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केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक 2025

सामान्य अध्ययन पेपर III: सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, बुजुर्गों से संबंधित मुद्दे, कल्याण योजनाएँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केरल ने केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक 2025 पारित किया। जिससे केरल, वरिष्ठ नागरिक आयोग स्थापित करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। यह आयोग राज्य में बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

वरिष्ठ नागरिक आयोग का परिचय

  1. वरिष्ठ नागरिक आयोग क्या हैं? 

    • केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग अधिनियम, 2025 के तहत स्थापित वरिष्ठ नागरिक आयोग राज्य में बुजुर्ग नागरिकों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करने के लिए बनाया गया है। 
    • यह आयोग एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) के रूप में कार्य करेगा जो नीतिगत सलाह देने के साथ-साथ बुजुर्गों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने में भी सहायक होगा।
    • आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करेगा, जिसके पास नागरिक न्यायालय जैसी शक्तियां होंगी।
    • आयोग कारागारों, लॉक-अप और हिरासत केंद्रों में बंदियों से जुड़ी शिकायतों को भी देखेगा और संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
    • आयोग की स्थापना के बाद, इसके संचालन, वेतन और भत्तों पर प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। इसके अलावा, केरल राज्य के संगठित निधि (Consolidated Fund) से एक बार की स्थापना लागत के रूप में 9 लाख रुपये का प्रावधान किया जाएगा।
  2. उद्देश्य:

    • पुनर्वास और संरक्षण: आयोग का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को किसी भी प्रकार की उपेक्षा, दुर्व्यवहार और शोषण से बचाना है। इसी के साथ जरूरतमंद बुजुर्गों के लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना और उनका प्रबंधन करना, ताकि जो बुजुर्ग निर्वासित हैं या जिनका कोई सहारा नहीं है, वे एक सुरक्षित स्थान पर रह सकें।
    • सशक्तिकरण: आयोग का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि बुजुर्ग केवल सहायता पाने वाले न बनें, बल्कि वे अपने अनुभव और कौशल से समाज को कुछ दें। इसके लिए वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि वे समाज के साथ जुड़ाव महसूस करें।
    • स्वास्थ्य देखभाल: स्वास्थ्य देखभाल आयोग की प्राथमिकताओं में से एक होगी। आयोग नियमित रूप से चिकित्सा जांच आयोजित करेगा ताकि बुजुर्गों की उम्र संबंधी बीमारियों का समय पर पता चल सके। परामर्श सत्र और सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित कर बुजुर्गों को एक-दूसरे से जोड़ने की पहल की जाएगी।
    • नैतिक जिम्मेदारी: आयोग का एक उद्देश्य समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और सहानुभूति को बढ़ावा देना है। बुजुर्गों को समाज में बोझ न समझा जाए, इसके लिए आयोग एक ऐसा माहौल बनाना चाहता है जहाँ आदर और सम्मान से उनका स्थान सुरक्षित रहे।

वरिष्ठ नागरिक आयोग की मुख्य विशेषताएँ:

  • नीति सलाहकार: आयोग राज्य सरकार को वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रभावी नीतियों का देगा ताकि उनकी जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके।
  • शिकायतों का निवारण: आयोग वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों जैसे उपेक्षा, दुर्व्यवहार, शोषण और अकेलेपन की समस्याओं को सुलझाने में सहायता प्रदान करेगा। शिकायतों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए आयोग एक समर्पित तंत्र का संचालन भी करेगा।
  • कौशल का उपयोग: बुजुर्गों के अनुभव और ज्ञान का लाभ समाज को मिले, इसके लिए आयोग ऐसे कार्यक्रम आयोजित करेगा जो वरिष्ठ नागरिकों को अपनी कौशल क्षमता का उपयोग करने के अवसर प्रदान करें।
  • वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा: समय पर पेंशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और वित्तीय परामर्श के माध्यम से आयोग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बुजुर्ग अपने खर्चों को सही ढंग से प्रबंधित कर सकें।
  • जागरूकता अभियान: आयोग विभिन्न शैक्षणिक और जागरूकता अभियानों का आयोजन करेगा ताकि समाज में बुजुर्गों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़े। इन अभियानों में परिवार और समुदाय की जिम्मेदारियों को समझाने का प्रयास किया जाएगा।
  • रिपोर्ट प्रस्तुत करना: आयोग राज्य सरकार को वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति और आवश्यक सुधारों पर नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इन रिपोर्ट्स के आधार पर नीतियों में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।

