सामान्य अध्ययन पेपर- III: विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा प्रौद्योगिकी |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने राजस्थान के पोखरण फील्ड रेंज में स्वदेशी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल “नाग एमके-2” के फील्ड मूल्यांकन परीक्षण सफलतापूर्वक किए।
नाग एमके-2 मिसाइल (Nag MK- 2 Missile) का परिचय
नाग एमके-2 मिसाइल एक तीसरी पीढ़ी की फायर-एंड-फॉरगेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है। यह पूर्ववर्ती भूमि-आधारित नाग मिसाइल का उन्नत संस्करण है।
- यह मिसाइल इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व DRDO द्वारा किया गया है।
- इस उन्नत मॉडल में हेलिना संस्करण से ली गई जेट-वेन नियंत्रण प्रणाली है, जो इसकी गतिशीलता को बढ़ाती है।
- इसे भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा निर्मित किया गया है।
- नाग एमके-2 का सफलतापूर्वक परीक्षण में, इसे अधिकतम और न्यूनतम रेंज दोनों पर तीन बार परीक्षण किया गया, और सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी सटीकता से नष्ट कर दिया।
- यह सफलता इसकी सटीकता और प्रभावशीलता को प्रदर्शित करती है।
IGMDP (इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम):
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नाग एमके-2 मिसाइल (Nag MK- 2 Missile) की विशेषताएँ
- रेंज और सटीकता: नाग एमके-2 की अनुमानित रेंज 7 से 10 किलोमीटर के बीच है।
- यह 500 मीटर से लेकर 4 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
- यह मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकंड की गति से अपने लक्ष्य पर वार करती है, और 4 किलोमीटर की दूरी से 17 से 18 सेकंड में लक्ष्य को नष्ट कर देती है।
- इससे पूर्व के संस्करण नाग एमके-1 की रेंज केवल 4 किलोमीटर थी।
- प्रभावशीलता: इस मिसाइल में टैंडम हाई-एक्सप्लोजिव एंटी-टैंक (HEAT) वारहेड लगा है, जो आधुनिक बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सक्षम है।
- इसकी टॉप-अटैक क्षमता शत्रु के टैंकों के सबसे कमजोर हिस्से को निशाना बनाकर इसे और भी प्रभावी बनाती है।
- यह मिसाइल एक्सप्लोजिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) और अन्य आधुनिक रक्षा प्रणालियों को भी नष्ट करने में सक्षम है।
- लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म: यह मिसाइल NAMICA (नाग मिसाइल कैरियर) से लॉन्च की जाती है, जो एक मजबूत और गतिशील प्लेटफ़ॉर्म है।
- सभी मौसम में कार्यक्षम: नाग एमके-2 एक लॉक-ऑन-आफ्टर-लॉन्च प्रणाली है, जो सभी मौसमों में कार्य करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह दिन और रात दोनों समय पर काम कर सकती है।
- गतिशीलता: नाग एमके-2 को हल्का और ले जाने के लिए आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है।
नाग मिसाइल (Nag Missile) प्रणाली का परिचय
नाग मिसाइल, जिसे “नागा” भी कहा जाता है, भारत की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है।
- यह लॉन्च-आफ्टर-लॉक-ऑन प्रणाली से लैस है, जिससे यह कठिन परिस्थितियों में भी सटीक लक्ष्य भेदने में सक्षम होती है।
- मिसाइल की रेंज 500 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक होती है, जो संस्करण के आधार पर भिन्न भिन्न है।
- इसकी 90% हिट प्रॉबेबिलिटी (एक ही शॉट में लक्ष्य को भेदने की संभावना) और 10 साल की मेंटेनेंस-फ्री शेल्फ लाइफ है।
- मिसाइल का उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा किया जाता है।
- इसकी कुल लागत ₹300 करोड़ आंकी गई है।
- जुलाई 2019 में भारतीय रक्षा मंत्रालय (MOD) ने घोषणा की थी कि यह मिसाइल उत्पादन के लिए तैयार है।
- मिसाइल का अंतिम सफल परीक्षण 21 अक्टूबर 2020 को पोखरण सेना रेंज में किया गया था।
- नाग मिसाइल के कई संस्करण विकसित किए जा रहे हैं:
- एक भूमि-आधारित संस्करण
- एक मास्ट-माउंटेड संस्करण
- एक हेलीकॉप्टर-लॉन्च संस्करण जिसे हेलिना (या ध्रुवास्त्र) कहा जाता है
- एक मानव-प्रवाहित संस्करण (MPATGM)
नाग मिसाइल की विशेषताएँ
