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जल चक्र और जलवायु परिवर्तन

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संदर्भ:

एक नई रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के जल चक्र में गंभीर बाधाओं का खुलासा हुआ है, जिससे भूमि, महासागरों और वातावरण के बीच पानी के प्रवाह में असंतुलन पैदा हो रहा है। इसका परिणाम अत्यधिक वर्षा, विनाशकारी बाढ़ और व्यापक सूखे के रूप में सामने आया है, जिसने 2024 में वैश्विक स्तर पर अरबों लोगों को प्रभावित किया।

जल चक्र (Water Cycle):

जल चक्र में पानी का निरंतर आवागमन शामिल है, जो पृथ्वी की सतह, वायुमंडल, और भूमिगत स्तर पर ठोस, द्रव, और गैसीय अवस्थाओं में होता है। सूर्य की ऊर्जा द्वारा संचालित यह प्रक्रिया, जैसे वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, संघनन और वर्षा, पृथ्वी पर जल उपलब्धता और मौसम को संतुलित करती है।

जल चक्र के घटक:

  1. वाष्पीकरण (Evaporation):जल तरल रूप से वाष्प में बदलता है, मुख्य रूप से महासागरों से, सूर्य की ऊर्जा के द्वारा।
  2. प्रतिसरण (Transpiration): पौधे वातावरण में जल वाष्प छोड़ते हैं, जिससे नमी बढ़ती है।
  3. संघनन (Condensation): वातावरण में जल वाष्प ठंडा होकर बादल बनाता है, जो वर्षा का आधार बनता है।
  4. वर्षा (Precipitation): जल वर्षा, हिमपात, या ओलों के रूप में पृथ्वी पर वापस आता है, जिससे सतह और भूमिगत जल भंडार भरते हैं।
  5. अवशोषण (Infiltration): जल मिट्टी में समा जाता है, भूजल का पुनर्भरण करता है और वनस्पति को सहारा देता है।
  6. अपवाह (Runoff):जल भूमि पर बहकर नदियों, झीलों और समुद्र में पहुंचता है, जिससे जल संतुलन बना रहता है।

जल चक्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:

  1. वाष्पीकरण और वर्षा में वृद्धि:
    • बढ़ते वैश्विक तापमान से वाष्पीकरण तेज होता है, जिससे वायुमंडल में अधिक नमी एकत्र होती है।
    • प्रत्येक 1°C तापमान वृद्धि पर वायुमंडल 7% अधिक नमी धारण करता है, जिससे भारी और बार-बार बारिश होती है।
  2. सूखा और सूखी मिट्टी:
    • वाष्पीकरण दर में वृद्धि मिट्टी को सूखा बनाती है, जिससे बारिश के समय पानी का अवशोषण कम हो जाता है।
    • यह सूखे और सतही जल प्रवाह का चक्र उत्पन्न करता है, जिससे मिट्टी में नमी बनाए रखना मुश्किल होता है।
  3. संभावित रुझान:
    • सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 6–3.1°C तक वृद्धि की संभावना है, जिससे जल चक्र में गंभीर व्यवधान हो सकता है।
    • IPCC ने अधिक तीव्र सूखे और चरम वर्षा जैसी दीर्घकालिक परिवर्तनों की भविष्यवाणी की।
  4. भौगोलिक बदलाव: जलवायु परिवर्तन से वर्षा बेल्ट और रेगिस्तान के स्थान बदल सकते है। 

महासागर का पानी गर्म और अम्लीय हो रहा है:

  • मृत हो रहे प्रवाल भित्तियाँ (Coral Reefs):
    • उथले महासागरों का गर्म पानी पिछले कुछ दशकों में लगभग 25% प्रवाल भित्तियों के विनाश का कारण बना है।
    • गर्म पानी के कारण प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) होता है, जिससे प्रवाल कमजोर होकर खत्म हो जाते हैं।
  • अम्लीयता में वृद्धि:
    • वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने के कारण महासागर का पानी अधिक अम्लीय हो रहा है।
    • इससे प्रवाल और समुद्री जीवों के लिए अपने खोल और हड्डियां बनाना मुश्किल हो गया है।

2024 ग्लोबल वाटर मॉनिटर रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  1. आपदाएँ और आर्थिक प्रभाव: 2024 में जल से संबंधित आपदाओं ने 8,700 से अधिक लोगों की जान ली, 40 मिलियन लोगों को विस्थापित किया, और $550 बिलियन का आर्थिक नुकसान किया।
  2. चरम स्थितियों में वृद्धि:
    • रिकॉर्ड-शुष्क महीनों की घटनाएँ बेसलाइन अवधि (1995-2005) की तुलना में 38% अधिक पाई गईं।
    • दैनिक वर्षा रिकॉर्ड 2000 की तुलना में 52% अधिक बार टूटे।
  3. क्षेत्रीय जल संग्रहण रुझान: अधिकांश शुष्क क्षेत्रों में भूमि जल संग्रहण (TWS) के निम्न स्तर देखे गए।
    • अफ्रीका के कुछ हिस्सों में TWS में वृद्धि अपवाद रही।
  4. 2025 के लिए प्रक्षेपण
    • उत्तरी दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, और एशिया के कुछ हिस्सों में सूखे की स्थिति और खराब होने की संभावना है।
    • गीले क्षेत्रों जैसे साहेल और यूरोप में बाढ़ के जोखिम बढ़ सकते हैं।

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