संदर्भ:
अनुदान की माँगें : लोकसभा ने 2025-26 के लिए विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों को पारित किया, जिसमें ₹50 लाख करोड़ से अधिक के व्यय को मंजूरी दी गई।
अनुदान की माँगें (Demands for Grants):
अनुदान की माँगें उन व्यय अनुमानों को संदर्भित करती हैं जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
दायरा:
- आवर्तक एवं पूंजीगत व्यय :
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान और ऋण व अग्रिम:
- प्रत्येक मंत्रालय/विभाग अपनी अनुदान की माँग प्रस्तुत करता है। बड़े मंत्रालयों की कई अनुदान माँगें हो सकती हैं।
व्यय के प्रकार:
- मतदान योग्य व्यय (Voted Expenditure):लोकसभा की मंजूरी आवश्यक होती है।
- अभ्यस्त व्यय (Charged Expenditure):इसमें राष्ट्रपति का वेतन, न्यायाधीशों का वेतन, ऋण सेवा (Debt Servicing) शामिल हैं। इसके लिए मतदान की आवश्यकता नहीं होती।
संविधान में अनुदान की माँगों से संबंधित प्रावधान:
- अनुच्छेद 113: राष्ट्रपति की अनुशंसा के बिना किसी अनुदान की माँग नहीं की जा सकती।
- अनुच्छेद 114: भारतीय संचित कोष (Consolidated Fund of India) से धन की निकासी के लिए संसद की मंजूरी अनिवार्य है।
- अनुच्छेद 115: यदि मूल बजट आवंटन अपर्याप्त हो, तो पूरक, अतिरिक्त, या अधिक अनुदान की अनुमति देता है।
- अनुच्छेद 116: यदि बजट वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले पारित नहीं होता, तो ‘वोट ऑन अकाउंट’, ‘वोट ऑफ क्रेडिट’ और ‘असाधारण अनुदान’ का प्रावधान है।
अनुदान की माँगों पर मतदान:
- यह लोकसभा का विशेषाधिकार है (राज्यसभा मतदान नहीं कर सकती)।
- मतदान केवल बजट के मतदान योग्य हिस्से पर होता है।
- प्रत्येक माँग पर अलग-अलग मतदान किया जाता है और चर्चा की जाती है।