- वजन: नाग मिसाइल का वजन 42 किलोग्राम (93 पाउंड) है, जो इसे एक हल्की लेकिन शक्तिशाली प्रणाली बनाता है।
- लंबाई: मिसाइल की कुल लंबाई 1.83 मीटर (6 फीट) है, जो इसे कॉम्पैक्ट बनाती है और इसे आसानी से परिवहन और तैनात किया जा सकता है।
- व्यास: मिसाइल का व्यास 0.15 मीटर (5.9 इंच) है, जो इसे विभिन्न लॉन्च प्लेटफार्मों में फिट होने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- पंखों का फैलाव: मिसाइल के पंखों का फैलाव 0.4 मीटर (16 इंच) है, जो उड़ान के दौरान स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
- ध्वंसशीर्ष: नाग मिसाइल में टैंडम-चार्ज HEAT ध्वंसशीर्ष है, जो 900 मिमी से अधिक रिएक्टिव और रोल्ड होमोजेनियस आर्मर (ERA + RHA) को भेदने की क्षमता रखता है, ताकि बख्तरबंद लक्ष्यों को प्रभावी रूप से नष्ट किया जा सके।
- ध्वंसशीर्ष का वजन: वारहेड का वजन 8 किलोग्राम है।
- इंजन: यह मिसाइल ठोस प्रोपेलेंट रॉकेट बूस्टर और एक सस्टेनेर मोटर का उपयोग करती है, जो लॉन्च के प्रारंभिक चरण और निरंतर उड़ान दोनों के लिए आवश्यक बल प्रदान करती है।
- लॉन्च प्लेटफार्म: नाग मिसाइल को विभिन्न प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है, जैसे NAMICA, HAL रुद्र, HAL प्रचंड और मिल Mi-24 हेलीकॉप्टर।
- NAMICA (नाग मिसाइल कैरियर) को BMP-2 इंफेंट्री फाइटिंग व्हीकल पर आधारित किया गया है।
- NAMICA में 12 मिसाइलें रखी जा सकती है, जिसमें से 8 मिसाइलें तैयार-फायर मोड में और 4 स्टोरेज में होती हैं।
- बाहरी संरचना: मिसाइल की बाहरी संरचना फाइबरग्लास से बनी होती है, जो इसे पर्यावरणीय तत्वों के प्रति मजबूत और सहनशील बनाती है।
- संचालन रेंज: मिसाइल की संचालन रेंज संस्करण के अनुसार भिन्न होती है:
- नाग (प्रोसिना): 500 मीटर से 4 किलोमीटर
- हेलिना/ध्रुवास्त्र: 7-10 किलोमीटर
- SANT: 15-20 किलोमीटर
- गति: मिसाइल अधिकतम 220-230 मीटर प्रति सेकंड (792-828 किमी/घंटा) की गति प्राप्त करती है।
- मार्गदर्शन प्रणाली: मिसाइल की मार्गदर्शन प्रणाली में शामिल हैं:
- मध्य-कोर्स: एरिया कोरिलेशन और सटीक नेविगेशन के लिए दो-तरफा डेटा लिंक।
- टर्मिनल: इमेजिंग इन्फ्रारेड होमिंग (IIR) हेलिना/ध्रुवास्त्र के लिए और मिलिमीटर-वेव सक्रिय रडार होमिंग SANT के लिए।
- उड़ान विशेषताएँ: मिसाइल में फोल्डेबल पंख और टेल फिन्स होती हैं, जो इसकी उड़ान को स्थिर और सटीक नियंत्रण प्रदान करती हैं।
- इमेज प्रोसेसर: इसमें एक रीयल-टाइम इमेज प्रोसेसर है, जो स्वचालित लक्ष्य पहचान और ट्रैकिंग में सक्षम है।
नाग मिसाइल का विकास
- प्रारंभ: नाग मिसाइल का विकास 1988 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में शुरू हुआ था। इस परियोजना को इन्फ्रारेड गाइडेंस सिस्टम में समस्याओं के कारण कई वर्षों तक देरी का सामना करना पड़ा।
- पहला परीक्षण: मिसाइल का पहला परीक्षण नवंबर 1990 में हुआ, जो इसके संचालन में सफलता की ओर पहला कदम था।
- आगामी परीक्षण: मिसाइल के सफल परीक्षण सितंबर 1997 और जनवरी 2000 में किए गए। जुलाई 2009 में इसे उत्पादन की मंजूरी मिली, और 2010 तक इसके अंतिम उपयोगकर्ता परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हुए।
- चुनौतियाँ और संशोधन: 2011 में मिसाइल परीक्षण में विफल हो गई। इसके बाद, एक नया स्वदेशी सीकर विकसित किया गया, जिसका जुलाई 2013 में कठिन रेगिस्तानी परिस्थितियों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
- अंतिम विकास और मंजूरी: नाग मिसाइल ने सितंबर 2016 में अपने अंतिम विकास परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। 2018 में मिसाइल को भारतीय सेना में फिर से प्रवेश के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इसके खरीद की मंजूरी दे दी और 2019 में इसे भारतीय सेना में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया।
नाग मिसाइल के विभिन्न संस्करण
- नाग (प्रोसीना): यह नाग मिसाइल का मूल संस्करण है, जो नाग परिवार का हिस्सा है। इसे NAMICA प्लेटफार्म से लॉन्च किया जाता है। इस संस्करण के कई सफल परीक्षण किए गए हैं।
