सामान्य अध्ययन पेपर II: सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, स्वास्थ्य |
चर्चा में क्यों?
छात्र आत्महत्या रोकने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता जताते हुए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया है। यह टास्क फोर्स आत्महत्या के कारणों की जाँच करने के साथ साथ सुरक्षा उपाय सुझाएगी।
छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं दिखाता है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संस्थागत व्यवस्थाएं अभी भी कमजोर हैं।
- आत्महत्या के कई मामलों में जातीय भेदभाव, रैगिंग, पढ़ाई का दबाव, और यौन उत्पीड़न जैसे कारकों को मुख्य वजह माना गया है।
- कोर्ट ने कहा कि बार-बार होने वाली आत्महत्याएं यह दर्शाती हैं कि मौजूदा कानूनी और संस्थागत ढांचे में बड़ी खामियां हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या की जड़ तक पहुंचने और समाधान सुझाने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया।
- टास्क फोर्स का उद्देश्य केवल आत्महत्या के कारणों की जांच करना ही नहीं, बल्कि सुरक्षा उपाय सुझाना और जरूरत पड़ने पर संस्थानों का निरीक्षण करना भी होगा।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा टास्क फोर्स को चार महीने में अंतरिम रिपोर्ट और आठ महीने में अंतिम रिपोर्ट पेश का आदेश दिया गया है।
भारत में छात्र आत्महत्याओं में वृद्धि होने के मुख्य कारण
- शैक्षणिक दबाव: आज का शैक्षणिक माहौल छात्रों के लिए एक प्रतियोगिता का मैदान बन गया है, जहां सफलता ही एकमात्र विकल्प माना जाता है। अंकों की दौड़, उच्च ग्रेड और प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश का दबाव छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। असफलता को सामाजिक कलंक की तरह देखा जाता है, जिससे छात्र निराशा में घिर जाते हैं।
- पारिवारिक अपेक्षाएं: भारतीय समाज में माता-पिता अक्सर अपनी आकांक्षाओं को बच्चों के सपनों पर थोप देते हैं। परिवार की अपेक्षाओं का बोझ छात्रों पर इस कदर बढ़ जाता है कि वे खुद के सपनों को पहचान ही नहीं पाते। दबाव में छात्र अपने मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हैं और अवसाद में डूब जाते हैं।
- रैगिंग और भेदभाव: उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग, जातीय भेदभाव, और सामाजिक अपमान छात्र आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण हैं। कई अल्प समुदाय के छात्रों को संस्थानों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वे खुद को समाज से कटा हुआ महसूस करते हैं। रैगिंग के दौरान मिलने वाला शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न उन्हें मानसिक रूप से तोड़ देता है।
- आर्थिक तंगी: भारत में कई छात्र ऐसे परिवारों से आते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों की बढ़ती फीस संरचना, कोचिंग की लागत, और रोजमर्रा के खर्च छात्रों पर वित्तीय दबाव बनाते हैं। कई बार छात्र पढ़ाई के साथ-साथ अंशकालिक (Part-time) काम करने पर मजबूर होते हैं। जब आर्थिक परेशानियां शैक्षणिक प्रदर्शन पर असर डालती हैं, तो वे खुद को असफल मानने लगते हैं।
- अकेलापन: आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में अकेलापन एक आम समस्या बन गया है। कई छात्र अपने परिवार से दूर हॉस्टल या पीजी में रहते हैं, जहां उनके पास अपने भावनात्मक संघर्ष को साझा करने वाला कोई नहीं होता। दोस्तों और परिवार का भावनात्मक समर्थन (Emotional Support) न मिलने से वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। यह सामाजिक अलगाव (Social Isolation) उन्हें एक गहरे अवसाद में डाल देता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स
भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं का समाधान खोजने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक 10-सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया है।
- टास्क फोर्स का उद्देश्य: इस टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य उन कारकों को समझना है जो छात्रों को आत्महत्या के लिए मजबूर करते हैं। इन कारणों में रैगिंग और उत्पीड़न, जातीय भेदभाव (विशेष रूप से अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के साथ), आर्थिक तनाव, आदि शामिल है।
- आत्महत्या के कारणों की पड़ताल करने के साथ सुरक्षा उपाय सुझाना और संस्थानों का निरीक्षण करना।
- रैगिंग, भेदभाव और शैक्षणिक दबाव को लेकर शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति अपनाने पर जोर देना।
- टास्क फोर्स की संरचना:
- टास्क फोर्स का नेतृत्व पूर्व न्यायाधीश एस रविंद्र भट करेंगे।
- पदेन सदस्यों में उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, विधि विभाग, और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे।
- विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा ताकि समस्या का गहन विश्लेषण हो सके।
- टास्क फोर्स के अधिकार:
- टास्क फोर्स को देश के किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान में आकस्मिक निरीक्षण करने का अधिकार होगा। निरीक्षण के दौरान वे संस्थान की मानसिक स्वास्थ्य नीतियों, रैगिंग विरोधी उपायों और सहायता तंत्र की समीक्षा करेंगे।
