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दार्जिलिंग चिड़ियाघर: बायोबैंक

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संदर्भ:

दार्जिलिंग चिड़ियाघर: बायोबैंक: राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत देश का पहला बायोबैंक (Biobank) अब पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क (दार्जिलिंग चिड़ियाघर) में कार्यरत है। यह पहल वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों के आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सकेगा।

भारत का पहला जीव बैंक (बायोबैंक) – मुख्य बिंदु

स्थापना और संग्रह:

  • यह जुलाई 2024 में स्थापित किया गया।
  • अब तक 23 प्रजातियों के 60 जानवरों के DNA, कोशिका और ऊतक नमूने एकत्र किए गए हैं।

क्या संग्रहित किया जाता है?

  • लुप्तप्राय जीवों की कोशिकाएं और ऊतक।
  • मृत जानवरों के प्रजनन कोशिकाएं (गैमीट्स)

भंडारण विधि:

  • नमूनों को -196°C पर तरल नाइट्रोजन में क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक से संरक्षित किया जाता है।
  • ये नमूने 40 से 45 वर्षों तक सुरक्षित रह सकते हैं।

पहल:

  • दार्जिलिंग चिड़ियाघर द्वारा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अंतर्गत सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के सहयोग से।
  • यह पहल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत चल रही है।

Biobank और Cryogenics का महत्व

  1. अनुसंधान और विकास (R&D):
    • भविष्य में अनुसंधान के लिए संग्रह: नमूने वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
    • अनुवांशिक परिवर्तन (Mutation) पर अध्ययन: यह अनुसंधान जीवों में आनुवंशिक बदलावों को समझने में मदद करेगा।
    • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: इससे यह जाना जा सकेगा कि पर्यावरणीय बदलावों से जैव विविधता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
  2. वन्यजीव संरक्षण:
    • विलुप्त या संकटग्रस्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने में मदद।
    • जनसंख्या सुधार के लिए आनुवंशिक सामग्री का उपयोग।
    • लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन कार्यक्रमों में सहायक।
  3. क्रायोजेनिक्स (Cryogenics):
    • नमूनों को -196°C तापमान पर क्रायो-प्रिजर्वेशन तकनीक से संरक्षित किया जाता है।
    • यह तकनीक डीएनए, ऊतक और प्रजनन कोशिकाओं को दशकों तक संरक्षित रख सकती है।
    • भविष्य में वैज्ञानिकों को संरक्षित कोशिकाओं से नए जीव विकसित करने में मदद मिल सकती है।

Biobank: जैविक नमूनों का भंडार

  • बायोबैंक: बायोबैंक एक जैविक नमूना संग्रहण केंद्र है, जहां रक्त, डीएनए, कोशिकाएं, ऊतक और अंगोंको संरक्षित किया जाता है।
  • यह मानव एवं पशु नमूनों को इकट्ठा और सुरक्षित रखता है ताकि वैज्ञानिक शोध किए जा सकें।
  • भारत में बायोबैंक (2024 तक): भारत में 19 पंजीकृत बायोबैंक कार्यरत हैं।
  • इनमें कैंसर कोशिका रेखाएं (Cell Lines), ऊतक (Tissues) और अन्य जैविक नमूने संग्रहीत किए गए हैं।
  • वैज्ञानिक और चिकित्सा क्षेत्र में योगदान: शोधकर्ताओं कोआनुवंशिक (Genetic) जानकारी तक पहुंचप्रदान करता है।
  • लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy) और व्यक्तिगत उपचार (Personalized Medicine) के विकास में मदद करता है।
  • भारत में बायोबैंकिंग के लिए चुनौतियां: सख्त नियामक ढांचे की आवश्यकता ताकि नमूनों का संग्रहण, भंडारण और उपयोग नैतिकता एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।
  • डेटा सुरक्षा एवं गोपनीयता सुनिश्चित करना ताकि जैविक नमूनों का दुरुपयोग न हो।

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