सामान्य अध्ययन पेपर III: भारत और उसके पड़ोसी, द्विपक्षीय समूह और समझौते |
चर्चा में क्यों?
भारत-न्यूजीलैंड संबंध: हाल ही में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने भारत की आधिकारिक यात्रा की, जिसमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस वार्ता में दोनों देशों ने रणनीतिक सहयोग बढ़ाने हेतु छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत-न्यूजीलैंड संबंध: द्विपक्षीय वार्ता के मुख्य बिंदु
- आर्थिक सहयोग: भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे व्यापार और निवेश के अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा, अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर – पारस्परिक मान्यता समझौता (AEO-MRA) पर हस्ताक्षर किए गए, जो दोनों देशों के बीच वस्तुओं के निर्बाध आवागमन को आसान बनाएगा।
- रक्षा और सुरक्षा: रक्षा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत और न्यूजीलैंड के रक्षा मंत्रालयों के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत सैन्य अभ्यास, नौसेना यात्राओं और आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। न्यूजीलैंड ने भारत की हिंद-प्रशांत ओशंस पहल (IPOI) में शामिल होने की घोषणा की, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
- वैश्विक सहयोग: न्यूजीलैंड ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन जताया और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत की सदस्यता का भी समर्थन किया। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत नौवहन स्वतंत्रता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के सम्मान पर जोर दिया।
- जलवायु परिवर्तन: भारत और न्यूजीलैंड ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में सहयोग को लेकर सहमति जताई। इसके अलावा, दोनों देशों ने पेरिस जलवायु समझौते और सेंदाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन के तहत सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया।
- शिक्षा और खेल: भारत और न्यूजीलैंड ने शिक्षा सहयोग समझौते को नवीनीकृत किया, जिससे छात्र विनिमय कार्यक्रम और शैक्षिक संस्थानों के बीच साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, दोनों देशों ने खेलों में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिससे कोचिंग, खेल विज्ञान और खिलाड़ियों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाएगा। वर्ष 2026 में भारत-न्यूजीलैंड खेल संबंधों के 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष आयोजन करने की योजना बनाई गई है।
भारत-न्यूजीलैंड संबंध: विस्तारपूर्वक
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और न्यूजीलैंड के बीच संबंध 19वीं शताब्दी में शुरू हुए, जब 1850 के दशक में भारतीय प्रवासी क्राइस्टचर्च में बसने लगे। 1890 के दशक में विशेष रूप से पंजाब और गुजरात से बड़ी संख्या में भारतीय न्यूजीलैंड पहुंचे। प्रथम विश्व युद्ध (1915) के दौरान गैलीपोली में भारतीय सैनिकों ने एंज़ैक बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग की नींव पड़ी।
- व्यापार और निवेश: भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार 1.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023-24) तक पहुंच गया। भारत मुख्य रूप से न्यूजीलैंड से ऊन, लोहा एवं इस्पात, फल और एल्युमीनियम का आयात करता है, जबकि न्यूजीलैंड फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, निर्मित वस्त्र, मोती, कीमती पत्थर और धातुएँ भारत से खरीदता है।
- 2011 में न्यूजीलैंड ने “भारत के लिए दरवाजे खोलने” की नीति अपनाई, जिससे व्यापारिक संबंधों को प्राथमिकता मिली।
- भारत-न्यूजीलैंड व्यापार परिषद (INZBC) और भारत-न्यूजीलैंड व्यापार गठबंधन (INZTA) दो प्रमुख संगठन हैं, जो द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
- 2010 में दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर बातचीत शुरू की थी, जो 2015 में नौ दौर की वार्ता के बाद स्थगित हो गई थी।
- अगस्त 2024 में भारत और न्यूजीलैंड ने व्यापार को सुगम बनाने और संगठित अपराध से निपटने के लिए एक सीमा शुल्क सहकारी व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए।
