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संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी संधि (UNCAT)

संदर्भ:

संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी संधि (UNCAT): हाल ही में, ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने भारतीय सरकार की संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने फैसले में कहा कि भारत में हिरासत के दौरान यातना की आशंका बनी हुई है, क्योंकि भारत संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी संधि (UNCAT) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी संधि (UNCAT) के बारे में:

यह एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड को रोकना है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. स्थापना और प्रभावी होने की तिथि:
    • स्वीकृति: 10 दिसंबर 1984 को UN महासभा द्वारा।
    • प्रभावी होने की तिथि: 26 जून 1987।
  2. यातना की परिभाषा (Article 1):
    • जानबूझकर गंभीर शारीरिक या मानसिक पीड़ा पहुँचाना।
    • उद्देश्य: जानकारी प्राप्त करना, दंड देना या डराना।
    • इसमें किसी सार्वजनिक अधिकारी की संलिप्तता या सहमति शामिल होती है।
  3. सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र (Universal Jurisdiction) (Article 5):
    • सदस्य देशों को यातना के आरोपी व्यक्तियों को मुकदमा चलाने या प्रत्यर्पित करने की आवश्यकता है।
    • यह नियम अपराध होने के स्थान या अपराधी की राष्ट्रीयता पर निर्भर नहीं होता।
  4. राज्य की जिम्मेदारियाँ (State Obligations):
    • यातना का पूर्ण प्रतिबंध (Article 2): युद्ध या अन्य आपात स्थितियों में भी यातना पर पूर्ण प्रतिबंध।
    • प्रत्यर्पण और निर्वासन का निषेध (Article 3): ऐसे देशों में व्यक्तियों को न भेजना जहाँ यातना का खतरा हो।
    • घरेलू कानून में यातना का अपराधीकरण (Article 4): यातना को घरेलू कानून के अंतर्गत अपराध घोषित करना।
    • जाँच और न्याय (Article 12): यातना के आरोपों की शीघ्र और निष्पक्ष जांच करना।
    • पीड़ितों के लिए प्रतिकार और मुआवजा (Article 14): यातना पीड़ितों को न्याय और मुआवजा प्रदान करना।

भारत और UNCAT:

  1. प्रारंभिक पहलें: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एकतरफा यातना विरोधी घोषणापत्र (Unilateral Declaration against Torture)में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • भारत ने अन्य मानवाधिकार समझौतों की भी पुष्टि की है, जैसे:
      • सर्वव्यापी मानवाधिकार घोषणा- 1948)।
      • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकार संधि- 1976)
  2. गैरस्वीकृति (Non – Ratification):
    • इन प्रतिबद्धताओं के बावजूद, भारत ने UNCAT की पुष्टि नहीं की है
    • भारत उन देशों की सूची में शामिल है जिन्होंने UNCAT की पुष्टि नहीं की है, जैसे: अंगोला, ब्रुनेई और सूडान।

भारत द्वारा UNCAT की पुष्टि करने के कारण:

  1. परिचालन आवश्यकताएँ: यह संधि कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा बलों की परिचालन आवश्यकताओं में बाधा डाल सकती है।
  2. बाहरी जांच का डर (Fear of External Scrutiny):
    • UNCAT की पुष्टि करने से भारत को अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा तंत्र (International Review Mechanisms) के अधीन होना पड़ेगा।
    • सरकार इसे घरेलू कानूनी प्रक्रियाओं  में हस्तक्षेप मानती है।
  3. आंतरिक सुरक्षा कानून: भारत का मानना है कि BNS (भारतीय न्याय संहिता) और BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) में यातना के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रावधान हैं।

यातना विरोधी कानून के लिए सिफारिशें (Recommendation for an Anti-torture Law):

  1. राज्यसभा समिति 2010: यातना निवारण विधेयक, 2010 (Prevention of Torture Bill, 2010)
    • राज्यसभा समिति ने एक व्यापक यातना विरोधी कानून (Comprehensive Anti-torture Law) बनाने की सिफारिश की।
    • यह सिफारिश मजबूत राजनीतिक और जन समर्थन को दर्शाती है।
  2. भारतीय विधि आयोग– 2017: 273वीं रिपोर्ट (273rd Report)
    • UNCAT की पुष्टि (Ratification of UNCAT)करने और इसे लागू करने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की।
    • यातना को अपराध की श्रेणी में शामिल (Criminalize Torture) करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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