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अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी वैश्विक वेतन रिपोर्ट 2024-25 दुनिया भर में मजदूरी के रुझानों, असमानता, और वास्तविक मजदूरी वृद्धि पर प्रकाश डालती है। यह रिपोर्ट श्रम बाजार की चुनौतियों और समाधान पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
वैश्विक वेतन रिपोर्ट 2024-25 के मुख्य निष्कर्ष:
वेतन वृद्धि के रुझान:
- वैश्विक परिदृश्य: 2022 में गिरावट के बाद, 2023 में वैश्विक वास्तविक मजदूरी वृद्धि में सुधार हुआ।
- क्षेत्रीय रुझान:
- तेजी से वृद्धि: एशिया-प्रशांत, मध्य और पश्चिमी एशिया, और पूर्वी यूरोप।
- अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहाँ मजदूरी वृद्धि अधिक है।
- भारत का संदर्भ: लगभग 9.5% भारतीय श्रमिक कम वेतन वाले श्रमिकों की श्रेणी में आते हैं।
श्रम आय असमानता के रुझान:
- वैश्विक वेतन असमानता:
- असमानता में कुल मिलाकर गिरावट का रुझान देखा गया।
- निम्न आय वाले देशों में यह सबसे अधिक है।
- उच्च आय वाले देशों में असमानता अपेक्षाकृत कम है।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था:
- मजदूरी वितरण के निचले स्तर पर महिलाओं और श्रमिकों का अधिक प्रतिनिधित्व।
- औपचारिक रोजगार सृजन की कमी से अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि।
- श्रम उत्पादकता (1999-2024): उच्च आय वाले देशों में श्रम उत्पादकता वृद्धि, वास्तविक मजदूरी वृद्धि की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी।
आगे बढ़ने का रास्ता:
- अनुसंधान में वृद्धि: असमानता के बदलाव को मापने के लिए बेहतर डेटा और सांख्यिकी का उपयोग।
- राष्ट्रीय रणनीतियाँ:
- मजदूरी निर्धारण में आर्थिक और सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखा जाए।
- लैंगिक समानता और गैर-भेदभाव को प्राथमिकता दी जाए।
- आय का पुनर्वितरण:
- कर और सामाजिक हस्तांतरण प्रणाली के माध्यम से।
- उत्पादकता बढ़ाने, सभ्य कार्य सुनिश्चित करने और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ अपनाई जाएं।
- पाल्मा अनुपात: असमानता का एक माप।
- यह वेतन वितरण के शीर्ष 10% और निचले 40% के प्रति घंटा वेतन के कुल हिस्से के अनुपात से मापा जाता है।
महत्व: यह रिपोर्ट वैश्विक मजदूरी और श्रम आय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और नीति निर्माताओं को श्रम बाजार की चुनौतियों का समाधान सुझाने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। यह न केवल मजदूरी के आर्थिक पहलुओं को समझने में मदद करती है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने की दिशा में भी योगदान देती है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के बारे में: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) एक वैश्विक संस्था है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों को बढ़ावा देना, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना और कार्यस्थल पर बेहतर परिस्थितियों का निर्माण करना है। ILO के संस्थापक मिशन के अनुसार, “श्रम शांति” समृद्धि और स्थिरता के लिए आवश्यक है। ILO का मानना है कि जब श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है, तब ही सामाजिक और आर्थिक शांति, समृद्धि और प्रगति संभव हो सकती है। ILO का इतिहास और उद्देश्य:
ILO का त्रिपक्षीय ढांचा:ILO की विशेषता इसकी त्रिपक्षीय संरचना है, जिसमें तीन प्रमुख पक्षों की समान भागीदारी होती है:
यह त्रिपक्षीय संरचना सभी महिलाओं और पुरुषों के लिए सभ्य काम को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करती है। इसके द्वारा श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकारों को समान अधिकार और जिम्मेदारियाँ मिलती हैं, जो साझा सामाजिक और श्रम नीतियों को तैयार करने में मदद करती हैं। ILO के चार रणनीतिक उद्देश्य:
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