Apni Pathshala

वैश्विक प्लास्टिक संधि

Download Today Current Affairs PDF

दक्षिण कोरिया के बुसान में 170 से अधिक देश वैश्विक प्लास्टिक और समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए वैधानिक समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। यह पांचवां और अंतिम दौर है, जिसका लक्ष्य 2024 तक इस समझौते को अंतिम रूप देना है।

प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की दिशा में वैश्विक प्रयास:

पृष्ठभूमि:

  1. प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने का प्रस्ताव (2022): संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने 2022 में प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया।
  2. अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC) की स्थापना: INC को एक वैधानिक वैश्विक संधि तैयार करने का दायित्व सौंपा गया, जिसका उद्देश्य सभी देशों में प्लास्टिक उत्पादन और उपयोग को नियंत्रित करना है।
  3. वैश्विक प्लास्टिक संधि (Global Plastics Treaty): 2022 में, 175 देशों ने 2024 तक प्लास्टिक प्रदूषण पर एक बाध्यकारी समझौता विकसित करने पर सहमति जताई, ताकि प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और निपटान से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक संधि की आवश्यकता

  1. जलवायु पर प्रभाव:
    • प्लास्टिक उत्पादन से वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 3.6% उत्पन्न होता है।
    • इसका अधिकांश उत्सर्जन उत्पादन प्रक्रिया के दौरान होता है, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है।
  1. तेजी से बढ़ता प्लास्टिक उत्पादन:
    • 2000 में वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन 234 मिलियन टन था, जो 2019 में बढ़कर 460 मिलियन टन हो गया।
    • अनुमान है कि यह 2040 तक 700 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।
    • एशिया इस उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा बनाता है।
  1. प्लास्टिक कचरे की समस्या:
    • हर साल 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जो 2050 तक 62% बढ़ने की संभावना है।
    • केवल 10% प्लास्टिक का ही रीसाइक्लिंग होता है, जबकि शेष कचरा नदियों और महासागरों में जाकर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है।
    • यह समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
  1. मानव स्वास्थ्य पर खतरे: प्लास्टिक में मौजूद रसायन हार्मोन को बाधित करते हैं और कैंसर, मधुमेह, प्रजनन विकार और मस्तिष्क विकास समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
  1. भारत का योगदान:
    • भारत दुनिया के कुल प्लास्टिक कचरे में 20% योगदान देता है।
    • हर साल भारत से 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक उत्सर्जन होता है।

वैश्विक प्लास्टिक संधि पर भारत का दृष्टिकोण

  1. प्लास्टिक उत्पादन पर प्रतिबंध का विरोध: भारत पॉलीमर उत्पादन पर सीमाओं का विरोध करता है, इसे UNEA 2022 के प्रस्ताव के दायरे से बाहर मानता है।
  2. वित्तीय और तकनीकी सहायता की मांग: भारत संधि में वित्तीय मदद, तकनीकी सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को अनिवार्य बनाने पर जोर देता है।
  3. हानिकारक रसायनों का नियमन: प्लास्टिक में उपयोग होने वाले हानिकारक रसायनों पर निर्णय वैज्ञानिक आधार पर हो और इसका नियमन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाए।
  4. प्लास्टिक उपयोग समाप्ति पर व्यावहारिक दृष्टिकोण:
    • 2022 में भारत ने 19 श्रेणियों के सिंगलयूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया।
    • भारत मानता है कि संधि में चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक समाप्ति का निर्णय स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर होना चाहिए।
  5. सुरक्षित कचरा प्रबंधन की आवश्यकता: भारत वैज्ञानिक और सुरक्षित कचरा प्रबंधन के लिए संरचना आकलन, वित्तीय आवश्यकताओं और स्थिर फंडिंग के लिए तंत्र की मांग करता है।

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top