के बीच गहरी दरारें पैदा हो गईं।
- उन स्थानों पर, जहां सदियों से विभिन्न समुदाय साथ रहते आए थे, अब अविश्वास और घृणा का वातावरण बन गया।
- लाखों परिवार बिछड़ गए, और सांस्कृतिक धरोहरें नष्ट हो गईं।
- सिंध, पंजाब और बंगाल के जैसे प्रांत, जो सांस्कृतिक और भाषाई रूप से संपन्न थे, विभाजन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए।
- विभाजन के बाद की पीढ़ियां भी इन घटनाओं के प्रभावों से मुक्त नहीं हो सकीं। आज भी, विभाजन के घाव भारतीय और पाकिस्तानी समाज में गहरे हैं।
Partition Horrors Remembrance Day की आवश्यकता –
- Partition Horrors Remembrance Day की स्थापना की घोषणा 2021 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी।
- इस दिन का मुख्य उद्देश्य विभाजन के समय हुई पीड़ा और त्रासदी को याद करना है।
- यह दिन हमें यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि स्वतंत्रता की कीमत केवल राजनीतिक या आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि लाखों निर्दोष लोगों की जानों और उनकी जीवन की स्थिरता से चुकाई गई थी।
- यह स्मरण दिवस विभाजन के समय हुई गलतियों से सीखने और आने वाली पीढ़ियों को जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है।
- यह दिन हमें आपसी सहिष्णुता, भाईचारे और शांति के महत्व का अहसास कराता है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
Partition Horrors Remembrance Day के कार्यक्रम –
- इस दिन को मनाने के लिए देश भर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- विभाजन के समय के अनुभवों को साझा करने के लिए स्मृति सभाओं का आयोजन किया जाता है।
- स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों में चर्चाएं, सेमिनार और प्रदर्शनी आयोजित की जाती हैं, जिनमें विभाजन से संबंधित दस्तावेज, तस्वीरें और कहानियां प्रदर्शित की जाती हैं।
- विभाजन के पीड़ितों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, और उनके संघर्षों को याद किया जाता है।
भूतपूर्व आयोजन (Past events) –
- 14 अगस्त 2021 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि हर साल 14 अगस्त को “Partition Horrors Remembrance Day” के रूप में मनाया जाएगा
- 2022 में, दिल्ली मेट्रो ने Partition Horrors Remembrance Day को सम्मानित करने के लिए एक प्रदर्शनी लगाई, जिसमें लाहौर और अमृतसर में बर्बाद हुई इमारतों के चित्रों को प्रदर्शित किया गया।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2022 में सभी शैक्षणिक संस्थानों से Partition Horrors Remembrance Day के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया।
- कश्मीर विश्वविद्यालय ने Partition Horrors Remembrance Day के अवसर पर एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य विभाजन के पीड़ितों की पीड़ा और दर्द को उजागर करना था।
- 2023 में, दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने Partition Horrors Remembrance Day पर प्रस्तुतियों और पैनल चर्चाओं का आयोजन किया, जिसमें प्रश्नोत्तर सत्र भी शामिल थे, साथ ही एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई।
- तिरुवनंतपुरम रेलवे डिवीजन ने जनता के लिए फोटोग्राफ प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें “तिरुवनंतपुरम डिवीजन के नागरकोइल जंक्शन, कोल्लम जंक्शन, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम जंक्शन और त्रिशूर रेलवे स्टेशनों” पर प्रदर्शनी लगाई गई। यह प्रदर्शनी महात्मा गांधी के अनुयायी थालनाड चंद्रशेखरन नायर द्वारा आयोजित की गई थी।
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- जनसंख्या का विस्थापन: विभाजन के दौरान लगभग 1.5 करोड़ लोग अपने घरों से विस्थापित हुए।
- मृतकों की संख्या: विभाजन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 10-20 लाख लोग मारे गए।
- प्रभावित क्षेत्र: विभाजन ने विशेष रूप से पंजाब और बंगाल को प्रभावित किया, जहां सबसे अधिक हिंसा और विस्थापन हुआ।
- शरणार्थी शिविर: विभाजन के बाद लाखों लोगों को शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा, जिनमें अधिकांश शिविरों की स्थितियाँ दयनीय थीं।
निष्कर्ष –
Partition Horrors Remembrance Day केवल इतिहास को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक चेतावनी है कि हम सांप्रदायिकता, घृणा और विभाजनकारी विचारधाराओं से बचें। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि विभाजन की विभीषिका को दोहराने से बचने के लिए हमें अपने समाज को एकता, भाईचारे और शांति के साथ आगे बढ़ाना होगा। विभाजन की घटनाओं से उभरी पीड़ा और पीड़ितों के संघर्ष हमें यह सिखाते हैं कि हमारे समाज की असली ताकत उसकी विविधता और सहिष्णुता में है।
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1 thought on “विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस”
आपके द्वारा दी गई यह सारी जानकारियां काफी महत्वपूर्ण है हमें तो चाहिए की 15 अगस्त को आजादी के दिवसके रूप में ना मना कर हमें 14 अगस्त को त्रासदी दिवस के रूप में मनाना चाहिए ताकि उन तमाम आत्माओं को थोड़ी सी शांति प्राप्त हो सके जिन्होंने इस विभिषिका का दंश झेला था क्योंकि 15 अगस्त के साए में यह सच लोगों तक पहुंच नहीं पाता हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का इस देश को एहसान मंद होना चाहिए कि उन्होंने आने वाले कल के लिए एक ऐसा प्रश्न देशवासियों के बीच में रखा जिसमें अब विचार करने का समय आ गया है कि हमें 15 अगस्त मानना चाहिए या 14 अगस्त बंटवारे की त्रासदी के रूप में मनाना चाहिए
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