संदर्भ:
GPS स्पूफिंग: संसद को सूचित किया गया कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच अमृतसर और जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों में विमानों के जीपीएस सिस्टम में हस्तक्षेप (इंटरफेरेंस) और स्पूफिंग की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे नेविगेशन प्रणाली प्रभावित हो रही है।
GPS स्पूफिंग क्या है?
- परिभाषा: GPS स्पूफिंग, जिसे GPS सिमुलेशन भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें झूठे GPS सिग्नल प्रसारित करके GPS रिसीवर को भ्रमित या धोखा दिया जाता है।
- कैसे काम करता है:
- यह तकनीक GPS रिसीवर को ऐसा महसूस कराती है कि वह ऐसी जगह पर स्थित है, जहाँ वह वास्तव में नहीं है।
- इसका परिणाम यह होता है कि डिवाइस गलत स्थान की जानकारी प्रदान करने लगता है।
GPS स्पूफिंग कैसे काम करता है?
- GPS सिस्टम की कमजोरियां:
- GPS स्पूफिंग GPS सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाता है, खासकर GPS उपग्रहों के कमजोर सिग्नल की।
- GPS उपग्रहों से पृथ्वी स्थित रिसीवर्स तक सिग्नल भेजे जाते हैं।
- ये रिसीवर्स, सिग्नल को प्राप्त करने में लगे समय के आधार पर अपनी स्थिति की गणना करते हैं।
- कमजोर सिग्नल की समस्या:
- GPS उपग्रहों से आने वाले सिग्नल बहुत कमजोर होते हैं।
- ये सिग्नल नकली सिग्नलों से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं, जिसके कारण डिवाइस को गलत स्थान की जानकारी मिलती है।
- स्पूफर की प्रक्रिया:
- हमलावर सबसे पहले पीड़ित के GPS सेटअप को समझने की कोशिश करता है, जिसमें सिग्नल के प्रकार और उनके प्रोसेसिंग की जानकारी शामिल होती है।
- इसके बाद, हमलावर नकली GPS सिग्नल भेजता है, जो असली सिग्नलों की तरह होते हैं।
- नकली सिग्नल का प्रभाव: ये नकली सिग्नल असली सिग्नलों की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं।
- रिसीवर इन नकली सिग्नलों को असली सिग्नल मानकर प्रोसेस करता है।
- इसके कारण, रिसीवर गलत स्थान की जानकारी देने लगता है।