- टास्क फोर्स मौजूदा कानूनों, नीतियों और नियमों का मूल्यांकन करेगी। यह देखा जाएगा कि क्या वर्तमान व्यवस्थाएं छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पर्याप्त हैं।
- यदि आवश्यक हुआ तो टास्क फोर्स अपने मूल दायरे से बाहर जाकर भी सुझाव दे सकती है।
- समय-सीमा: टास्क फोर्स को आठ महीने के अंदर अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
- अंतरिम रिपोर्ट में प्राथमिक निष्कर्ष और त्वरित सुधार के उपाय होंगे।
- अंतिम रिपोर्ट में दीर्घकालिक नीतिगत बदलाव और सुरक्षा उपायों पर विस्तृत सुझाव होंगे।
भारत में छात्र आत्महत्याओं से संबंधित आंकड़ें
- बीते एक दशक में छात्र आत्महत्या की समस्या इतनी विकराल हो गई है कि हर साल हजारों युवा अपनी जान देने को मजबूर हो रहे हैं।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 13,044 छात्र आत्महत्या के मामले सामने आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.3% कम थे।
- 2013 से 2022 के बीच आत्महत्याओं में 64% की वृद्धि दर्ज की गई, जो दर्शाता है कि यह संकट कम होने की बजाय लगातार बढ़ रहा है।
- UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार 15-24 वर्ष की उम्र के हर सात में से एक युवा अवसाद (Depression) जैसी मानसिक बीमारियों से जूझ रहा है।
- सबसे चिंताजनक बात यह है कि केवल 41% युवा ही मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहायता लेते हैं। इसका मतलब है कि ज्यादातर छात्र अकेलेपन, अवसाद और तनाव को अपने भीतर दबाकर रखने को मजबूर हैं।
- केंद्र सरकार द्वारा 2023 में राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में 98 छात्रों ने आत्महत्या की। इनमें से 39 छात्र IIT से, 25 छात्र NIT और 25 छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालयों से थे।
- राजस्थान के कोटा शहर में 2022 में 571 छात्र आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो देश में 10वें स्थान पर है।
- भारत में छात्र आत्महत्या की समस्या में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और मध्य प्रदेश जैसे राज्य में शीर्ष पर हैं, जो देश के कुल छात्र आत्महत्याओं में एक-तिहाई हिस्सा रखते हैं।
- दक्षिणी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में छात्र आत्महत्या का आंकड़ा 29% है, जो यह दिखाता है कि शैक्षणिक सफलता के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्धा छात्रों पर भारी पड़ रही है।
- IC3 संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छात्र आत्महत्याओं की दर में हर साल 4% की बढ़ोतरी हो रही है।
आत्महत्याओं को रोकने की वैश्विक और राष्ट्रीय पहल
- वैश्विक पहल:
- हर साल 10 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (WSPD) पहली बार 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य आत्महत्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे रोकना है।
- 10 अक्टूबर को हर साल मनाया जाने वाला विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच है। इसका उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है।
- राष्ट्रीय पहल:
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017: भारत में मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार को कानूनी मान्यता देने वाला यह अधिनियम एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना है। इस अधिनियम में आत्महत्या की कोशिश को अपराध मानने के बजाय इसे मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के रूप में देखा गया है।
- किरण हेल्पलाइन (KIRAN Helpline): भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई किरण हेल्पलाइन एक 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन सेवा है जो तनाव, चिंता, अवसाद और आत्महत्या जैसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में लोगों की मदद करती है। समाज के सबसे वंचित तबकों तक पहुंच बनाकर किरण हेल्पलाइन ने हजारों लोगों को समय पर सहायता प्रदान की है।
- मनोदर्पण पहल (Manodarpan Initiative): कोविड-19 महामारी के दौरान, जब छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हुआ, तब शिक्षा मंत्रालय ने मनोदर्पण पहल की शुरुआत की। इसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता प्रदान करना है ताकि वे तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर सकें।
- राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति: साल 2023 में भारत सरकार ने पहली बार इस रणनीति की घोषणा की। इसका लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या की दर में 10% की कमी लाना है। यह रणनीति समयबद्ध कार्य योजना और बहु-क्षेत्रीय सहयोग पर आधारित है। यह पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की आत्महत्या रोकथाम रणनीति के साथ भी मेल खाती है।
UPSC गत वर्ष का प्रश्न (PYQ) प्रश्न (2023): भारतीय समाज में युवा महिलाओं में आत्महत्या क्यों बढ़ रही है? |
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