वरिष्ठ नागरिक आयोग की संरचना और कार्यकाल

  1. संरचना: आयोग में एक अध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे।
  2. अध्यक्ष (Chairperson)
    • आयोग का अध्यक्ष एक सरकारी सचिव (Government Secretary) के समकक्ष होगा, जिससे उसे प्रशासनिक कार्यों में उच्च दर्जा मिलेगा।
    • अध्यक्ष, आयोग के कार्यों की निगरानी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आयोग के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जाए।
  3. सदस्य मंडल
    • आयोग में कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होगा ताकि वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सके।
    • एक महिला सदस्य की उपस्थिति भी अनिवार्य होगी, जो आयोग में महिलाओं के दृष्टिकोण को शामिल करेगी।
    • आयोग अपनी चर्चाओं में विषय विशेषज्ञों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुला सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों को मत देने का अधिकार नहीं होगा; वे केवल सलाहकार भूमिका निभाएंगे।
    • यह मंडल यह सुनिश्चित करेगा कि वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों को सामाजिक, सांस्कृतिक और लैंगिक दृष्टिकोण से समझा जा सके।
  4. कार्यकाल:
    • अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा, जो उनकी नियुक्ति की तिथि से शुरू होगा।
    • कार्यकाल समाप्त होने के बाद, पुनः नियुक्ति (Reappointment) का विकल्प उपलब्ध हो सकता है, यदि राज्य सरकार उपयुक्त समझे।

आयोग के गठन की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?

  1. जनसंख्या में असंतुलन
    • केरल की जनसंख्या संरचना (Demographic Structure) में वृद्ध लोगों का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है।
    • 1961 में, केरल में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग कुल आबादी का 5.1% थे, जो उस समय राष्ट्रीय औसत 5.6% से कम था।
    • 1980 के दशक में केरल ने पूरे देश को इस मामले में पीछे छोड़ दिया।
    • 2001 में, यह प्रतिशत बढ़कर 10.5% हो गया, जो राष्ट्रीय औसत 7.5% से कहीं अधिक था।
    • 2011 में, यह 12.6% तक पहुंचा, जबकि राष्ट्रीय औसत 8.6% ही था।
    • 2015 तक, केरल का प्रतिशत 13.1% था, जबकि देश का औसत 8.3% ही रहा।
    • आने वाले वर्षों में, 2036 तक बुजुर्ग जनसंख्या के 8.4 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो सामाजिक और आर्थिक असंतुलन को और बढ़ा सकता है।
  2. तेजी से बढ़ती बुजुर्ग आबादी
    • वर्तमान में केरल में 4.8 मिलियन से अधिक लोग 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।
    • बुजुर्गों की इस बढ़ती संख्या में 80 वर्ष से अधिक आयु के लोग सबसे तेजी से बढ़ने वाला वर्ग हैं, जो कुल बुजुर्ग जनसंख्या का 15% हैं।
    • 60 वर्ष से अधिक की श्रेणी में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, जिनमें से अधिकांश विधवा (Widows) हैं।
  3. सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियां
    • वृद्ध जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ गरीबी, उपेक्षा, और दुर्व्यवहार की समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
    • युवा पीढ़ी द्वारा पारिवारिक दायित्वों से बचने और आर्थिक शोषण की घटनाएं आम हो रही हैं।
    • कई बुजुर्ग आर्थिक रूप से निर्भर हैं और जीवन यापन के लिए पेंशन एवं सरकारी योजनाओं पर निर्भर रहते हैं।
  4. जागरूकता की कमी
    • केरल में अधिकांश बुजुर्ग केंद्र सरकार के अधिनियममाता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act) — के बारे में अनजान हैं।
    • यह अधिनियम न केवल बच्चों को अपने माता-पिता की देखभाल के लिए कानूनी रूप से बाध्य करता है, बल्कि सरकार को नर्सिंग होम और चिकित्सा देखभाल जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अधिकृत करता है।

भारत में वृद्धजन से संबंधित जनसंख्यात्मक आंकड़े:

