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जूट के MSP में 6% बढ़ोतरी की घोषणा

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संदर्भ:

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन सत्र (Marketing Sessions) 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 6% की वृद्धि को मंजूरी दी है।

मुख्य बिंदु: कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):

  1. 2025-26 के लिए MSP:
    • कच्चे जूट (TD-3 ग्रेड) का MSP ₹5,650/- प्रति क्विंटल तय किया गया है।
    • यह अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत पर 8% का रिटर्न सुनिश्चित करेगा।
    • यह MSP 2018-19 के बजट में घोषित 5 गुना औसत उत्पादन लागत के सिद्धांत के अनुरूप है।
  2. पिछले सीजन की तुलना में वृद्धि:
    • 2024-25 की तुलना में 2025-26 में ₹315/- प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।
    • 2014-15 में ₹2,400/- प्रति क्विंटल से 2025-26 में ₹5,650/- प्रति क्विंटल तक, कुल ₹3,250/- (2.35 गुना) की वृद्धि हुई।

जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):

  1. JCI की भूमिका:
    • जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) भारत सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
    • यह किसानों से तय कीमत पर जूट की खरीद (Price Support Operation) करेगा।
    • यदि इस प्रक्रिया में कोई नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
  2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):
    • यह सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के उचित दाम की गारंटी देने के लिए तय किया जाता है।
    • MSP किसानों को फसल के दाम में अचानक गिरावट से बचाने के लिए एक सुरक्षा उपाय है।
    • सरकार फसल बुआई के मौसम की शुरुआत में MSP की घोषणा करती है।
    • इसकी सिफारिश “कृषि लागत एवं मूल्य आयोग” (CACP) द्वारा की जाती है।

जूट (Jute):

जूट को गोल्डन फाइबर भी कहा जाता है क्योंकि यह एक प्राकृतिक, नवीकरणीय, बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद है।

  1. खेती के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ:
    • तापमान: 25-35°C
    • वर्षा: 150-250 सेमी
    • मिट्टी का प्रकार: अच्छी तरह से जल निकासी वाली जलोढ़ मिट्टी
  2. उत्पादन:
    • भारत: जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • बांग्लादेश और चीन: उत्पादन में भारत के बाद आते हैं।
    • व्यापार में हिस्सेदारी:
      • बांग्लादेश वैश्विक जूट निर्यात में तीन-चौथाई योगदान करता है।
      • भारत का वैश्विक निर्यात में योगदान केवल 7% है।
    • मुख्य उत्पादक राज्य: पश्चिम बंगाल, असम और बिहार, जो कुल उत्पादन का 99% हिस्सा हैं।
    • संग्रहण क्षेत्र: गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा की समृद्ध जलोढ़ मिट्टी के कारण पूर्वी भारत में केंद्रित है।
  3. उपयोग: गननी बैग, मैट, रस्सियाँ, धागा, कालीन और अन्य हस्तशिल्प बनाने में उपयोग होता है।

सरकारी कदम जूट उत्पादन के लिए:

  1. जूट पैकेजिंग सामग्री (अनिवार्य उपयोग) अधिनियम, 1987 का जारी रखना: सरकार ने खाद्यान्नों के लिए 100% और चीनी के लिए 20% जूट पैकेजिंग सामग्री में पैक करने की बाध्यता बनाई है।
  2. कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): सरकार ने कच्चे जूट के लिए MSP तय किया है, जिससे किसानों को लाभ होता है।
  3. राष्ट्रीय जूट विकास कार्यक्रम (NJDP): सरकार ने 2021-22 से 2025-26 तक जूट क्षेत्र के समग्र विकास और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय जूट विकास कार्यक्रम (NJDP) की स्वीकृति दी है।

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