- नाग एमके-2: यह नाग मिसाइल का उन्नत संस्करण है और तीसरी पीढ़ी की फायर-एंड-फॉरगेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है। इसमें पिछले भूमि-आधारित संस्करण की तुलना में कई सुधार किए गए हैं।
- MPATGM (मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल): यह नाग मिसाइल से विकसित तीसरी पीढ़ी की मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। DRDO ने 2021 में इसके उत्पादन की पुष्टि की और यह वर्तमान में उपयोगकर्ता परीक्षणों से गुजर रही है।
- हेलिना: यह नाग मिसाइल का वायुगत संस्करण है, जिसकी रेंज 7 किलोमीटर तक है। यह पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन के लिए उपयुक्त है और 800 मिमी तक के कवच को भेदने की क्षमता रखता है। इसे HAL Rudra और HAL Prachand हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जाता है।
- SANT (स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल): यह हेलिना का चौथी पीढ़ी का उन्नत संस्करण है, जो लंबी रेंज वाली एंटी-आर्मर मिसाइल है। इस मिसाइल में इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल थर्मल इमेजर (EO/IR) और मिलिमीटर वेव एक्टिव रडार होमिंग (MMW) सीकर होता है। इसकी रेंज 15 से 20 किलोमीटर तक है। इसका सफल परीक्षण पोखरण रेंज में नवंबर 2018 में किया गया था।
नाग और इसके संस्करण मिसाइलों का महत्व
- आधुनिक एंटी-टैंक युद्ध: नाग मिसाइल और इसके संस्करण भारतीय सशस्त्र बलों के लिए आधुनिक एंटी-टैंक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मिसाइलें भूमि और वायुगत ऑपरेशनों में भारतीय सेना की क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे वे युद्धभूमि में भारी बख्तरबंद टैंकों और अन्य बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर सकती हैं।
- उच्च सटीकता और विश्वसनीयता: नाग मिसाइल परिवार अपनी फायर-एंड-फॉरगेट और लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च सुविधाओं के कारण उच्च सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करता है। इसकी उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियाँ, जैसे इन्फ्रारेड होमिंग और रडार होमिंग, इसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी प्रभावी बनाती हैं, जैसे कि काउंटरमेजर्स या जामिंग प्रयासों के दौरान।
- बहुमुखी तैनाती: नाग मिसाइल प्रणाली के विभिन्न संस्करण जैसे नाग एमके-2, MPATGM, हेलिना और SANT भारतीय सेना को बहुमुखी तैनाती का विकल्प प्रदान करते हैं। NAMICA जैसे भूमि-आधारित प्लेटफार्मों से लेकर हेलिकॉप्टर-लॉन्च संस्करणों जैसे हेलिना और लंबी रेंज वाले SANT तक, ये संस्करण विभिन्न हमले की दूरी और गतिशीलता विकल्पों को कवर करते हैं।
- संचालन में लचीलापन: नाग मिसाइल प्रणाली अपनी विविध रेंज के साथ भारतीय सेना को विभिन्न प्रकार के इलाकों और युद्ध परिदृश्यों में संचालन के लिए लचीलापन प्रदान करती है।
- स्वदेशी विकास और आत्मनिर्भरता: नाग और इसके संस्करणों का DRDO द्वारा विकास भारत की रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिसाइल परिवार भारत की उन्नत हथियार प्रणालियाँ विकसित करने की क्षमता का प्रतीक है।
यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न (Previous Year Question) प्रश्न (2014): अग्नि-IV मिसाइल के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/कौन-से कथन सही हैं? 1. यह एक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। 2. यह केवल तरल प्रणोदक से ईंधनित होती है। 3. यह एक टन का परमाणु वारहेड 7500 किमी दूर तक पहुंचा सकती है। सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कोड से करें: (a) केवल 1 (b) 2 और 3 केवल (c) 1 और 3 केवल (d) 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न (2020): भारत-रूस रक्षा सौदों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा सौदों का क्या महत्व है? हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में चर्चा करें। |
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