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संदर्भ:
रैट-होल माइनिंग: हाल ही में असम के दीमा हासाओ जिले में एक कोयले की “रैट–होल“ खदान में पानी भर जाने से कई मजदूर फंस गए थे।
रैट-होल माइनिंग क्या है?
- परिचय:
- यह कोयला खनन की एक विधि है जिसमें संकीर्ण, क्षैतिज सुरंगें जमीन में खोदी जाती हैं।
- सुरंगें इतनी चौड़ी होती हैं कि केवल एक व्यक्ति रेंगकर कोयला निकाल सके।
- प्रचलन और कारण:
- स्थान: पूर्वोत्तर भारत के राज्यों, विशेष रूप से मेघालय और असम में प्रचलित।
- कारण: गरीबी, रोजगार के अन्य विकल्पों की कमी, और आर्थिक लाभ।
- पहाड़ी भू-भाग और कोयला भंडार की प्रकृति से पारंपरिक खनन कठिन हो जाता है।
- खनन कानूनों का कमजोर प्रवर्तन भी इसे बढ़ावा देता है।
- प्रकार:
- साइड–कटिंग: पहाड़ी ढलानों पर क्षैतिज सुरंगें खोदकर कोयला निकाला जाता है।
- बॉक्स–कटिंग: आयताकार गड्ढे खोदकर कोयले तक पहुंच बनाई जाती है।
रैट-होल माइनिंग के कारण:
- आर्थिक कारक:
- गरीबी और रोजगार के अभाव में स्थानीय लोग इसमें शामिल होते हैं।
- कोयला खनन से जल्दी धन कमाने की प्रवृत्ति।
- भूमि स्वामित्व: अस्पष्ट भूमि स्वामित्व कानून खनन को अवैध रूप से प्रोत्साहित करते हैं।
- कोयले की मांग:
- कोयले की निरंतर मांग, कानूनी और अवैध दोनों।
- बिचौलिए और अवैध व्यापारी इसे बनाए रखते हैं।
- नीतिगत खामियां:
- कमजोर कानून और निरीक्षण।
- विशेष प्रावधान जैसे नागालैंड में अनुच्छेद 371A खनन को नियंत्रित करने में बाधा।
रैट–होल माइनिंग की समस्याएं:
- मानव सुरक्षा:
- संकीर्ण सुरंगों के ढहने का खतरा।
- खराब वेंटिलेशन से दम घुटने और विषाक्त गैसों का खतरा।
- सुरक्षा उपकरणों की कमी से दुर्घटनाएं और बीमारियां।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- वन कटाई: खनन के लिए पेड़ों का अंधाधुंध कटाव।
- भूमि क्षरण: अव्यवस्थित खुदाई से मिट्टी का कटाव।
- जल प्रदूषण: एसिड माइन ड्रेनेज (AMD) से जल स्रोत दूषित।
- वायु प्रदूषण: कोयला जलाने और खराब वेंटिलेशन से।
- सामाजिक समस्याएं:
- छोटे सुरंगों के कारण बाल श्रम का प्रचलन।
- स्थानीय समुदायों का विस्थापन और जीविका की हानि।
नियमन के उपाय:
- कानूनी प्रवर्तन:
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 को सख्ती से लागू करें।
- अवैध खनन पर जुर्माना और उपकरण जब्त करें।
- नियमित निरीक्षण करें।
- बाल श्रम उन्मूलन:
- बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 को सख्ती से लागू करें।
- शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल और छात्रवृत्ति प्रदान करें।
- सतत खनन प्रथाएं:
- वैज्ञानिक और यंत्रीकृत खनन विधियों को अपनाएं।
- पर्यावरणीय नुकसान को कम करें और सुरक्षा सुनिश्चित करें।