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संदर्भ:
रक्षा सुधार वर्ष 2025: रक्षा मंत्रालय ने 2025 को “रक्षा सुधार वर्ष” घोषित किया है। यह निर्णय सशस्त्र बलों को आधुनिक और सशक्त बनाने की दिशा में मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रक्षा बलों में सुधार क्यों आवश्यक हैं?
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) का अभाव:
- NSS की कमी से रक्षा रणनीतियों और राष्ट्रीय नीतियों के बीच समन्वय का अभाव है।
- चीन और पाकिस्तान जैसे उभरते खतरों के खिलाफ तैयारी में कमी देखी गई है।
- साइबर युद्ध का बढ़ता खतरा:
- साइबरस्पेस युद्ध का पांचवां क्षेत्र बन चुका है, जहां राज्य-प्रायोजित हमले आर्थिक और सैन्य ढांचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
- यूक्रेन-रूस संघर्ष इसका ताजा उदाहरण है।
- आयात पर निर्भरता:
- भारत 2019-23 के दौरान विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा।
- धीमी स्वदेशीकरण प्रक्रिया और घरेलू रक्षा उद्योग की चुनौतियां आत्मनिर्भरता में बाधा हैं।
- सांस्कृतिक प्रतिरोध: भारतीय सैन्य सेवाओं (थलसेना, नौसेना, वायुसेना) के अलग-अलग दृष्टिकोण से संयुक्त मॉडल अपनाने में बाधा आती है।
- अपर्याप्त वित्तीय संसाधन: रक्षा बजट कुल GDP का केवल 9% है, जो आधुनिक उपकरण, तकनीक और बुनियादी ढांचे के विकास को सीमित करता है।
- आवश्यक खरीद प्रक्रियाओं का अभाव: गलवान संघर्ष (2020) के बाद आपातकालीन खरीद प्रक्रियाएं अपनाई गईं, जो रणनीतिक तैयारियों की कमी को उजागर करती हैं।
- अल्पकालिक नीतियां: अग्निपथ योजना की 6 महीने की प्रशिक्षण अवधि पर सवाल उठे हैं, जो सैनिकों की युद्ध तैयारी और सेना के मनोबल को प्रभावित कर सकती है।
- साइबर और तकनीकी चुनौतियां: आधुनिक युद्ध में तकनीकी श्रेष्ठता आवश्यक है, लेकिन भारत के पास उन्नत साइबर सुरक्षा और डिजिटल क्षमताओं की कमी है।
रक्षा सुधार वर्ष 2025 के प्रमुख क्षेत्र:
- संयुक्तता और एकीकरण: Integrated Theatre Commands (लखनऊ, जयपुर, तिरुवनंतपुरम) की स्थापना और संयुक्त संचालन।
- उभरती प्रौद्योगिकियां:
- AI, साइबर, अंतरिक्ष, हाइपरसोनिक्स, और रोबोटिक्स में निवेश।
- तकनीकी साझेदारी और नवाचार को प्रोत्साहन।
- सरल अधिग्रहण: रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाना।
- रक्षा निर्यात: ₹21,000 करोड़ का रक्षा निर्यात, भारत को विश्वसनीय निर्यातक बनाना।
- पूर्व सैनिक कल्याण: पूर्व सैनिकों की भलाई और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा।
लक्ष्य: आत्मनिर्भर और आधुनिक रक्षा शक्ति बनाना।
हालिया रक्षा सुधार:
- अंतरिक्ष और साइबर एजेंसियां: रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA) और साइबर एजेंसी (DCA) की स्थापना।
- रक्षा निर्यात: 2025 तक $5 बिलियन रक्षा निर्यात का लक्ष्य; ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उत्पादों का निर्यात।
- सरल खरीद प्रक्रिया: Defence Acquisition Procedure (DAP) 2020 के तहत खरीद प्रक्रिया तेज और सरल बनाना।
- आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशीकरण पर ध्यान, रक्षा आयात को सीमित करने की नकारात्मक सूची और रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना।
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS): 2020 में स्थापित, तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना, नौसेना) में संयुक्तता बढ़ाने के लिए।
- अग्निपथ योजना: 4 वर्षों के लिए अल्पकालिक सैनिक भर्ती, आधुनिकरण और पेंशन खर्च कम करने का प्रयास।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास:
- iDEX (Innovations for Defence Excellence) के माध्यम से स्टार्टअप और MSMEs को प्रोत्साहन।