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फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025

सामान्य अध्ययन पेपर – III: रोजगार, वृद्धि और विकास, कौशल विकास, मानव संसाधन

चर्चा में क्यों? 

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने “फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025” का पांचवां संस्करण जारी किया है, जो 2025-2030 की अवधि के लिए वैश्विक श्रम बाजार के रुझानों का विश्लेषण करता है। रिपोर्ट में उन प्रमुख रुझानों और परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया है, जो 2030 तक वैश्विक रोजगार बाजार को आकार देंगे।

फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025: मुख्य बिंदु

  • फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट एक द्विवार्षिक रिपोर्ट है।
  • यह रिपोर्ट आगामी वर्षों के लिए वैश्विक श्रम बाजार के रुझानों का गहन विश्लेषण प्रदान करती है।
  • रिपोर्ट में उन विकासों और परिवर्तनों को रेखांकित किया गया है, जो वैश्विक रोजगार बाजार को प्रभावित करने की संभावना रखते हैं।
  • यह रिपोर्ट उन उभरते हुए तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक रुझानों पर प्रकाश डालती है, जो नौकरी में व्यवधान पैदा करने और भविष्य के रोजगार बाजार को आकार देने की संभावना रखते हैं।
  • रिपोर्ट के निष्कर्ष 22 उद्योग क्षेत्रों में 1,000 प्रमुख वैश्विक नियोक्ताओं से एकत्र किए गए डेटा पर आधारित हैं।
  • इस रिपोर्ट को 55 अर्थव्यवस्थाओं से प्राप्त इनपुट के आधार पर सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।
  • रिपोर्ट में उन 10 सबसे तेजी से बढ़ती नौकरियों का भी उल्लेख किया गया है, जिनकी आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण मांग देखने को मिल सकती है।

विश्व आर्थिक मंच (WEF) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

  • WEF एक स्वतंत्र और गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1971 में जर्मन अर्थशास्त्री क्लॉस श्वाब ने की थी।
  • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
  • WEF के अध्यक्ष और संस्थापक क्लॉस श्वाब हैं।
  • WEF का उद्देश्य दुनिया की स्थिति को सुधारना और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर काम करना है।
  • यह संगठन वैश्विक, क्षेत्रीय, और उद्योग से जुड़े मुद्दों पर काम करता है, और राजनीति, व्यापार, शिक्षा, और समाज के अन्य नेताओं को एक साथ लाकर इन मुद्दों पर चर्चा करता है।
  • दावोस में इसकी वार्षिक बैठक आयोजित की जाती है, जहां विश्व के महत्वपूर्ण नेता एकजुट होते हैं।
  • WEF के मार्गदर्शन के लिए एक न्यासी बोर्ड होता है, जिसमें व्यापार, राजनीति, शिक्षा, और नागरिक समाज के प्रमुख नेता होते हैं।
  • WEF ने 2017 में सतत खरीद नीति अपनाई थी।
  • WEF की प्रमुख रिपोर्टें:
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट
    • वैश्विक लिंग अंतराल रिपोर्ट
    • ऊर्जा संक्रमण सूचकांक
    • वैश्विक जोखिम रिपोर्ट
    • वैश्विक यात्रा और पर्यटन रिपोर्ट
    • वैश्विक विनिर्माण सूचकांक
    • इस्लाम और पश्चिम: संवाद की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट

फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025 – मुख्य विशेषताएँ

    • नौकरी सृजन और विस्थापन: रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 170 मिलियन नई नौकरियाँ सृजित होंगी, लेकिन 22% नौकरियाँ व्यवधान का सामना कर सकती हैं। स्वचालन और तकनीकी प्रगति इन परिवर्तनों में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
    • तकनीकी प्रगति: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सूचना प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियाँ (81%) व्यवसायों पर सबसे बड़ा प्रभाव डालेंगी, इसके बाद रोबोटिक्स और स्वचालन प्रणालियाँ (58%) और ऊर्जा उत्पादन तथा भंडारण प्रौद्योगिकियाँ (41%) होंगी।
    • भू-राजनीतिक विखंडन: बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार प्रतिबंध 34% संगठनों में व्यापार मॉडल में परिवर्तन ला रहे हैं। इन तनावों के कारण सुरक्षा भूमिकाओं और साइबर सुरक्षा कौशल की मांग बढ़ रही है। वैश्विक आर्थिक विकास के लिए बढ़ते संरक्षणवादी उपाय एक मध्यकालिक जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं।
    • आर्थिक अस्थिरता: रिपोर्ट में बताया गया है कि मुद्रास्फीति में कमी और लचीली मौद्रिक नीति कुछ उम्मीद दे रहे हैं, लेकिन धीमी वृद्धि और राजनीतिक अस्थिरता कई देशों को आर्थिक झटकों के जोखिम में डाल सकती है। वैश्विक रोजगार बाजार में आर्थिक चुनौतियाँ बनी रहेंगी।
    • जनसांख्यिकीय परिवर्तन: रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में 40% नियोक्ता कार्य करने की आयु घटाने को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि 25% नियोक्ता इसे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। वृद्ध होती आबादी और घटते कार्यबल से श्रम आपूर्ति में व्यवधान आ रहा है।
    • हरित परिवर्तन: ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, खनन और धातु जैसे उद्योगों में महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तन होंगे, क्योंकि श्रमिक कार्बन-मुक्त प्रथाओं की ओर बढ़ेंगे। इसके लिए कौशल उन्नयन और पुनः कौशल प्राप्ति की आवश्यकता होगी।

2025 से 2030 के बीच उभरते हुए कौशल सेट

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा, साइबर सुरक्षा, क्रिएटिव थिंकिंग और बहुभाषावाद जैसे कौशल में वृद्धि देखने को मिलेगी।
    • क्रिएटिव थिंकिंग कौशल में, जो लचीलापन, लचीलापन और त्वरित प्रतिक्रिया से जुड़ी होती हैं, 66% की वृद्धि होगी।
    • निर्भरता और विस्तार पर आधारित कौशल में केवल 12% वृद्धि देखने को मिलेगी।
    • बुनियादी कौशल जैसे पढ़ाई, लेखन और अंकगणित में नकारात्मक वृद्धि दर 4% हो सकती है।
  • सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौकरियाँAI और मशीन लर्निंग, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर्स, और फिनटेक इंजीनियर जैसे क्षेत्र में प्रतिशत के हिसाब से सबसे तेजी से नौकरियाँ बढ़ेंगी। मात्रा के हिसाब से, देखभाल अर्थव्यवस्था में काम करने वाली नौकरियों जैसे खेतिहर मजदूर, डिलीवरी ड्राइवर, निर्माण श्रमिक, नर्सिंग पेशेवर और सामाजिक कार्य में सबसे अधिक वृद्धि होगी।
  • नौकरी का विस्थापन: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में दोहराए जाने वाले कार्यों को स्वचालित किया जा रहा है, जिससे बहुत सी नौकरियाँ विस्थापित हो सकती हैं।
  • घटती भूमिकाएँ: कुछ भूमिकाएँ, जैसे डाक सेवा क्लर्क, बैंक टेलर, डेटा एंट्री क्लर्क, कैशियर और टिकट क्लर्क, में काफी कमी देखने को मिल सकती है। स्वचालन और डिजिटलीकरण के कारण इन भूमिकाओं में गिरावट आ सकती हैं।

भारत पर फोकस – फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025

  • नौकरी के रुझान 2030 तक: भारत में भविष्य में नौकरियों को आकार देने वाले मुख्य रुझान होंगे डिजिटल पहुँच में वृद्धि, भू-राजनीतिक तनाव, और जलवायु शमन प्रयास। ये बदलाव श्रमिक बाजार को रूपांतरित करेंगे, तकनीकी विकास को प्रेरित करेंगे और नई नौकरियों के सृजन में मदद करेंगे।
  • निवेश में वृद्धि: भारतीय कंपनियाँ AI, रोबोटिक्स, ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, और स्वायत्त प्रणालियों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, जो कई क्षेत्रों में बदलाव लाएंगी और नई नौकरियों का सृजन करेंगी।
  • AI कौशल में भारत की अग्रणी भूमिका: भारत AI कौशल नामांकन में अग्रणी है, और जनरेटिव AI (GenAI) प्रशिक्षण में कॉर्पोरेट प्रायोजन से तेजी से वृद्धि देखने को मिल सकती हैं।
  • प्रौद्योगिकी अपनाना: भारत सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों (35%) में वैश्विक स्तर पर आगे रहेगा, जबकि क्वांटम और एन्क्रिप्शन प्रौद्योगिकियाँ (21%) व्यापार संचालन को पूरी तरह से बदलने की उम्मीद है।
  • श्रम शक्ति वृद्धि: भारत और उप-सहारा अफ्रीका के देश आने वाले वर्षों में वैश्विक श्रम शक्ति का दो-तिहाई प्रदान करेंगे, जो वैश्विक श्रमिक बाजार पर बड़ा प्रभाव डालेगा।

