संदर्भ:
लोकसभा ने वित्त विधेयक 2025 को 35 संशोधनों के साथ पारित किया।
वित्त विधेयक (Finance Bill) के बारे में:
वित्त विधेयक हर साल केंद्रीय बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसे सरकार की वित्तीय नीतियों को लागू करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
उद्देश्य:
- सरकार के राजकोषीय प्रस्तावों को लागू करना।
- कराधान (Taxation), व्यय (Expenditure) और राजस्व समायोजन (Revenue Adjustments) को अधिकृत करना।
- आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक दिशा को निर्धारित करना।
संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 110(a) के तहत, वित्त विधेयक को बजट के साथ पेश करना अनिवार्य है।
- विधेयक के साथ कर प्रावधानों की व्याख्या करने के लिए एक ज्ञापन (Memorandum) संलग्न होता है।
वित्तीय विधेयकों के प्रकार:
भारतीय संसद में तीन प्रकार के वित्तीय विधेयक होते हैं:
- मनी बिल (Money Bill) – अनुच्छेद 110:
- केवल राजस्व प्राप्ति और व्यय से संबंधित होता है।
- लोकसभा में ही पेश किया जाता है और राज्यसभा को केवल सिफारिशें देने का अधिकार होता है।
- राष्ट्रपति की स्वीकृति अनिवार्य होती है।
- वित्तीय विधेयक श्रेणी–I: अनुच्छेद 117(1)
- इसमें मनी बिल की कुछ विशेषताएँ होती हैं, लेकिन इसमें अन्य प्रशासनिक प्रावधान भी होते हैं।
- इसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित करना आवश्यक होता है।
- राष्ट्रपति की अनुशंसा आवश्यक होती है।
- वित्तीय विधेयक श्रेणी–II: (अनुच्छेद 117(3)
- इसमें वित्तीय प्रावधान होते हैं लेकिन ये मनी बिल की परिभाषा में नहीं आते।
- यह एक साधारण विधेयक की तरह लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित किया जाता है।
- राष्ट्रपति की अनुशंसा अनिवार्य नहीं होती।