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संदर्भ:
तिब्बती क्षेत्र और नेपाल में भूकंप: चीन के तिब्बती क्षेत्र और नेपाल के कुछ हिस्सों में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे क्षेत्र में भारी झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र शिगात्से क्षेत्र के टिंग्री काउंटी में सतह से लगभग 10 किलोमीटर नीचे स्थित था। यह स्थान विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर में है। यह भूकंप 2014 के बाद से चीन में आया सबसे घातक भूकंप था।
तिब्बती क्षेत्र और नेपाल में भूकंप के कारण:
क्या हिमालय भूकंप के लिए संवेदनशील है?
- भारतीय और यूरेशियन प्लेट की टेक्टोनिक टक्कर:
- हिमालय भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की अभिसरण सीमा पर स्थित है।
- यहां भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे दबती है, जिससे अत्यधिक तनाव उत्पन्न होता है, जो भूकंप के रूप में मुक्त होता है।
- सक्रिय भ्रंश रेखाएं (Fault Lines):
- हिमालय में मेन सेंट्रल थ्रस्ट और मेन बाउंड्री थ्रस्ट जैसी कई सक्रिय भ्रंश प्रणालियां हैं।
- इन भ्रंशों पर अचानक खिसकने या हलचल से भूकंप उत्पन्न होते हैं।
- युवा पर्वत श्रृंखला:
- हिमालय एक भूवैज्ञानिक रूप से युवा और संरचनात्मक रूप से अस्थिर पर्वत श्रृंखला है।
- इसकी यह अस्थिरता भूकंपीय गतिविधियों को और अधिक तीव्र बनाती है।
भूकंप का स्थान क्यों महत्वपूर्ण है?
भौगोलिक और सांस्कृतिक संदर्भ:
- उपकेंद्र का स्थान: तिंग्री काउंटी, तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र में स्थित है, जिसकी औसत ऊंचाई 4-5 किमी है और यहां लगभग 8 लाख लोग रहते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: शिगात्से तिब्बती बौद्ध धर्म के पंचेन लामा का निवास स्थान है और एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है।
- पर्यटन पर प्रभाव: तिंग्री, माउंट एवरेस्ट के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध है। सर्दियों में पर्यटकों की संख्या कम होती है, लेकिन भूकंप के कारण क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां निलंबित कर दी गईं।
महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के पास की निकटता:
- ल्हासा टेरेन: भूकंप ल्हासा टेरेन में हुआ, जो भू-भौतिकीय अध्ययन और विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- मेगा डैम परियोजना: इस क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षी यारलुंग त्सांगपो नदी डैम परियोजना स्थित है, जो दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है और प्रति वर्ष 300 अरब kWh बिजली उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
- भारत के लिए चिंताएं: यारलुंग त्सांगपो नदी अरुणाचल प्रदेश और असम में ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है। इससे जल प्रवाह और उपलब्धता पर संभावित प्रभाव को लेकर भारत में चिंताएं हैं।
हिमालय में भूकंप के परिणाम:
- भूस्खलन और हिमस्खलन:
- खड़ी भू-आकृति भूस्खलन को बढ़ावा देती है, जिससे बुनियादी ढांचे को भारी क्षति और जनहानि होती है।
- हिमस्खलन से पर्वतीय क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर हो जाती है।
- ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOFs):
- भूकंप ग्लेशियल झीलों को अस्थिर कर सकते हैं, जिससे विनाशकारी बाढ़ आ सकती है।
- यह नदियों और आस-पास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बनता है।
- टेक्टोनिक उत्थान और भ्रंश:
- अचानक ऊंचाई में बदलाव से पारिस्थितिक तंत्र और मानव बस्तियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- यह क्षेत्रीय भूगोल को स्थायी रूप से बदल सकता है।
- सांस्कृतिक और धरोहर हानि:
- इस क्षेत्र में प्राचीन मठ, मंदिर और सांस्कृतिक स्थलों का संरक्षण होता है।
- भूकंप इन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।