- राजनीतिक संबंध: भारत और न्यूजीलैंड दोनों राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं और लोकतांत्रिक शासन प्रणाली साझा करते हैं। 1950 में भारत ने वेलिंगटन में अपना व्यापार आयोग स्थापित किया, जिसे बाद में उच्चायोग का दर्जा दिया गया। दोनों देश वैश्विक शांति, निरस्त्रीकरण, मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में समान विचारधारा रखते हैं।
- सांस्कृतिक संबंध: न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के लगभग 2,50,000 लोग निवास करते हैं, जिनमें से कई स्थायी प्रवासी बन चुके हैं।
- भारत न्यूजीलैंड के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जहां लगभग 8,000 भारतीय छात्र आईटी, इंजीनियरिंग, विज्ञान और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
- 2021 में न्यूजीलैंड पोस्ट ने दिवाली के सम्मान में चार विशेष डाक टिकट जारी किए।
- न्यूजीलैंड के कई स्कूलों में भारतीय पारंपरिक नृत्य (कथक, भरतनाट्यम), बॉलीवुड नृत्य और हिंदी भाषा को पढ़ाया जाता है।
“Opening Doors to India” नीति
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भारत और न्यूजीलैंड साझेदारी का महत्व
- वैश्विक डिजिटल सहयोग: भारत दुनिया की अग्रणी डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें 88 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), फिनटेक और डिजिटल कॉमर्स में प्रगति, न्यूजीलैंड की टेक कंपनियों को आईटी और डिजिटल इनोवेशन के क्षेत्र में सहयोग का अवसर देती है।
- कौशल विकास और शिक्षा सहयोग: न्यूजीलैंड भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है, जो उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में उसकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है। दूसरी ओर, न्यूजीलैंड के वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम भारत की कौशल विकास आवश्यकताओं को पूरा करने और रोजगार योग्य प्रतिभा को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। भारत न्यूजीलैंड का सबसे बड़ा कुशल प्रवासी स्रोत है।
- सुरक्षा और सामरिक सहयोग: न्यूजीलैंड का विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और समुद्री सुरक्षा चिंताएँ इसे भारत के रक्षा उत्पादों जैसे सर्विलांस सिस्टम, पेट्रोल बोट और राडार का संभावित खरीदार बनाती हैं। यह सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक स्थिरता को बढ़ावा देगा।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या और बढ़ती मध्यम वर्गीय शक्ति न्यूजीलैंड के लिए एक विशाल बाज़ार प्रस्तुत करती है। कृषि, डेयरी, मांस और वाइन उत्पादों के निर्यात के लिए भारत एक आकर्षक गंतव्य है। साथ ही, दोनों देशों के बीच डिजिटल सेवाओं और नवाचार आधारित व्यापार में सहयोग की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
भारत-न्यूजीलैंड संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ
- भारतीय कृषि उत्पादों जैसे अंगूर, भिंडी और आम के निर्यात को न्यूजीलैंड में स्वच्छता और प्लांट-स्वास्थ्य मानकों (SPS) के कारण अवरोधों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, मानकों और प्रमाणन को लेकर आपसी मान्यता समझौते (MRA) की अनुपस्थिति व्यापार को और जटिल बनाती है।
- न्यूजीलैंड में औसत आयात शुल्क मात्र 2.3% है, जबकि भारत में यह 17.8% तक है। यह असमानता न्यूजीलैंड के निर्यातकों के लिए चुनौती पैदा करती है, जो भारत में अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए आसान बाजार पहुँच चाहते हैं।
- भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता 2010 में शुरू हुई थी, लेकिन 2015 में यह ठप हो गई। भारत की उच्च शुल्क दरें (टैरिफ) इस गतिरोध का एक बड़ा कारण हैं।
- न्यूजीलैंड चाहता है कि भारत अपने संरक्षित डेयरी बाज़ार को विदेशी उत्पादों के लिए खोले, लेकिन भारत अपनी घरेलू दुग्ध उत्पादकों की आजीविका को प्राथमिकता देता है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में गतिरोध बना हुआ है।
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) प्रश्न (2021): नई त्रि-राष्ट्र साझेदारी AUKUS का उद्देश्य हिंद -प्रशांत क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना है । क्या यह क्षेत्र में मौजूदा साझेदारियों को पीछे छोड़ देगा ? वर्तमान परिदृश्य में AUKUS की ताकत और प्रभाव पर चर्चा करें । प्रश्न (2020): चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) वर्तमान समय में एक सैन्य गठबंधन से एक व्यापार ब्लॉक में बदल रहा है , चर्चा करें। |
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