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राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक

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संदर्भ:

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष, डॉ. अरविंद पनगढ़िया, ने नीति आयोग की रिपोर्ट “राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (Fiscal Health Index – FHI) 2025″ का उद्घाटन संस्करण जारी किया।

राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (Fiscal Health Index – FHI) :

परिचय:

  • नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा राज्यों की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और सतत आर्थिक विकास के लिए सुधारों का मार्गदर्शन करने के उद्देश्य से वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (Fiscal Health Index – FHI) शुरू किया गया है।
  • यह सूचकांक राज्यों की वित्तीय सेहत को मापने के लिए एक समग्र सूचकांक (Composite Index) का उपयोग करता है, जो विभिन्न वित्तीय मानकों पर आधारित है।

प्रमुख घटक (Sub-Indices):

FHI को पाँच प्रमुख उप-सूचकांकों के आधार पर मूल्यांकित किया जाता है:

  1. व्यय की गुणवत्ता (Quality of Expenditure): सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता और प्राथमिकता को दर्शाता है।
  2. राजस्व संग्रहण (Revenue Mobilization): राज्यों की आंतरिक संसाधन जुटाने की क्षमता का आकलन करता है।
  3. राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Prudence): व्यय और राजस्व के संतुलन पर ध्यान केंद्रित करता है।
  4. ऋण सूचकांक (Debt Index): राज्यों के ऋण स्तर और उनकी प्रबंधन रणनीतियों का आकलन करता है।
  5. ऋण स्थिरता (Debt Sustainability): राज्यों की ऋण चुकाने की क्षमता और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को मापता है।

डेटा स्रोत:

  • रिपोर्ट के लिए 2022-23 के आंकड़े भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से लिए गए हैं।
  • 2014-15 से 2021-22 तक की प्रवृत्तियों (trends) को भी विश्लेषण में शामिल किया गया है।

व्यापक कवरेज:

  • यह सूचकांक उन राज्यों को कवर करता है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसांख्यिकी, सार्वजनिक व्यय और राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) रिपोर्ट 2025 :

शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य:

  • ओडिशा:8 FHI स्कोर के साथ पहला स्थान प्राप्त किया।
  • छत्तीसगढ़: दूसरा स्थान।
  • गोवा: तीसरा स्थान।

पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य ऋण स्थिरता और राजस्व जुटाने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे वित्तीय सुधारों की आवश्यकता उजागर होती है।

महत्व (Significance):

  1. आर्थिक अनुशासन को बढ़ावा: डेटा-आधारित जानकारियों के माध्यम से वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करता है।
  2. राज्यविशेष सुधारों का मार्गदर्शन: विभिन्न राज्यों के बीच असमानताओं को दूर करने के लिए राज्य-विशेष सुधारों का सुझाव देता है।
  3. स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है: राज्यों के बीच आर्थिक प्रगति के लिए सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
  4. सहकारी संघवाद का समर्थन: “विकसित भारत @2047” के लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
  5. निरंतर सुधार हेतु वार्षिक समीक्षा: राज्यों की वित्तीय स्थिति को हर साल ट्रैक करता है ताकि लगातार सुधार किया जा सके।

 

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