India-US Defence Cooperation

संदर्भ:
भारत और अमेरिका ने 31 अक्टूबर 2025 को एक नए 10 वर्षीय रक्षा रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य और तकनीकी सहयोग को गहरा करना तथा “मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत” सुनिश्चित करना है। यह समझौता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हगसेथ द्वारा हस्ताक्षरित किया गया, जो 2015 के पूर्ववर्ती ढांचे को प्रतिस्थापित करते हुए उसे और सशक्त बनाता है।
भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग का नया ढांचा:
- एकीकृत नीति दिशा: यह ढांचा सैन्य, औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट और संगठित नीति रोडमैप प्रदान करता है।
- तकनीकी और औद्योगिक सहयोग: दोनों देशों ने उन्नत रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन और सह-विकास को बढ़ाने पर सहमति जताई है, जिसमें भारत में “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” पहल पर विशेष जोर दिया गया है।
- सूचना और खुफिया साझेदारी: साइबर और समुद्री सुरक्षा जैसे उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए खुफिया आदान-प्रदान और समन्वय तंत्र को मजबूत किया जाएगा।
- संयुक्त सैन्य अभ्यास: युध अभ्यास, मालाबार और टाइगर ट्रायम्फ जैसे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों के दायरे को और विस्तारित किया जाएगा।
- क्षेत्रीय सुरक्षा प्रतिबद्धता: दोनों देश मुक्त, खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे क्षेत्र में किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या प्रभुत्ववादी गतिविधियों को रोका जा सके।
भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग:
- प्रमुख रक्षा साझेदार (MDP): अमेरिका ने 2016 में भारत को “मेजर डिफेंस पार्टनर” का दर्जा दिया, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग एक नए स्तर पर पहुंचा।
- महत्वपूर्ण समझौते (2016–2020): इस अवधि में चार बड़े समझौते हुए —
- LEMOA (2016): लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट, जिससे दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के बेस उपयोग की अनुमति मिली।
- COMCASA (2018): संचार सुरक्षा और संगतता समझौता, जिससे सुरक्षित संचार और डेटा साझा करना संभव हुआ।
- BECA (2020): बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट, जो भू-स्थानिक खुफिया साझा करने से जुड़ा है।
- नए समझौते (2024): दोनों देशों ने सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट (SOSA) और लायज़न ऑफिसर्स की नियुक्ति पर समझौता सहित कई नए रक्षा समझौते किए, जिससे आपसी समन्वय और सुरक्षा सहयोग और मजबूत हुआ।
- संयुक्त सैन्य अभ्यास (2025): भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने ‘युध अभ्यास’ नामक दो-सप्ताह का संयुक्त अभ्यास अलास्का के फोर्ट वेनराइट में आयोजित किया।
भारत का दृष्टिकोण से महत्व:
- स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा:यह समझौता “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” और “आत्मनिर्भर भारत” पहल को मजबूती देता है।
- महत्वपूर्ण तकनीक तक पहुंच:यह भारत को अमेरिकी रक्षा तकनीक और महत्वपूर्ण “नॉ-हाउ” तक संस्थागत पहुंच प्रदान करता है — जैसे जेट इंजन और हाइपरसोनिक सिस्टम निर्माण — जिससे रूस पर निर्भरता कम होगी।
- सैन्य आधुनिकीकरण में वृद्धि:MQ-9B ड्रोन और F-414 जेट इंजन जैसे आधुनिक अमेरिकी हथियार प्रणालियों तक पहुंच भारत की सैन्य क्षमता को आधुनिक बनाती है।
- रणनीतिक स्वायत्तता में सुधार:विविध स्रोतों से रक्षा उपकरण प्राप्त कर और घरेलू उत्पादन बढ़ाकर भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता मजबूत कर रहा है।
- वैश्विक स्थिति में उन्नति:यह समझौता भारत को अमेरिका का “मेजर डिफेंस पार्टनर” बनाता है और क्षेत्रीय स्थिरता के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
अमेरिका का दृष्टिकोण से महत्व:
- क्षेत्रीय प्रभाव में विस्तार:यह समझौता इंडो-पैसिफिक में चीन से प्रतिस्पर्धा के बीच भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ सहयोग बढ़ाकर अमेरिकी रणनीतिक प्रभाव को मजबूत करता है।
- सैन्य सहयोग और तालमेल:इस ढांचे से दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभियानों और अभ्यासों में बेहतर तालमेल और सामंजस्य स्थापित होगा।
- रणनीतिक संरेखण गहराना:अमेरिका भारत को एक लोकतांत्रिक मूल्य आधारित साझेदार मानता है, जो “फ्री एंड ओपन इंडो–पैसिफिक” दृष्टिकोण को सशक्त बनाता है।
- औद्योगिक साझेदारी को बल: समझौता अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत के बढ़ते निर्माण क्षेत्र से जोड़ता है, उत्पादन और आपूर्ति शृंखला साझेदारी मजबूत होती है।
- पूर्व समझौतों पर आधारित सहयोग:यह ढांचा LEMOA, COMCASA और BECA जैसे पुराने समझौतों पर आधारित है, जो पहले से ही लॉजिस्टिक्स, संचार और इंटेलिजेंस साझेदारी को गहराई दे चुके हैं।