भारत सरकार की रोजगार संबंधी योजनाएँ:

  • मेक इन इंडिया: इस पहल का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक समृद्धि आएगी।
  • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY): यह योजना नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई एक योजना है।
  • गरीब कल्याण रोजगार अभियान (GKRA): यह 125 दिन का अभियान था, जिसे प्रवासी श्रमिकों और कोविड-19 से प्रभावित ग्रामीण आबादी को रोजगार देने के लिए शुरू किया गया था 
  • प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM): यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेंशन योजना देती है।
  • स्टार्टअप इंडिया: यह पहल स्टार्टअप्स और नए विचारों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए शुरू की गई थी, जो उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
  • कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम: यह योजनाएँ विभिन्न व्यावसायिक कौशल सुधारने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
  • प्रधानमंत्री दक्ष योजना (PM-Daksh): यह योजना विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों को कौशल प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित करती है, ताकि वे बेहतर रोजगार पा सकें।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित करती है और अव्यावसायिक श्रमिकों को वेतन आधारित रोजगार देती है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): यह योजना युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल प्रशिक्षण देने के लिए है, ताकि वे बेहतर रोजगार के लिए तैयार हो सकें।
  • रोजगार मेला: यह सरकार द्वारा आयोजित नौकरी मेलों में नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को एक साथ लाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

भारत में रोजगार की चुनौतियाँ:

  • युवाओं की बड़ी जनसंख्या: भारत में 35 साल से कम उम्र के लोग 65% से अधिक हैं। यह युवा जनसंख्या रोजगार के अवसरों के लिए एक चुनौती पेश करती है, क्योंकि इतने बड़े वर्ग के लिए पर्याप्त नौकरी सृजन और कौशल विकास की आवश्यकता है।
  • शिक्षा और कौशल की कमी: भारत में गुणवत्ता शिक्षा और तकनीकी ज्ञान की कमी है। बहुत से युवा बुनियादी डिजिटल साक्षरता में भी पीछे हैं, जैसे ईमेल भेजने या फाइल्स कॉपी-पेस्ट करने में मुश्किलें आना। इस अंतर को दूर करना बेहद जरूरी है।
  • कृषि क्षेत्र में रोजगार: लगभग 45% श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं, लेकिन यह क्षेत्र उत्पादकता की कमी और सीमित रोजगार अवसरों का सामना कर रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन में कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है।
  • लिंग असमानता: भारत में महिला श्रमबल की भागीदारी बहुत कम है, जबकि महिलाओं के बीच शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। यह लिंग असमानता रोजगार के अवसरों को प्रभावित करती है।
  • असंगठित क्षेत्र: लगभग 19% कार्यबल असंगठित क्षेत्र में काम करता है, जहां कामकाजी सुरक्षा और श्रमिक अधिकारों की कमी होती है, जिसके कारण उत्पादकता और कार्य स्थितियाँ खराब होती हैं। इन नौकरियों को संगठित करना जरूरी है।
  • रोजगार विस्थापन: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, स्वचालन और डिजिटलीकरण के कारण विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में नौकरी विस्थापन हो रहा है। कम कौशल वाली नौकरियाँ स्वचालित हो रही हैं, जिसके लिए श्रमिकों को फिर से कौशल सिखाने की आवश्यकता है।

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में लक्षित कदम उठाने की जरूरत है, जैसे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना, निवेश को बढ़ावा देना, और समावेशी आर्थिक नीतियाँ बनाना ताकि समाज के सभी वर्गों को रोजगार के अवसर मिल सकें।

यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न (2017): ‘ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स’ रैंकिंग निम्नलिखित में से किस संस्था द्वारा देशों को दी जाती है?

(a) वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम

(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

(c) संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन

(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम

प्रश्न (2017): ‘समावेशी वृद्धि’ की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? क्या भारत इस प्रकार की वृद्धि प्रक्रिया का अनुभव कर रहा है? विश्लेषण करें और समावेशी वृद्धि के लिए उपाय सुझाएँ।

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