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बेलगावी अधिवेशन

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने बेलगावी में बेलगावी अधिवेशन की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। इन आयोजनों के जरिए पार्टी अपने ऐतिहासिक योगदान और राजनीतिक विरासत को याद करेगी।

परिचय:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने 26-27 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी (पूर्व में बेलगाम) में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया है। यह आयोजन महात्मा गांधी द्वारा 1924 में अध्यक्षता किए गए ऐतिहासिक बेलगावी अधिवेशन की शताब्दी के उपलक्ष्य में किया जा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:

  • कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) का विस्तारित सत्र।
  • गांधीजी के नेतृत्व और इस ऐतिहासिक अधिवेशन में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए एक रैली।

1924 के बेलगावी अधिवेशन (Belagavi Session) की पृष्ठभूमि:

  • गांधीजी की जेल से रिहाई:
    • 1922 में यंग इंडिया में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना पर महात्मा गांधी को छह वर्ष की सजा हुई।
    • स्वास्थ्य समस्याओं के चलते फरवरी 1924 में लगभग दो साल बाद रिहा हुए।
  • रिहाई के बाद चुनौतियां:
    • हिंदू-मुस्लिम एकता की कमी।
    • कांग्रेस के भीतर गुटबाजी।
    • इन समस्याओं के समाधान के लिए गांधीजी ने 18 सितंबर से 8 अक्टूबर 1924 तक 21 दिन का उपवास किया।
  • अधिवेशन में शामिल प्रमुख नेता:
    • जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजिनी नायडू जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता।
    • खिलाफत आंदोलन के नेता मुहम्मद अली जौहर और शौकत अली।

प्रमुख निर्णय और परिणाम:

  • असहयोग और सविनय अवज्ञा: गांधीजी ने असहयोग और सविनय अवज्ञा को ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रभावी आंदोलन के रूप में पुनः स्थापित किया।
  • खादी का प्रचार: खादी को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उद्योगों के प्रोत्साहन के प्रतीक के रूप में बढ़ावा दिया गया।
  • सांप्रदायिक सौहार्द: सभी धार्मिक और जातीय समूहों में एकता और सद्भाव पर बल दिया गया, जो ब्रिटिश विभाजनकारी नीतियों का प्रतिरोध था।

बेलगावी अधिवेशन  (Belagavi Session) का महत्व:

  • गांधीजी का नेतृत्व:
    • महात्मा गांधी की अध्यक्षता ने अहिंसा, सांप्रदायिक सौहार्द और स्वराज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया।
    • उनके विचार और रणनीतियों ने स्वतंत्रता संग्राम के भविष्य के आंदोलनों की नींव रखी।
  • स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रभाव:
    • सत्र ने किसानों में जागरूकता फैलाने का काम किया।
    • खादी और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा मिला, विशेष रूप से कर्नाटक में।
    • कांग्रेस के नेतृत्व वाले आंदोलनों में किसानों की भागीदारी बढ़ी।
  • एकता और समावेशिता:
    • सत्र में जवाहरलाल नेहरू, लाल लाजपत राय, सी. राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे नेता शामिल हुए।
    • यह भारतीय नेताओं की स्वतंत्रता के लिए एकता और सामूहिक संकल्प का प्रतीक बना।
  • सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव:
    • प्रसिद्ध गायक वीने शेषण्णा ने ‘उदयवागली नम्मा चालुवा कन्नड नाडु’ गीत प्रस्तुत किया।
    • यह गीत कर्नाटक के एकीकरण आंदोलन का प्रतीक बना।
    • इस आयोजन ने स्वतंत्रता संग्राम में सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की भूमिका को उजागर किया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress):

स्थापना:

  • वर्ष: 1885
  • स्थापक: ए. ओ. ह्यूम
  • पहली बैठक 28-31 दिसंबर 1885 को बॉम्बे (मुंबई)
  • पहली बैठक की अध्यक्षता डब्ल्यू. सी. बनर्जी

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