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संदर्भ:
भारत का पहला खाद्य तेल सर्वेक्षण: केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भारत में खाद्य तेलों की खपत के पैटर्न का आकलन करने के लिए पहला सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्वेक्षण मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयलसीड्स को प्रभावी रूप से लागू करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य भारत में खाद्य तेल उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है।
खाद्य तेल सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु:
- सर्वेक्षण की अवधि और भागीदार: सर्वेक्षण 45 दिनों तक चला और इसमें खाद्य तेल उपभोक्ताओं और वितरकों जैसे विभिन्न हितधारकों को शामिल किया गया।
- उद्देश्य: उपभोक्ताओं की खपत पैटर्न और खाद्य तेलों की पसंद को समझना, जिससे नीतिगत निर्णयों में सहायता मिल सके।
- व्यवहारगत विश्लेषण:
- सर्वेक्षण में उपभोक्ताओं के व्यवहार पैटर्न, विज्ञापन और लेबलिंग का प्रभाव, तथा प्रीमियम तेलों के लिए भुगतान करने की इच्छा का विश्लेषण किया गया।
- इसमें विभिन्न पहलुओं जैसे डीप-फ्राई की आवृत्ति, मौसमी उपयोग पैटर्न, और तेल चयन को प्रभावित करने वाले कारकों की भी जांच की गई।
- सर्वेक्षण की आवश्यकता:
- रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत 20 किलोग्राम से अधिक हो गई है।
- यह जीवनशैली और स्वास्थ्य जोखिमों को दर्शाता है, क्योंकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, प्रति व्यक्ति खपत 12 किलोग्राम से कम होनी चाहिए।
राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO-Oilseeds) के प्रमुख बिंदु:
- अवधि: यह पहल 2024-25 से 2030-31 तक चलेगी।
- मुख्य लक्ष्य:
- प्रमुख तिलहन फसलों जैसे रायसर (सरसों), मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल के उत्पादन को बढ़ाना।
- कपास बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से संग्रह और निष्कर्षण क्षमता में वृद्धि करना।
- उद्देश्य:
- प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन (2030-31) करना।
- 2030-31 तक देश की अनुमानित घरेलू मांग का 72% पूरा करना।
भारतीय खाद्य तेल क्षेत्र की चुनौतियाँ:
- आयात पर निर्भरता:
- भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं का 55-60% आयात करता है।
- प्रमुख आयातक देश इंडोनेशिया, मलेशिया और यूक्रेन हैं, जिससे घरेलू उत्पादन पर दबाव बढ़ता है और विदेशी बाजारों पर निर्भरता बनी रहती है।
- पाम ऑयल का प्रभुत्व:
- भारतीय खाद्य तेल खपत में 38% हिस्सेदारी के साथ पाम ऑयल का प्रमुख योगदान है।
- इसकी अत्यधिक खपत के कारण अन्य तिलहनों (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन) का उत्पादन और खपत प्रभावित हो रही है।
- स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ:
- खाद्य तेलों की बढ़ती खपत और फास्ट-फूड संस्कृति के कारण स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- अधिक तेल खपत से हृदय रोग, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है।
खाद्य तेल सर्वेक्षण का महत्व:
- खपत पैटर्न का विश्लेषण:भारत में खाद्य तेलों की खपत प्रवृत्तियों को समझने में मदद करेगा।
- नीति निर्माण: उत्पादन और आयात को विनियमित करने में सहायक, NMEO-Oilseeds के कार्यान्वयन में मदद।
- विज्ञापन नियंत्रण: भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने में सहायक।
- स्वास्थ्य जागरूकता: स्वास्थ्य पर प्रभावों को पहचानकर निवारक उपायों की शुरुआत में मदद।