  • भारत में 2022 में वृद्धजनों का प्रतिशत 10.5% था, जो 2050 तक बढ़कर 20.8% और 2100 तक 36% से अधिक होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2046 तक भारत में वृद्धजनों की संख्या 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों से अधिक हो जाएगी।
  • वर्ष 2050 तक कार्यशील आयु वर्ग (15-59 वर्ष) की जनसंख्या में गिरावट आने की संभावना है, जो आर्थिक निर्भरता बढ़ा सकती है।
  • भारत में वृद्ध महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है, जो वृद्धावस्था में लैंगिक असंतुलन को दर्शाता है।
  • वर्ष 2031 तक 60 वर्ष से अधिक आयु की आबादी में 1000 पुरुषों पर 1078 महिलाएं होंगी।
  • 2010 से 2020 के बीच भारत की वृद्धजन आबादी 15 वर्षों में दोगुनी हो गई, जबकि दक्षिण और पूर्वी एशिया में यह 16 वर्षों में दोगुनी हुई।
  • 60 वर्ष की आयु में औसत जीवन प्रत्याशा भारत में 18.3 वर्ष है। महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 19 वर्ष है, जो पुरुषों की अपेक्षा अधिक है, जिनकी प्रत्याशा 17.5 वर्ष है।
  • 2010 के बाद से 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में गिरावट और वृद्धजनों की आबादी में वृद्धि देखी गई है।
  • वर्ष 2022 से 2050 के बीच, भारत की कुल आबादी में केवल 18% वृद्धि होगी, जबकि वृद्धजनों की संख्या में 134% की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • दक्षिणी भारत और हिमाचल प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में वृद्धजनों की आबादी राष्ट्रीय औसत (10.5%) से अधिक है।
  • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों में वर्ष 2036 तक वृद्धजनों की आबादी में तेज वृद्धि होने का अनुमान है।
  • UNFPA की ‘इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023’ के अनुसार, भारत में वृद्धजनों की आबादी का हिस्सा वर्ष 2021 में 10.1% था, जो 2036 में 15% और 2050 में 20.8% तक पहुंचने का अनुमान है।

भारत में वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए सरकारी पहल

  • अटल वयो अभ्युदय योजना: इस योजना का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल, पुनर्वास, और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना वृद्धजनों के लिए वृद्धाश्रम, कौशल विकास केंद्र, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी सेवाओं को बढ़ावा देती है।
  • राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): इस योजना के तहत गरीब वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरण (Assistive Devices) जैसे सुनने की मशीन, व्हीलचेयर, चश्मा, और छड़ी मुफ्त में प्रदान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य वृद्धजनों की स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • अटल पेंशन योजना (APY): अटल पेंशन योजना वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है, जिसमें 60 वर्ष की आयु के बाद नियमित पेंशन दी जाती है। अटल पेंशन योजना में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को वृद्धावस्था में नियमित आय उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश्य है। अटल पेंशन योजना में पेंशन राशि 1000 से 5000 रुपये प्रति माह तक होती है, जो योगदान के आधार पर तय की जाती है।
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP): यह एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जो वित्तीय सहायता प्रदान करती है, खासकर उन वृद्धजनों को जो गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आते हैं। इसके अंतर्गत तीन प्रमुख योजनाएँ हैं:
    • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना – वृद्धजनों को नियमित वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना – परिवार के मुखिया की मृत्यु पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • राष्ट्रीय विकलांग सहायता योजना – विकलांग वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक मदद दी जाती है।
  • आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY): इस योजना के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वृद्धजनों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है। योजना में 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध है, जो अस्पताल में भर्ती होने पर वित्तीय सुरक्षा देता है।
  • जीवन सुगमता सूचकांक (Ease of Living Index): यह योजना वृद्धजन-अनुकूल शहरी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। इसमें सुलभ सार्वजनिक स्थान, विशेष परिवहन व्यवस्था, और सामाजिक सुरक्षा सेवाएँ शामिल हैं।
  • NPHCE कार्यक्रम: यह योजना प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर वृद्धजनों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है। इसमें नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, गंभीर बीमारियों का इलाज, और बुजुर्गों की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रश्न (2012). आर्थिक विकास से जुड़े जनांकिकीय संक्रमण के निम्नलिखित विशिष्ट चरणों पर विचार कीजिये:

  1. निम्न जन्म दर के साथ निम्न मृत्यु दर    
  2. उच्च जन्म दर के साथ उच्च मृत्यु दर    
  3. निम्न मृत्यु दर के साथ उच्च जन्म दर

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर उपर्युक्त चरणों का सही क्रम चुनिये:

(a) 1, 2, 3

(b) 2, 1, 3

(c) 2, 3, 1

(d) 3, 2, 1

उत्तर: (c)

प्रश्न (2008). इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से संबंधित 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी व्यक्ति पात्र हैं।  
  2. इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता प्रति लाभार्थी 300 रुपए प्रति माह की दर से प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत राज्यों से समान राशि देने का आग्रह किया गया है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

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