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राजस्थान में आर्टेसियन कुआँ

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संदर्भ:

आर्टेसियन कुआँ: जैसलमेर में एक अनोखी प्राकृतिक घटना देखने को मिली जब आर्टेसियन पानी सतह पर उभरने लगा। यह घटना आर्टेसियन स्थितियों का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।

आर्टेसियन कुआँ:

आर्टेसियन कुआँ वह है, जहाँ जल पंपिंग के बिना दबाव के कारण स्वाभाविक रूप से सतह पर आता है। आर्टेसियन नाम फ्राँस के आर्टोइस कस्बे से लिया गया है जो कि आर्टेसियम का पुराना रोमन शहर था, जहाँ मध्य युग में सबसे प्रसिद्ध आर्टेसियन कुएँ थे।

मुख्य बिंदु:

  1. कन्फाइंड जलभृत (Confined aquifer):
    • जलभृत (Aquifer) एक पारगम्य परत है, जो मृदा या चट्टान जैसी अभेद्य परतों के बीच होती है।
    • इसके ऊपर और नीचे कठोर सामग्री होने के कारण इसे कन्फाइंड जलभृत कहते हैं।
  2. निर्माण (Formation):
    • आर्टेसियन कुओं का निर्माण तब होता है, जब कुआँ कन्फाइंड जलभृत तक पहुँचता है।
    • जल को इन अभेद्य परतों के बीच दबाव में संग्रहित किया जाता है।
  3. दबाव तंत्र (Pressure mechanism):
    • कन्फाइंड जलभृत में जल उच्च दबाव में होता है।
    • जब कुआँ ड्रिल किया जाता है, तो दबाव जल को बोरहोल के माध्यम से ऊपर ले आता है।
  4. जल प्रवाह (water flow):
    • स्वाभाविक प्रवाह: यदि दाब पर्याप्त हो, तो जल सतह पर स्वतः प्रवाहित होता है (प्रवाहित आर्टेसियन कुआँ)।
    • पंप की आवश्यकता: यदि दाब अपर्याप्त हो, तो जल को निकालने के लिए पंप की जरूरत होती है।
  5. स्थान: प्रसिद्ध आर्टेसियन कुएँ:
    • ग्रेट आर्टेसियन बेसिन (ऑस्ट्रेलिया)
    • डकोटा एक्वीफर (संयुक्त राज्य अमेरिका)
    • अफ्रीका के कई क्षेत्र।
  6. ट्यूबवेल से अंतर:
    • आर्टेसियन कुआँ: जल दबाव के कारण स्वतः सतह पर आता है।
    • ट्यूबवेल: जल को सतह पर लाने के लिए बाहरी ऊर्जा (पंप) की आवश्यकता होती है।

रेगिस्तानी क्षेत्रों में आर्टेसियन जलभृत:

  • रेत के नीचे बंद जल (Confined Water):
    • रेगिस्तानी क्षेत्रों में, जल सैंडस्टोन की भूगर्भीय परतों के नीचे फंसा रहता है।
    • जब इस परत को छेदा जाता है, तो भूगर्भीय दबाव के कारण जल स्वतः ऊपर की ओर प्रवाहित होता है।
  • तारानगर में अनोखा अवलोकन:
    • राजस्थान के मोहनगढ़ और नाचनासमिति पंचायत जैसे स्थानों में यह घटना देखी गई है।
    • लेकिन, तारानगर में जल प्रवाह की तीव्रता असाधारण थी।
  • वैश्विक स्तर पर आर्टेसियन घटनाएं: ऐसे ही आर्टेसियन जल प्रवाह ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी दर्ज किए गए हैं।

महत्व:

  1. शुष्क क्षेत्रों में जल स्रोत:
    • आर्टेसियन कुएँ रेगिस्तानी और शुष्क क्षेत्रों में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जहाँ जल की कमी होती है।
    • इनसे प्राकृतिक रूप से प्रवाहित जल ऊर्जागहन पंपों के बिना उपलब्ध हो सकता है।
  2. कृषि उपयोगिता:
    • आर्टेसियन कुएँ सीमित सतही जल वाले क्षेत्रों में सिंचाई संभव बनाते हैं।
    • यह फसलों को बिना मशीनरी की आवश्यकता के जल उपलब्ध कराते हैं।
  3. भूगर्भीय अध्ययन: आर्टेसियन परिस्थितियाँ वैज्ञानिकों को भूजल वितरण, जल विज्ञान, और क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना का अध्ययन करने में मदद करती हैं।

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