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हाल के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि उचित प्रबंधन और प्रशासन से एमपीए जैव विविधता को संरक्षित करने और पोषण सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं। समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas – MPAs) जैव विविधता के संरक्षण और पोषण सुरक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अध्ययन की मुख्य बातें:
- वैश्विक पकड़ में योगदान: एमपीए वैश्विक मछली पकड़ने की कुल पकड़ का 13.6%, मत्स्य राजस्व का 14% और पोषक आपूर्ति का 13.7% योगदान करते हैं।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) से पकड़: वैश्विक पकड़ का 7% इन क्षेत्रों से आता है, जो समुद्री संसाधनों की सुरक्षा में सहायक है।
- पोषण की दृष्टि से कमजोर तटीय समुदायों पर प्रभाव: एमपीए का विकास तटीय समुदायों में मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार कर सकता है, जिससे उन्हें पोषण सुरक्षा मिल सकती है।
MPAs का महत्व:
- प्राकृतिक पुनरुद्धार: एमपीए प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों के प्राकृतिक पुनरुद्धार में सहायक होते हैं और आनुवंशिक सामग्री का भंडार बने रहते हैं।
- समुद्री प्रजातियों के लिए शरणस्थल: ये क्षेत्र अत्यधिक मछली पकड़ने, आवास विनाश, और प्रदूषण से समुद्री प्रजातियों को सुरक्षित रखते हैं।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: एमपीए वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आधार रेखा के रूप में कार्य करते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी की बेहतर समझ विकसित होती है।
- मनोरंजन और पर्यटन: एमपीए प्रकृति-आधारित पर्यटन और मनोरंजन का भी केंद्र होते हैं, जो आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन में योगदान: एमपीए जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन में सहायक होते हैं, जिससे महासागरों की जलवायु स्थिरता बनी रहती है।
एमपीए के संरक्षण में चुनौतियाँ:
- विनियमों का पालन: एमपीए में कड़े नियमों का पालन कराना कठिन होता है।
- संसाधनों की आवश्यकता: पर्याप्त वित्तीय और मानवीय संसाधनों की कमी से इन क्षेत्रों की सुरक्षा प्रभावित होती है।
- स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों की आजीविका: एमपीए में सख्त नियमों के कारण स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ता है।
वैश्विक पहल:
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा: इसका लक्ष्य 2030 तक वैश्विक महासागरों और भूमि के 30% हिस्से को संरक्षित करना है।
- उच्च सागर संधि: राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के समुद्री क्षेत्रों की जैव विविधता की सुरक्षा के लिए यह समझौता किया गया है।
भारत में समुद्री संरक्षित क्षेत्र:
भारत में भी कई एमपीए स्थापित किए गए हैं जो समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने में सहायक हैं, जैसे:
- मन्नार की खाड़ी समुद्री पार्क (तमिलनाडु)
- लोथियन द्वीप (पश्चिम बंगाल)
- गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य (ओडिशा)
निष्कर्ष: एमपीए समुद्री पारिस्थितिकी और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन क्षेत्रों का उचित प्रबंधन समुद्री जीवन को संरक्षित रखने, पोषण सुरक्षा में सुधार करने और स्थानीय समुदायों की आजीविका को संतुलित करने में सहायक हो सकता है। वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर एमपीए के संरक्षण को बढ़ावा देकर हम महासागरों के स्वास्थ्य और वैश्विक जैव विविधता की रक्षा कर सकते हैं।\
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