संदर्भ:
एबेल पुरस्कार: जापानी गणितज्ञ मासाकी काशीवारा को इस वर्ष का एबेल पुरस्कार 2025 प्रदान किया गया है। उन्हें बीजगणितीय विश्लेषण, प्रतिनिधित्व सिद्धांत, डी–मॉड्यूल्स के विकास और क्रिस्टल बेस की खोज में उनके क्रांतिकारी कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। 2024 का एबेल पुरस्कार फ्रांसीसी गणितज्ञ मिशेल टैलग्रांड को दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार संभाव्यता सिद्धांत और स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं में उनके योगदान के लिए दिया गया था।
मसाकी काशीवारा का योगदान:
- सम्मान: मासाकी काशिवारा को बीजगणितीय विश्लेषण (Algebraic Analysis) और प्रतिनिधित्व सिद्धांत (Representation Theory) में उनके मौलिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
- D-मॉड्यूल्स (D-Modules) का विकास: उन्होंने D-मॉड्यूल्स की थ्योरी विकसित की, जिससे गणितीय समीकरणों और उनके हलों के अध्ययन में नई दिशाएँ खुलीं।
- क्रिस्टल बेस (Crystal Bases) की खोज:
- इस खोज से जटिल गणनाओं को सरल ग्राफ़ में बदला जा सकता है।
- इसने गणितीय सिद्धांतों की समझ और गणना में क्रांतिकारी सुधार लाया।
एबेल पुरस्कार / Abel Prize:
- नामकरण: यह पुरस्कार प्रसिद्ध नॉर्वेजियन गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबल (Niels Henrik Abel) (1802–1829) के नाम पर रखा गया है।
- स्थापना: नॉर्वेजियन संसद ने इसे 2002 में एबेल की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्थापित किया था।
- पहला पुरस्कार: 2003 में दिया गया। इसे गणित में “नोबेल पुरस्कार” के समकक्ष माना जाता है।
- चयन प्रक्रिया: विजेताओं का चयन अकादमी द्वारा नियुक्त समिति करती है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) और यूरोपीय गणितीय सोसायटी की सलाह ली जाती है।
- पुरस्कार: इसमें नकद राशि और नॉर्वेजियन कलाकार हेनरिक हौगन द्वारा डिज़ाइन की गई कांच की पट्टिका (Glass Plaque) शामिल होती है।
- एबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय गणितज्ञ: एस.आर. श्रीनिवास वर्धन, उन्हें नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड लेटर्स द्वारा 2007 में एबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था “प्रायिकता सिद्धांत में उनके मौलिक योगदान के लिए और विशेष रूप से बड़े विचलन का एकीकृत सिद्धांत बनाने के लिए।”